इश्क विश्क प्यार व्यार और लम्बा इन्तजार-1

(Sex Kahani : Ishq Vishq Pyar Vyar Aur Lamba Intjar- Part 1)

रवि खन्ना 2018-01-22 Comments

दोस्तो, मैं आपका विक्की खन्ना अपने सच्चे प्यार की सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ, जिसमें 100% बस सच ही लिखूँगा.

यह सेक्स कहानी मैं मोनिका (बदला हुआ नाम) से पूछ कर लिख रहा हूँ. वो भी चाहती है कि हमारे प्यार की स्टोरी सब लोग जाने और इसमें ज्यादा फायदा हम अपना ही मान रहे हैं, ताकि जब भी मन हो, हम अपने बीते पलों को याद कर सकें.

मैं मोनिका से 6 साल बड़ा हूँ. वो हमारे गांव की बचपन से ही सबसे मासूम और ब्यूटीफुल लड़की थी. मेरी उसके लिए गलत फीलिंग्स कभी नहीं थीं.

एक दिन वो अपनी मम्मी के साथ खेतों पर चारा लेने गई. हम को भी उनके खेतों से ही चारा लेना होता था. मेरी मम्मी ने चारा लेने मुझ को भेजा, मुझ को नहीं पता था कि कहाँ से चारा काटना है. मैंने मोनिका की मम्मी को आवाज लगाई- भाभी जरा बताना.. कहाँ से काटना है.
मोनिका की मम्मी दूर के रिलेशन में मेरी भाभी लगती थीं.
मोनिका भाग कर मेरे पास आई और बोली- यहाँ से काट लो.
उस दिन मुझको मोनिका को ऐसे उत्साहित देख कर लगा कि वो मुझको लाइक करती है.

उस दिन से मेरा नजरिया मोनिका के लिए बदल गया. मैं भी मोनिका को पसन्द करने लगा, उसमें तब बचपना था और मुझ पर मेरी जवानी भारी पड़ रही थी. उसके बाद मैं उसके घर के वहाँ ज्यादा जाने लगा. उसके घर के सामने मेरे चाचा की बैठक थी. मैं वहाँ सारा सारा दिन उसकी एक झलक पाने के लिए बैठा रहता था.

उसको भी ये अच्छा लगता था क्योंकि उसको जब पता चला कि मैं उसके लिए वहाँ आता हूं तो वो फिक्स टाइम पर बाहर आने लगी. क्योंकि वो बार बार बाहर नहीं आ सकती थी, ऐसा उसके पापा ऐसा नहीं चाहते थे.

उसके दो भाई थे, एक उससे बड़ा, एक छोटा. मैंने उसके बड़े भाई से दोस्ती बढ़ाई ताकि मोनिका के घर आता जाता रहूँ. मोनिका का बाथरूम बाहर था तो नहाने जाते टाइम उसे मैं देख लिया करता, वो भी मुझको छुप छुप के देखने लगी.
जब वो किसी काम से मेरे बगल से निकलती थी, तो मैं अपने कान पर झूठ मूठ का फ़ोन लगा कर उससे बोल देता कि कल ब्लैक सूट पहनना.

दोस्तो, दिन ऐसे ही गुजरते गए, हमारी बात आगे बढ़ नहीं रही थी क्योंकि वो बहुत पढ़ती थी. वो अपनी क्लास में हमेशा फर्स्ट आती थी और ऊपर से घर वालों से डरती थी, कुछ शर्मीली भी ज्यादा थी.
मुझ पर उसके घर वालों को शक हुआ तो मैं वहाँ कम आने लगा. उसके स्कूल की बस हमारे घर के सामने से जाती थी. मैं वहाँ खड़ा होकर उसको जाते देखता था. वो दूर से मुझको देख लेती और बस मेरे पास आने पर बुक्स पढ़ने लग जाती थी.

मुझ को तब लगता था कि वो मुझ को पसन्द नहीं करती. इस बात को चैक करने के लिए मैं एक उपाय सोचा. अगले दिन अपने घर में मैंने अन्दर खड़की के कांच से छुप कर देखा, जिसमें से अन्दर से बाहर का सब दिखता था, पर बाहर से अन्दर कुछ नहीं दिखता था. अब जब भी उसकी बस जब आती तब उस को मैं वहाँ खड़ा नहीं मिलता, तब वो बौखला जाती और उस की नजरें बस मुझ को ढूँढती थीं. ये देख कर मुझ को बस लगने लगा था कि वो मुझे पसंद करती है.

