कॉल सेण्टर का बाथरूम

raj1521986 2008-11-10 Comments

प्रेषक : राहुल यादव

मेरी उम्र 25 साल है, दिल्ली का रहने वाला हूँ और मैं एक जिगोलो हूँ। जिगोलो का मतलब आप लोग जानते ही होंगे कि जो पैसे के लिए फुद्दी की चुदाई करते हैं। या यों कहिये पेशेवर चुदाईखोर !

मेरा कद 6 फ़ीट, सीना 38 और रंग गोरा, काले बाल, नीली आँखें, देखने में एक माडल जैसा हूँ।

मुझे ग्राहक ढूंढने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है, पर कभी- कभी ऐसा भी होता है कि दस दिन तक भी कोई नहीं मिलती। तब मुझे अपनी तन की प्यास बुझाने के लिए हाथ का सहारा लेना पड़ता है। मैं बहुत मोटे लण्ड का स्वामी हूँ, मेरा लण्ड नौ इंच और दो इंच मोटा है जो 20 साल से लेकर 40 साल तक की लड़की की चूत को पानी पानी कर देता है।

मैंने अपनी तारीफ कुछ ज्यादा ही कर दी। अब कहानी पर आते हैं यों तो अपनी जिंदगी में चूत ही सब कुछ है मगर मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मैं इतना बड़ा चुदाई खोर बना कैसे।

बात जब की है जब मैं जॉब के लिए घर से पहली बार निकला था। मेरे माँ बाप ने मुझे बहुत संभाल कर रखा था। मुझे सही-गलत की पहचान नहीं थी, मेरी जॉब एक कॉल सेंटर में लग गई। मुझे रात की शिफ्ट में काम करना अच्छा लगता था क्योंकि दिन में मैं अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता था।

मेरी उम्र उस समय 21 साल थी, रात की शिफ्ट में दो लड़के और चार लड़कियाँ ही काम करते थे। कॉल सेण्टर छोटा था और हमारी छोटी छोटी ब्रांच ही हुआ करती थी।

एक रात जब मैं बाथरूम जा रहा था तो मुझे लेडिज़ बाथरूम से आह आह आह की आवाज सुनाई दी, मैं शुरु से ही गर्म किस्म का था और चूत के सपने देखा करता था। मैं गर्म हो गया, मैं जब गर्म हो जाता हूँ तो किसी की नहीं सुनता, मैंने अपने कदम लेडिज़ बाथरूम की तरफ बढ़ा दिये। मैंने चुपके से झांक कर देखा कि मंजू मैडम और अंकित सर एक दूसरे को चूम रहे थे, दोनों के कपड़े अलग पड़े हुए थे।

मेरा लण्ड फनफ़ना कर खड़ा हो गया और मैं बाहर खड़े होकर मुठ्ठी मारने लगा। अंकित सर मंजू मैम की चूत चाट रहे थे और मैम जोर-जोर से आह आह आह की आवाज निकाल रही थी। मुझे यह सब देख कर बहुत मज़ा आ रहा था।

मंजू मैम की उम्र 25 और अंकित सर 27 के रहे होंगे। बहुत सेक्सी थी मैम।

मैंने जब से उन्हें देखा बस उन्हें याद करके ही मुठ मारता था। उनकी चूची ! हाय क्या थी ! उनके गाल, उनकी गाण्ड तो इतनी प्यारी थी कि मेरा बहुत मन करता था उनकी गाण्ड मारने का।

मैं उनके सेक्स को देख कर मज़े ले ही रहा था कि तभी मोना जो मेरे साथ काम करती थी मेरे पास आ गई- हेलो, क्या कर रहे हो?

मेरी पैंट खुली थी और मेरा लण्ड मेरे हाथ में, मैंने पेंट बन्द करनी चाही तो उसने झट से पकड़ लिया- इसे ऐसे नहीं छुपा सकोगे ! मैंने देख लिया तो अब तो यह मेरा है !

उसने इतने प्यार से कहा कि मैं उसका दीवाना हो गया, मैं बहुत गर्म था और उसने मेरा लण्ड हाथ में ले रखा था। अब आप लोग सोच सकते हो कि मेरी क्या हालत होगी। क्योंकि आप अपना लण्ड हाथ में पकड़ कर बैठे हो तो आपकी क्या हालत हो रही है?

