मुझे याद है वो पहली चूत चुदाई
(Mujhe yaad Hai Vo Pahli Choot Chudai)
मेरा नाम प्रीति है. मैं पहले भी कुछ कहानियां लिख चुकी हूँ.
एक कहानी लिखी थी
पति के दोस्त ने मेरी फ़ुद्दी चोद दी
जिसमें मेरे पति के दोस्त ने मेरी फुद्दी चोदी थी.
दूसरी कहानी थी
मेरी फुद्दी को लंड की आदत पड़ गई
जिसमें मैंने आपको बताया था कि मैंने पहली बार अपनी चूत कैसे चुदवाई थी.
अब मैं आप सबको अपनी एक सहेली की पहली बार की चुदाई की कहानी बता रही हूँ.
मेरी सहेली के शब्दों में ही पढ़िए.
जब मैं कॉलेज में थी, उन दिनों मैंने जवानी में कदम रखा ही था. मेरे बोबे ताजा ताजा उभरे थे व मेरी फुद्दी पे बाल भी आ गए थे. काफी लड़के मुझपे मरते थे और कई ने मुझे प्रपोज तक किया. वहां काफी लड़के मेरे अच्छे दोस्त बने.
मैं उन दिनों टाईट सूट या फिर स्लीवलेस टॉप पहन कर कॉलेज जाती थी. मुझे खुद भी अपनी खिलती जवानी को सभी दिखाने में मजा आता था. जब भी कोई लड़का मेरी तरफ देख कर आहें भरता तो मुझे अन्दर से एक ख़ुशी सी मिलती थी. सारे दिन लड़कों की निगाहों को मैं रात को सोते समय याद करके अपने बोबे सहला कर चुत पर हाथ फेरती थी और अपनी जवानी पर खुद झूम उठती थी.
इन सब बातों ने मुझे और भी अधिक बिंदास सा कर दिया था. इसका नतीजा यह हुआ कि जब मैं दूसरे साल में गई तो मैं खुल कर अपनी जवानी सबको दिखा देना चाहती थी. या यूं कहूँ कि मुझे अपनी जवानी के मीठे शहद को निचुड़वाने का जी करने लगा था.
दूसरे साल की फ्रेशर पार्टी के दिन मैंने सोचा आज कुछ ऐसा पहन कर जाऊँ कि सब पागल हो जाएं.
मैंने उस रात काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी और ऊपर से वन पीस पहन के कॉलेज गई. मैंने अपने बाल खुले रखे थे. बाकी लड़कियों की तरह मैं भी सुंदर दिख रही थी.
मैं कॉलेज पहुंची और कुछ देर बाद पार्टी शुरू हुई. सब नाच गा रहे थे तो मैं भी अपने ग्रुप के साथ मस्ती करने लगी. इसी मस्ती के दौर में मुझे कई लड़कों ने डांस के बहाने छुआ और कुछ ने तो भीड़ का फायदा उठा कर मेरे मम्मों और चूतड़ों पर भी हाथ फेर दिया था. मुझे इस स्पर्श से जरा घबराहट तो हुई, पर अच्छा भी लगा.
कुछ देर नाचने के बाद हम लोगों ने खाना खाया और फिर मस्ती करने लगे. सुबह के करीब तीन बजे पार्टी खत्म हुई और हम लोग कॉलेज से निकले.
इतनी रात को घर जाने के लिए कुछ साधन नहीं मिल रहा था, तो मेरे एक दोस्त विशाल ने कहा कि तुम लोग मेरे रूम पे चलो, पास में ही है, सुबह चले जाना, अभी काफी रात हो गई है.
हम लोग तीन लड़कियां थीं तो हमने सोचा रात में यहीं रूक जाती हैं, सुबह जब कोई गाड़ी मिलेगी तब अपने घर जाएंगे. मैंने घर पर फोन किया और कहा कि मैं कल सुबह आऊँगी, अभी कोई गाड़ी नहीं मिल रही है.
मेरे घर वाले मुझ पर यकीन करते थे सो उन्होंने भी मुझसे कुछ नहीं कहा. मैंने उनसे कह दिया कि हो सकता है कि मैं सुबह यहीं से कॉलेज चली जाऊं, मेरे साथ मेरी दो सहेलियां भी हैं.
घर से परमीशन मिलते ही मैं और अधिक सहज हो गई. अब मुझे अपने इस दोस्त के कमरे पर रुकने में कोई चिंता या डर नहीं था. हम लोग उसके कमरे पर आ गए. उसका कमरा काफी छोटा था व दो छोटे छोटे बेड थे.