ऐसे ही दिन गुजरते गए. उसका वो ब्लैक सूट शायद फट गया था, वो अब ब्लैक सूट नहीं पहनती थी.

मैंने वैलंटाइन वाले दिन उसको कान पर फ़ोन लगा कर कहा- आई लव यू, इफ यू लव मी.. तो कल ब्लैक सूट पहन लेना, जो उसने अगले दिन नहीं पहना. मुझे लगा कि शायद मोनिका मुझे प्यार नहीं करती, लेकिन बाद में मालूम चला कि उसका काला सूट फट गया था इसलिये उस दिन उसने वो सूट नहीं पहना सका था.

फिर मुझको किसी ने बताया उसका चाचा का लड़का जो मुझसे भी बड़ा था. वो बहुत गंदा लड़का था, वो अपनी खास बहनों तक को चोद चुका था. वो मोनिका को चोदने की फिराक में है.

उसका चचेरा भाई एक बार अपने जीजा के साथ था. वो उस दिन मोनिका के घर बिना बताए जीजा की कार से मोनिका को लेने उसके स्कूल गया था. लेकिन शायद मोनिका के घर वालों को उस पर शक था, तो उन्होंने स्कूल में बोल रखा था कि मोनिका को किसी के साथ ना भेजें.
ये सब मैं जानता था क्योंकि मोनिका को मैं अब अपनी इज्जत समझने लगा था और उसके बारे में उसके भाइयों से सब जानने लगा.

धीरे धीरे समय गुजरता गया, मोनिका बड़ी होती गई. वो 12वीं में आई तो, ब्यूटीफुल वो पहले ही थी, अब सेक्सी भी लगने लगी. लेकिन समय के साथ उसकी मासूमियत जरा भी नहीं बदली.
अब वो समझदार भी हो गई थी. उसने सबसे बात करना बंद कर दिया, खास कर अपने चाचा के लड़के से.

हमारे बीच रिश्ता जैसा पहले था आज भी वैसा ही था. वो आते जाते मुझको देख लेती, मैं उसको देख लेता.
मेरे दिल में समय के साथ साथ मोनिका से बात करने की बेचैनी बढ़ती गई. उसके आगे की ना मैंने सोची थी न मोनिका ने, मैं बस अपने दिल की फीलिंग्स उसे बताना चाहता था. एक बार वो हाँ या ना कुछ कहे, मुझको उससे कुछ मतलब नहीं था.

एक दिन मैं मौका देख कर उसके घर गया, जब उसके घर कोई नहीं था.
मोनिका के मुँह पर मैंने उससे “आई लव यू..” बोला, वो मुझको एकदम से वहां देख कर शायद घबरा गई.
वो बोली- जाओ यहां से.
मैं बोला- जवाब दो..
“मैं मम्मी को बुला लूँगी.”
मैं डर कर वापस आ गया, लेकिन उसने ये किसी से नहीं कहा.

मैं खुश था, जो मुझको कहना था, वो मैं आज बोल चुका था. मैं अब कुछ दिन रुका, फिर नॉर्मली पहले जैसे ही उसको देखने लगा, वो मुझको देखने लगी.

फिर 3 साल के लिए मैं सोनीपत चला गया था, बीच बीच में मैं आता रहता और वैसे ही हम एक दूसरे को चुपके से देखते रहते. अब वो बीएससी फर्स्ट ईयर में आ गई थी और कॉलेज जाने लगी थी. इस बीच मैं भी सोनीपत से वापस आ चुका था.

अब मोनिका कमाल की अप्सरा बन गई थी, गोरी चिट्टी तो थी उसमें और चमक आ गई थी. वो बोलती बिल्कुल साफ और धीमी आवाज में थी. मुझको हमेशा उसका चहेरा एम्मा वाटसन की याद दिलाता है. उसका फिगर 34-32-36 का हो गया था, उसकी लंबाई भी एम्मा जितनी ही थी.