कसम से मैं बता नहीं सकता मुझे क्या हुआ। मैंने मोना के ओंठ चूसना शुरु कर दिए और उसके कपड़े उतारने लगा। मोना भी भूखी शेरनी की तरह मेरा साथ दे रही थी।

उस दिन ऑफिस में हम चार लोग ही थे, दो बाथरूम के अन्दर और दो बाथरूम के बाहर।

मैं अंकित सर, मंजू मैम को भूल गया और अब सिर्फ मोना याद थी, मोना को लेकर मैं जेंट्स बाथरूम में चला गया।

मोना मुझे चूम रही थी और मैं मोना को। हम निर्वस्त्र थे। मोना की चूचियाँ कमाल थी, बड़े संतरे की तरह गोल।

चूत तो बिलकुल गुलाब की तरह गुलाबी।

मैं मोना को पैर से लेकर सिर तक चाट रहा था और वो बाथरूम के फ़र्श पर पड़ी आह…. आह …. आह…. की आवाज निकाल रही थी।

मैंने मोना के कान में धीरे से कहा- चूस लो !

और उसने मेरा लौड़ा पकड़ कर अपने मुँह में भर लिया। मुझे बहुत मज़ा आया, गर्म-गर्म जीभ जब मेरे लौड़े पर लगी तो मैं पागल सा हो गया।वो मेरे लण्ड को चूस रही थी और मैं उसके बालों को सहला रहा था। वो चूसती रही और मुझे मज़ा आता रहा। काश वो पल हमेशा के लिए ठहर जाता, उसका लण्ड चूसना क्या था। शायद पहली बार किसी ने चूसा था इसलिए पता नहीं पर वो मज़ा आज तक नहीं आया, न ही अब कोई वो मज़ा दे पायेगा।

मैं कभी उसके बालों में कभी उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था।

अब उसने मुझे चूत की तरफ इशारा किया, मैं समझ गया, बहुत सी फिल्में देख चुका था मगर किया पहली बार था। मुझे पता नहीं था कि सेक्स में इतना मज़ा आता है। मैं उसकी चूत की तरफ झुका और उसके पेट को चूम लिया।

उसने आह की आवाज निकाली और बोली- चूसो न !तड़प रही है बेचारी….

मैंने जैसे ही अपने ओंठ उसकी फुद्दी पर रखे, वो अहह ….अहह…. की आवाज करने लगी।

मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था उसकी चूत चाटने में ! गुलाबी चूत और उस पर एक भी बाल नहीं। क्या पानी था चूत का, मैं सारा पानी चाट गया। क्या चूत थी उसकी ! मैं चूत को चाटते-चाटते उसकी चूची भी मसल रहा था और वो बड़े प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेर रही थी।

फिर उसने कहा- जल्दी डालो, मैं झड़ जाऊँगी ! जल्दी डालो।

मैं उठा और अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा, मगर वो बोल उठी- यार यह तो बहुत मोटा है, नहीं जायेगा।

मैंने कहा- चला जायेगा।

मैंने उसे प्यार से चूमा और अपना लण्ड उसकी चूत के सामने रख कर धक्का मारा मेरा लण्ड उसकी चूत मैं ऐसे चला गया जैसे सुई में धागा !

मैंने उसकी चुदाई की मगर मुझे महसूस हुआ कि मेरा लण्ड छोटा था।

उसने उसके बाद मुझसे कभी सेक्स नहीं किया मगर मुझे एक बात परेशान कर रही थी कि मेरा लण्ड शायद ओरों से छोटा था इसीलिए उसे मज़ा नहीं आया।

मुझे पता था कि वो और लोगो से भी चुद चुकी है, उसने मुझे कुछ नहीं कहा मगर मैं सब समझ गया।

दोस्तो, मेरी पहली चुदाई ने मुझे अपना लण्ड का आकार याद दिलाया और फिर मैंने लण्ड को मोटा और लम्बा करने के बारे में सोचा। आज मैं एक जिगोलो हूँ, और मेरा लण्ड नौ इंच का है जिसे सह पाना हर किसी के बस की बात नहीं..

मैं जिगोलो कैसे बना और मेरा लण्ड मोटा कैसे हुआ, मैं यह आगे की कहानी में बताऊंगा।

मुझे मेल जरूर करना। आपके मेल ही दिल की सच्चाई बांटने पर मजबूर करते हैं।

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