विशाल ने दोनों बेड को जोड़ दिया और कहा- हमें इसी में एडजस्ट करके सोना होगा.
विशाल का एक रूममेट भी था. हम सब लोग जैसे तैसे सोए. मैं सबसे किनारे सोई थी, मेरे बगल में विशाल.. फिर मेरी दो सहेलियां और आखिर में उसका रूममेट था. मैंने सोचा बस एक रात की तो बात है, जैसे तैसे एडजस्ट कर लेते हैं. जगह कम होने की वजह से विशाल बार बार अपना पैर मेरे पैरों पे रख देता था. मैंने कई बार हटाया, बाद में तंग आकर मैंने उसके पैर को हटाना छोड़ दिया.
कम जगह होने के कारण उसका मुँह मेरे बांये बोबे में घुस रहा था. जैसे तैसे मैं सोई.
कुछ पल बाद मैंने महसूस किया कि मेरी जाँघों पर कुछ हिल रहा है. मैंने देखा तो विशाल अपना हाथ मेरी जाँघों पे फेर रहा था और उसका दूसरा हाथ मेरे बोबे पे था.
मैंने उससे पूछा- ये क्या कर रहे हो?
उसने फुसफुसा कर कहा- तुम्हें प्यार कर रहा हूँ.
मुझे एक पल के लिए तो लगा कि ये ऊपर ही ऊपर से कुछ करेगा.. बस मजा आएगा. मैंने भी आज उसके साथ मजा लेने का मन बना लिया. जवानी का दरिया उफान रहा था. हम दोनों आग और भूसा की तरह वासना की आंधी में बहने लगे.
वो जैसे जैसे मेरी जाँघों पे अपना हाथ फेर रहा था, वैसे मेरी शरीर में अजीब सी अकड़न होने लगी. मैंने भी उसे अपने आप से चिपका लिया और उसके किस का जबाव अपने चुम्बनों से देने लगी. उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा दी तो मैं एकदम से बहक गई और मैंने भी उसकी जीभ को अपनी जीभ से चूसना शुरू कर दिया.
हम दोनों में चुदास बढ़ गई थी. अब वो सीधा मेरे ऊपर चढ़ गया और मुझे किस करने लगा. उसका लंड तन चुका था, जिसका दवाब मैं अपने शरीर पे महसूस कर रही थी. उसने मेरे बोबे दबाने शुरू कर दिए. मैंने बगल में देखा कि मुझे कोई देख तो नहीं रहा. सब सोए हुए थे, तो मैंने भी उसके हाथों को अपने जिस्म से खेलने दिया. मुझे भी मजा आने लगा था.
मेरे सहयोग से विशाल की हिम्मत और बढ़ गई और उसने मुझे अपनी तरफ खींचा और किस करते हुए मुझे मसलने लगा.
इसके बाद उसने धीरे से मेरी पीठ पे हाथ रख कर मेरी वन पीस की चैन को खोल दिया. फिर उसने मेरी ब्रा के हुक को खोला और मेरी ब्रा को निकाल दिया. मैं आधी नंगी हो चुकी थी. पहली बार किसी लड़के ने मेरे बोबे देखे थे. वो उन्हें चूसने लगा.
अब मुझे भी मजा आने लगा तो मैंने खुद को ढीला छोड़ दिया. थोड़ी देर बाद उसने मेरे वन पीस को ऊपर की तरफ खींच कर खोल दिया. मैं अब पेंटी में थी. इसके बाद उसने भी अपने कपड़े उतारे और धीरे से मेरी पैंटी को खिसका दिया. इतना सब होने से मेरी फुद्दी गीली हो गई थी, जिसे वो चाटने लगा. उसके चुत चाटने से मुझे अजीब सी सिहरन हो रही थी, मैं भी उसकी जीभ से अपने आपको पूरा चुसवा देना चाहती थी.
मैं इस वक्त भूल चुकी थी कि शुरुआत मैं मैंने उसके साथ ये सब ऊपर ऊपर से ही मजा करने की सोची थी. बस वासना का ऐसा तूफ़ान चल रहा था कि मैं बहकती चली गई. वो बड़ी तन्मयता से मेरी फुद्दी को चाट रहा था.