मोनिका पर गांव के लड़के ट्राई मार चुके थे, पर मोनिका कसी से बोलना तो दूर किसी की तरफ देखती भी नहीं थी.
मैं उसके कॉलेज पर जाने लगा, उसके जाते और आते टाइम सेफ्टी के लिए कि कोई उसे छेड़े ना.

अब उसकी फिगर कमाल की सेक्सी बन गई थी. उसका फेस भी कमाल का था ही, जो उसको देखता था, बस सोचता होगा कि ये पट जाए बस, फिर चाहे जान चली जाए तो कोई गम नहीं.
मैं हमेशा उसकी मासूमियत का दीवाना रहा, जो उसके फेस पर दिखती है और आज भी मैं उसकी उसी मासूमियत का दीवाना हूँ.

वो एम एस सी सेकंड ईयर में आई. अब शायद मेरे लिए उस की फीलिंग्स बढ़ गई थी. एक दिन मैंने बेशर्म बन कर उस को ड्राप करने का ऑफर दिया.
मैंने कहा- मोनिका आ जाओ घर छोड़ दूँ.

उसके साथ गांव की और लड़कियां भी थीं.. पर मैंने ऐसे कहा जैसे मैं उसका चाचा हूँ, जो कि रिश्ते में मैं उसका चाचा लगता भी था.

वो मेरी बाइक पर हमारे बीच बैग रख कर बैठ गई. वहाँ से हमारा 7 किलोमीटर दूरी पर गांव था. रास्ते में मैंने फिर से अपने दिल की सारी फीलिंग्स उसे बता दी.

मेरी कहीं नजदीक में जॉब लगी थी, पर मैं रोज घर आ जाता था. फिर मैंने जॉब नाईट की करा ली. फिर कुछ ऐसा हुआ कि मैं जान बूझ कर रात को उसके घर से न्यूज़ पेपर माँग कर ले जाने लगा. मैंने जिस लिए न्यूज़ पेपर लेना शुरू किया था, वो तीर निशाने पर लगा. उसने एक दिन लिफ्ट देने के लिए न्यूज़ पेपर में अपनी हैंड राइटिंग से थैंक्स लिखा. मैंने इधर से वेलकम लिख दिया. फिर कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा. अब तो गुलाब के फूल प्रिंट होकर न्यूज़ पेपर में आने जाने लगे.

एक दिन वो घर पर अकेली थी. मैं छुट्टी पर था. मेरे पास उसके घर का नंबर था. मैंने मौका ठीक समझा और कॉल की.
वो बोली- कौन?
मैं बोला- विक्की.
उसने फ़ोन काट दिया.
मैं डर गया, फिर कॉल नहीं की.

तभी 5 मिनट बाद उसकी कॉल आई और लड़ने लगी- क्यों परेशान कर रहे हो.. बिगड़े हुए कहीं के.. फेसबुक पर बहुत लड़कियां दोस्त हैं तुम्हारी, वहाँ बात कर लो..
मैंने कहा- नहीं हैं..
उसने एक दो लड़कियों के नाम लिए, तब मैं समझा कि जो मैंने उसके भाईयों को झूठी स्टोरीज़ सुनाई थीं ताकि वो मुझ पर शक ना करे और हमारी दोस्ती बनी रहे.. लेकिन वो आज उनकी बात करके ही मुझे उलाहना दे रही थी.

मैंने उसको ये सब बताया. गुस्से में आकर मैं बोला- तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी.. पूरे 6 साल हो गए, तुम छोटी थीं तब से तुम्हें पागलों की तरह प्यार किया है.
मैं आवेश में था.. इस वजह से उस पर मेरी बात का असर हुआ और तब जाकर उसने मेरी बात को सुना कि जो मैंने उसके भाईयों बताया था, वही उसने जाना था और वो सब झूठ है.

फिर हमारी बातें होने लगीं. उसको मुझ पर भरोसा हो गया.
तब बोली- यार, मैं प्रॉब्लम में हूँ.. बस मरने का मन होता है.
मैंने कारण पूछा तो बहुत जोर देने पर उसने बताया:

उसके भाई का एक दोस्त पड़ोसी गांव का है, वो उनके घर आता जाता था. जो मोनिका पर लाइन मारने लगा था. एक दिन मोनिका अपने भाई का फ़ोन अपनी फ्रेंड्स से बात करने के लिए यूज़ कर रही थी. तभी उसके भाई के उस दोस्त की कॉल आई, मोनिका ने कॉल काट दी.
बार बार कॉल के बाद उसने फेसबुक पर मैसेज किया, तब मोनिका ने कहा- भाई यहाँ नहीं है.
ये तब की बात थी जब मैं सोनीपत में 3 साल के लिए गया हुआ था.
उसी दौरान उस लड़के ने मोनिका से नॉर्मली बातें स्टार्ट की थीं कि कैसी पढ़ाई चल रही है, घर सब ठीक है कॉलेज कहाँ है तुम्हारा.. वगैरह वगैरह..

मोनिका ने अभी जवानी में कदम रखा ही था. आप सभी ये जानते हैं कि लड़कियों को बातों को चस्का तो होता ही है. सो उसने अपने भाई के दोस्त से बात करना शुरू कर दी.
अब मोनिका की अपनी फ्रेंड्स से और उस भाई के दोस्त से रोज बातें होने लगीं, जो उसे रोज मैसेज कर देता था. ये भी ये समझ कर रिप्लाई कर देती थी कि कौन सा मिलना है, बात ही तो होती है बस.

फिर ये उसके दलदल में फंसती गई. उससे अपने फ़ोन से कॉल पर और ज्यादातर मैसेज से चैट होने लगी. सेक्स पर भी बातें होतीं, जो कि ये सब मोनिका के लिए अभी नया था.. उसको इन बातों में मजा आने लगा.

दिन गुजरते गए, मोनिका को उससे बात करते करते एक साल हुआ. इस बीच इन दोनों ने प्यार का इजहार एक दूसरे से कर दिया था तो फ़ोन सेक्स होने लगा था.
बात गड़बड़ तब हुई, जब वो इनके घर एक रात रुका और सबके सोने के बाद मोनिका से मिलने की जिद करने लगा, जो मोनिका को गंवारा नहीं हो रहा था.

उसकी जिद ने उस दिन हद कर दी, सारी रात कॉल कर करके मोनिका को सोने नहीं दिया. मोनिका की मम्मी को रात में फ़ोन की लाइट बार बार जलने से शक हो गया था.

सुबह वो चला गया लेकिन अगली रात फिर वो ही ड्रामा कि मैं आज आ रहा हूँ मिलना है.. ये वो..
मोनिका ने उसको मैसेज करने, फ़ोन उठाने बन्द कर दिए. वो घर के फ़ोन पर मिस कॉल करने लगा. इतने अच्छे माल को वो अपने हाथों से ऐसे ही नहीं जाने देना चाहता था.
मोनिका ये समझ गई थी कि ये साइको (पागल) है, वो पीछा नहीं छोड़ रहा था. वो मोनिका को डराने लगा कि फ़ोन कॉल रिकॉर्डिंग दे दूंगा और मैसेज आदि भी दिखाने की कहने लगा, साथ ही मोनिका के भाई को देखने की धमकी देने लगा.

फिर इस डर से वो उस लड़के के साथ कभी कभी मैसेज से चैट कर लेती. उस लड़के ने मार्किट में कहीं मिलने के लिए कहा तो कॉलेज से आते टाइम ये मिली भी. उसने इसके गाल पर किस भी किया तो ये भाग आई.
अश्लील कॉल रिकॉर्डिंग और अश्लील मैसेज के डर से ये ना चाहते हुए भी उसे बात करती गई.

फिर जब इसको कोई उम्मीद नहीं दिखी तो मुझसे बात करना ठीक समझा क्योंकि मैं हमेशा से मोनिका के आस पास रहा था. उसको मुझ पर विश्वास था.
जो मोनिका ने बताया, मैंने उसे ही सच माना.. जो सच भी था.

मैंने इस प्रॉब्लम को सॉल्व किया, जो अगर मोनिका चाहती तो कोई बड़ी प्रॉब्लम नहीं थी.. पर वो डरी हुई थी क्योंकि उसके भाई को पता होने के बाद भी उसके भाई ने उस लड़के को कुछ नहीं कहा, उल्टा मोनिका को डांटा. वो लड़का इसी बात का फायदा उठा रहा था.