मुझे अपनी चुत में चींटियां सी रेंगती सी महसूस हो रही थीं. मैं विशाल के सर को अपनी चुत में अपने हाथों से दबाए जा रही थी. कुछ ही देर बाद मेरी फुद्दी ने पानी छोड़ दिया. मैं एकदम से खाली हो गई और मुझे लगा कि पता नहीं मेरा क्या कट गया है. आज तक मुझे ऐसा मजा नहीं मिला था. विशाल मेरी फुद्दी के झड़ जाने के बाद भी चूसता और चाटता रहा. इससे ये हुआ कि कुछ ही देर बाद मैं फिर से गरम हो गई.
अब उसने मेरी टांगें फैला दीं और मेरी चुत के ऊपर अपना लंड रख के चुत को सहलाने लगा. वो काफी देर तक अपने लंड को मेरी झांटों पे रगड़ता रहा. मैं तड़पने लगी, मैंने कहा- अब और नहीं जल्दी करो.
अब उसने अपने लंड पे थूक लगाया और एक झटके में अपना लंड मेरी फुद्दी में पेल दिया. मेरी फुद्दी चर्रर से फट गई.. मानो किसी ने गरम सरिये से दाग दिया हो. मेरी मुँह से जोर की चीख निकल गई. उस आह भरी चीख से सबकी नींद खुल गई और सब हमें चुदाई करते हुए देखने लगे.
मेरी आँख खुली की खुली रह गईं. सब हमें ऐसे देख कर चौंक गए थे. मैं इस वक्त बेबस थी, मेरी चूत में लंड घुसा हुआ था और हम दोनों एकदम नंगे होकर चुदाई का खेल खेल रहे थे. एक तरफ तो चुत लंड की वासना के कारण हम दोनों अलग नहीं होना चाहते थे, दूसरी तरफ अपने साथियों के सामने खुद को लज्जित सा महसूस कर रहे थे. अजीब सा मंजर था.
मैंने कहा कि प्लीज़ ये सब किसी को मत बताना.
इस पर विशाल के दोस्त ने कहा- मुझे भी करने दोगी, तो नहीं बताऊँगा.
मेरे पास कोई चारा नहीं था.. मैंने हां कर दी.
अब विशाल धीरे धीरे मेरी फुद्दी चोदने लगा और वे तीनों हमें देखने लगे. धीरे धीरे मेरा दर्द कम होने लगा और मैं और तेज और तेज बोलने लगी. विशाल ने रफ्तार को बढ़ा दिया.
मैंने मस्ती से गांड उचकाते हुए कहा- आह फाड़ दो मेरी फुद्दी को.. बहुत मजा आ रहा है.
अब तक उन तीनों ने भी कपड़े खोल लिए और विशाल का दोस्त मेरी दोनों सहलियों की फुद्दी चाटने लगा. इधर विशाल मुझे चोद रहा था, साथ ही मेरे बोबे दबा रहा था.
तभी मैंने सुना कि एक और लड़की के कराहने की आवाज आ रही है. पलट कर देखा कि उसके दोस्त ने मेरी एक सहेली की फुद्दी भी फाड़ दी.
अब विशाल मुझे काफी तेज झटके देने लगा और कुछ ही देर में उसके लंड ने अपना पानी मेरी फुद्दी में छोड़ दिया.
फिर विशाल ने मेरी फुद्दी से अपना लंड निकाला और मेरी तीसरी सहली की फुद्दी को भी फाड़ दिया. इधर उसका दोस्त मेरी सहेली के फुद्दी में झड़ गया और फिर वो मेरे पास आ गया.
उसने भी मेरी फुद्दी बेरहमी से चोदी और करीब 15 मिनट बाद मेरी फुद्दी में अपना मुठ छोड़ दिया. उधर विशाल का भी काम हो चुका था.
अब हम लोग वैसे ही नंगे सो गए. सुबह जब आँख खुली तो दोपहर के एक बज गए थे. हम सभी ने कपड़े पहने और अपने अपने घर चल दिए. कुछ महीनों बाद हम तीनों प्रेगनेंट हो गई थे, जिसका हमारे घर वालों को पता चला. जिसके चलते बाद में बारी बारी से हम तीनों की सारी आजादियां खत्म हो गईं और हम तीनों की एक एक करके शादी हो गई.
तो ये थी कहानी मेरी सहेली की!
मेरी शादी के बाद क्या हुआ ये तो आपको मैंने लिखा ही था. मेरी इस वासना की नदी में किस किस ने डुबकी लगाई, ये सब मैं आपको लिखती रहूंगी. बस आपके प्यार भरे मेल मिलते रहने चाहिए. प्लीज़ मुझसे कुछ पाने की इच्छा न करें.
धन्यवाद, आपकी प्रीति
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