जब मैंने ये सब बात जानी तो मैं बिना मोनिका को बताए उस लड़के के घर गया. यदि बता देता तो वो मुझे जाने नहीं देती. जबकि मुझको पता था क्या करना है.
उस लड़के के घर जाकर पूछा कि वो कहाँ है?
उसके घर वालों ने कहा कि कहीं बाहर गया है.
मैंने उसके घर वालों को उस को मारने की धमकी दी और कहा- उसके फ़ोन में कोई मैसेज है या कॉलरिकॉर्डिंग है.. जिससे वो मेरी रिश्तेदार की लड़की को परेशान करता है.
तो उस के घर वालों ने मुझ को विश्वास दिलाया कि आज के बाद ऐसा कुछ नहीं होगा और उसके मोबाइल से मैसेज आदि हम डिलीट कर देंगे, जो उन्होंने किए भी.

मोनिका को ये सब अगले दिन उसी ने बताया कि तुमने ये ठीक नहीं किया.
मोनिका ने भी हिम्मत से कहा कि जो करना है, जा कर ले. क्योंकि मैं, मोनिका के बचपन का साथी उसको उसके साथ खड़ा दिख रहा था.

इसके बाद वो मेरी ये बात जान कर बहुत खुश हुई और उसने मुझको फ़ोन पर पहली बार किस दी- ऊम्माह…
मैंने भी उसे उत्तर में किस की.

अब हमारी बातों का सिलसिला चल निकला. हम दोनों रात रात भर चैट करते रहे. कुछ महीनों बाद मैंने उसको “आई लव यू..” कहा, वो शायद इसी इंतज़ार में थी. इस बार उसने बिना सोचे “आई लव यू टू बाबू..” बोला.
फिर क्या था.. बातें होती रहीं, समय गुजरता गया.

उसको एक दिन लगा कि बंदा बिल्कुल डफर है, तो खुद ही रात को चैट करते करते बोली- किस मी..
मैंने “उम्माह..” लिख कर भेजा.
मोनिका बोली- नहीं, आज रियल वाली चाहिए.

शायद वो मुझे अपने आप को मुझ को सौंप कर उसको इतना प्यार करने का तोहफा देना चाहती थी. मैं भी ये ही चाहता था, पर उससे डरता बहुत था कि कहीं वो नाराज ना हो जाए. मैंने तो कभी ये सोचा भी नहीं था कि ये सब भी होगा.
अब मुझे लगा कि मेरी सेक्स कहानी शुरू होने वाली है.

मैं रात में ही चुपके से 11 बजे उसके घर गया. उसने पीछे वाला गेट खोला ऊपर सीढ़ियां जाती थीं, वो उन पर खड़ी थी. वहां अंधेरा था.. तो ना उसको मेरी बॉडी दिखी, ना मुझको उसकी. हम दोनों अंधेरे में तीर चलाने वाले थे.

मैं ऊपर गया और मोनिका के पास जाकर उसको अपनी बांहों में भरा. दोस्तो उसकी इतनी गर्म बॉडी थी कि सर्दी थी, तब भी मुझको ऐसा लगा, जैसे उसमें आग लगी हो. अब जो 8 साल का प्यार था, उसे गले मिलने में मैंने दिखा दिया. उसको इतना कसके गले लगाया मैंने कि उसकी कमर की हड्डियों से चट की आवाज आई.

फिर मैं उसके चहरे को पकड़ कर उसके गर्म और नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिए. हम दोनों का ये पहला किस था. वो समझदार थी तो आराम से किस कर रही थी और मैं बस उसके होंठों को खाए जा रहा था.
उसने कहा- बाबू आराम से करो.. मैं भाग नहीं जाऊंगी कहीं.
पर किसी के घर रात में जाने में मेरी फ़टी पड़ी थी, इसलिए मैं जल्दी जल्दी कर रहा था.

मैं वहाँ से भाग आया क्योंकि मेरा लंड मोनिका के शरीर की गर्माहट से खड़ा हो चुका था. जो मैं उसको महसूस नहीं होने देना चाहता था.. ये सोच कर कि वो मेरे बारे में क्या सोचेगी.

अगली रात हमारी चैट शुरू हुई. चैट होते होते ही 11 बज गए.
मोनिका बोली- मुझको आज फिर से मिलना है.
मैं बोला- क्यों?
उसने कहा- तुम कल मुझको जोर से हग करके गए थे.. मैं नहीं कर पाई थी, वो करनी है.. तो जल्दी से आ जाओ.

मैं समझ गया कि हग का तो बस बहाना है. जब उसकी बॉडी टच से मेरा बुरा हाल हो गया था और मेरा लंड लोवर फाड़ने लगा था, तो इसका भी ये ही हाल हुआ होगा. इसलिए जो काम कल अधूरा रह गया था, उसे पूरा करने बुला रही है.
मैंने बात खोल कर जाना सही समझा कि कहीं वहाँ ड्रामा न हो जाए. मैं बोला- बाबू आ तो जाऊंगा, पर मुझसे रुका नहीं जाएगा क्योंकि मेरे नीचे कल ही बुरा हाल हो गया था. आज आया तो मुझसे कंट्रोल नहीं होगा, बात आगे बढ़ जाएगी.
कुछ देर सोच कर मोनिका बोली- बढ़ने दो.. पर मुझको आज हग करना ही है.
मुझे उसकी आवाज कामुकता से भरी लग रही थी.
“ठीक है..” बोल कर मैं उसके घर सिर्फ लोवर और बनियान में पहुँच गया.

वो वहीं खड़ी मिली. मेरे पास आते ही मेरे सीने से लग गई और अपनी बांहों में मुझ को जकड़ कर जितनी जोर से कल मैंने हग किया था, उसने आज उतनी ही जोर से मुझको हग किया.

हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को किस करते रहे. पहले खूब एक दूसरे के होंठ पिए. कभी ऊपर वाला तो कभी नीचे वाला.. फिर एक दूसरे की जीभ चूस चूस कर लाल कर दी.

फिर मैंने अपने हाथ उसके पीछे ले जाकर उसके दोनों चूतड़ों को अपने हाथों में लेकर सहलाए, जिसका मोनिका पर कोई असर नहीं दिखा. उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया मतलब कामुकता उसके दिमाग में चढ़ चुकी थी, मेरा रास्ता साफ़ था.. उसका इशारा आ चुका था. उसको किस करते हुए ही मैंने उसके दोनों चूतड़ों जोर से दबा दिए, जिसकी वजह से वो सिकुड़ कर मुझमें घुस सी गई.

मैंने हिम्मत करके उसका लोवर उसके घुटनों तक किया और हम किस करते रहे. उसने अब भी मना नहीं किया था मतलब वो आज अपनी चूत की चुदाई चाहती थी. फिर मैंने मोनिका की पैंटी भी उसके घुटनों तक कर दी और फिर अपना लोवर निक्कर समेत उतारा और अपने हाथ फिर से मोनिका के पीछे ले जाकर उसके नंगे हो चुके चूतड़ों पर रखे, जो गोल और दीवार से लगने की वजह से ठंडे हुए पड़े थे.

मेरा लंड पूरे जोश में था, जो 8″ लंबा और 2″ मोटा है. लंड मोनिका की चूत से टकरा रहा था. चुदास के मारे चूत एकदम गीली हो चुकी थी, उस पर मुलायम मुलायम बाल थे, जो मुझको बाद में हाथ फेरने से महसूस हुए.

हम दोनों चुदाई के लिए एक्ससाईटेड थे. मैंने मोनिका की चूत पर हाथ रखा, वो मुझको किस किए जा रही थी.

मैंने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा अपने दूसरे हाथ की उंगली से उसकी चूत का छेद ढूँढ कर लंड छेद पर लगाया, अन्दर डालने की कोशिश की, पर अन्दर नहीं गया. शायद रुक सा रहा था. हम दोनों के भरपूर प्रयास से भी अन्दर नहीं जा पा रहा था. जोश में वो खूब इधर उधर हुई, पर खड़े होने से लंड मोनिका की चूत में नहीं गया.

मैंने कहा- ऊपर वाली बड़ी सीढ़ी पर चलो.
हम वहाँ गए उसको पता था कि लंड अन्दर क्यों नहीं गया क्योंकि मैंने लोवर और पैंटी उसके पैरों से पूरी तरह नहीं निकाली थी. मैंने मोनिका को धीरे से सीढ़ी पर लिटाया, उसके सर के नीचे अपना एक हाथ लगाया. उसने एक पैर में से लोवर पैंटी पूरी तरह निकाल दी.

अब मैं पूरी तरह से मोनिका के ऊपर था. मेरा लंड मोनिका की चूत पर रगड़ खाकर उस को सलामी दे रहा था और अन्दर आने की इजाजत मांग रहा था.
मैंने एक हाथ से बहुत कोशिश की कि लंड सही जगह लग जाए, पर नहीं लगा.
फिर दोनों हाथों का प्रयोग किया. एक से चूत का छेद देखने के लिए, एक लंड पकड़ने के लिए. कोशिश जारी थी, फिर भी अन्दर नहीं जा रहा था.

मोनिका बार बार बोलती जा रही थी- झटके मत मारो.. अभी सही जगह लगा ही नहीं है.
फिर मैंने मोनिका से कहा- मजा खराब हो रहा है.. प्लीज तुम जल्दी लगाओ.
उसने भी समझा कि टाइम ज्यादा नहीं है और दोनों का फुल मूड चुदाई का है. मोनिका ने अपने पैर थोड़े ऊपर किये, जिसे उसकी चूत ऊपर को आ गई. फिर मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सैट किया, जो उससे भी काफी देर में हुआ. क्योंकि मुझको लगता हो गया और झटका मार देता.

उसने कई बार कहा “रुको..” मोनिका की चूत बहुत पानी छोड़ चुकी थी, उसकी चूत अन्दर तक गीली थी.
फिर उसने सही जगह लगाया और बोली- अब डालो.

मैंने इतनी जोर से धक्का मारा कि मेरा लंड चूत गीली होने की वजह से पूरा अन्दर घुस गया था. उसकी बड़ी जोर से चीख निकली- अअअहह.. मर गई. अअअहह..
वो अपने हाथ मेरे पेट से लगा कर लंड चूत से निकालने की कोशिश करने लगी. उसके हाथ मैंने अपने हाथों से पकड़े, अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और उसकी आवाज रोकी. कुछ पल के लिए लंड हिलाना बंद रखा.

उसने दर्द से कराहते हुए कहा- बाहर निकालो.. मेरी फट गई है.
वो दर्द से अपनी आँखों में आंसू ले आई- निकालो यार..
मैं बोला- बस अब कुछ नहीं करूँगा.

हम दोनों ऐसे ही किस करते रहे. जब वो मजे में किस करने लगी, तब उसके होंठों को और हाथों को कसके पकड़ा और लंड पूरा बाहर निकाल कर, फिर पूरा अन्दर ठोक दिया और रफ्तार से झटके पर झटका मारता रहा.
वो रोती रही चीखती रही “निकालो निकालो..” पर मैं 10-15 ताबड़ तोड़ झटकों के बाद रुका. वो भी कुछ सहने लगती थी. मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.
इस बीच वो मुँह में दबी आवाज में “ओऊऊ ऊऊ ऊऊ ऊऊ..” करती रही, पर मैं जोश में था, रुका ही नहीं.

इसके बाद मंजिल पर पहुँचाने के बाद तूफान शांत हो गया था. मैं उठा, कपड़े पहन लिए. उसे लेटी हुई स्थिति में ही कपड़े पहनाए. वो खड़ी नहीं हो पा रही थी.
वो दर्द के मारे बोली- तुम जाओ, मैं अन्दर चली जाऊंगी.

मैं उस को चोद कर वापस आ गया. रास्ते में मैं ये सोच कर निराश सा था कि ब्लड नहीं निकला, मतलब सील पहले टूटी हुई थी.

घर आकर वाशरूम में मैं हाथ मुँह धोने गया, तब नजर मेरी बनियान पर पड़ी, जो नीचे से सारी खून में लाल सी हो रही थी. फिर मैं बहुत खुश हुआ, अपने जीवन की पहली चुदाई सील बंद चूत की करने को मिली.

मेरी और मोनिका की सच्ची सेक्स कहानी कैसी लगी, दोस्तो मुझ को ईमेल करके जरूर बताना.
सेक्स कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
[email protected]

कहानी का अगला भाग: इश्क विश्क प्यार व्यार और लम्बा इन्तजार-2

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