मेरा गुप्त जीवन -53

(Mera Gupt Jeewan-53 Geeti Aur Vinni Ki Chut Chudai)

यश देव 2015-09-08 Comments

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गीति और विनी की चुदाई

तब तक मैं और कम्मो भी कपड़े उतार चुके थे। कम्मो के सामने दोनों लड़कियाँ बहुत ही कमसिन लग़ रही थी।
कम्मो ने पहले गीति के मम्मे छुए और फिर वो विनी के पास गई, दोनों को अपनी बाँहों में ले कर वो उनको गोल गोल घुमाने लगी और साथ ही कभी उनके मम्मे या फिर उनके चूतड़ को दबाने लगी।

ऐसा करते हुए वो उन दोनों को लेकर मेरे पास आ गई और गीति को मेरे को सौंपते हुए बोली- यह देसी माल तैयार है।
मैंने झट से गीति को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर उसके होटों पर एक बहुत ही गर्म चुम्मी दी, फिर मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू किया और गीति के हाथ मेरे लौड़े को लेकर खेलने लगे।

मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो एकदम गीली थी और उसकी भग भी एकदम उभरी हुई और सख्त हो गई थी।
मैं बैठ गया और अपना मुंह खड़ी हुई गीति की बालों से भरी चूत में डाल दिया और उसकी मोटे भग को चूसने लगा।
गीति एकदम तड़फड़ाने लगी।

उधर कम्मो विनी के साथ लगी हुई थी और उसके मम्मों को चूस रही थी और एक ऊँगली से उसकी भग को रगड़ रही थी।
उन दोनों को बिजी देख कर मैंने हल्की फुल्की गीति को चूतड़ों से उठाया और अपने लौड़े के बराबर लाकर चूत के मुंह पर टिका दिया। थोड़ी देर में उसकी चूत को बाहर से लंड से रगड़ रहा था और फिर धीरे धीरे मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरू किया।

जैसे ही लंड पूरा उसके अंदर चला गया, वो मुझ से एकदम चिपक गई, मैं उसको उसी दिशा में लेकर पलंग के पास घूम आया और फिर उसको बेड पर लिटा दिया और खुद उसकी टांगों में बैठ गया।

पहले हल्के धक्के और फिर तेज़ धक्के मार कर मैं उसकी कुंवारी चूत का आनन्द लेने लगा।
उसकी चूत गाजर मूली को डालने से थोड़ी खुली हुई थी लेकिन लौड़े को पहली बार अपने अंदर ले रही थी तो उसको लंड की गर्मी को पहली बार महसूस करने का मौका मिल रहा था।
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उसकी आँखें बंद थी और वो मस्त होकर अपने चूतड़ उठा उठा कर चुदवा रही थी। मैं भी लौड़ा उसकी चूत के पूरे आखिरी छोर तक डाल रहा था।
5 मिन्ट में वो बड़ी तीव्रता से स्खलित हो गई, उसके शरीर की कम्कम्पाहट काफी देर तक चलती रही।

मैं बिस्तर पर लेट गया और कम्मो को इशारा किया और वो विनी को उठा कर मेरे पास ले आई और मेरे साथ लिटा दिया।
विनी ने लेटते ही मुझ पर चढ़ाई कर दी, वो मेरे ऊपर आकर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे खड़े लंड को अपनी चूत के द्वार पर रख दिया और झट से उसके ऊपर बैठ गई, बड़ी जल्दी ही लंड पूरा उसके अंदर चला गया।

कम्मो ने गीति के मुंह और चूत को तौलिये से साफ़ किया और वो उसके साथ ही लेट गई और अपनी टांगें उसके पेट पर रख दी और उसकी चूत को ऊँगली से रगड़ने लगी।

इधर विनी आँखें बंद किये मेरे ऊपर नीचे हो रही थी। जब उसका मेरे लौड़े पर नाचना बहुत तेज़ हो गया तो मैं समझ गया कि यह कुंवारी चूत भी झड़ने वाली है।
मैंने उसको पलट दिया और उसको अपने नीचे ले कर ज़ोरदार धक्के मारने लगा।
और जैसे ही विनी छूटी, वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई और उसकी चूत से एक ज़ोरदार पानी का फव्वारा छूटा जिसका रस सारा मेरे पेट पर गिरा।

दोनों बहनें बेजान सी पड़ी हुई थी और मेरा घोड़ा तो अभी भी हिनहिना रहा था।
मैंने देखा कि कम्मो बेचारी ऊँगली चूत में मार रही थी, मैंने उसको अपने पास लिटा लिया और उसकी चौड़ी टांगों के बीच चूत में अपना मोटा और लम्बा लंड डाल दिया, फिर मैंने उसको साइड में लिटा कर उसकी पीछे से लंड डाल दिया।

साइड चुदाई में मज़ा यह है कि कोई किसी के ऊपर या नीचे नहीं होता चमचा बना कर चोदना कहलाता है और किसी को भी जल्दी करने की ज़रूरत नहीं होती।
मैंने कम्मो की गांड अपनी तरफ कर रखी थी और मेरी दूसरी तरफ विनी लेटी थी और उसके साथ गीति थी। विनी ने अपनी मम्मे मुझ से पीछे से चिपका रखे थे और मैं कम्मो की मोटी और टाइट चूत में लंड डाल कर धीरे धीरे धक्के मार रहा था।
धक्के मारते हुए मेरी आँख भी लग रही थी तो कुछ मिन्ट बाद कम्मो अपनी गांड का झटका मार कर मुझको जगा देती थी और मैं फिर धक्के मारना शुरू हो जाता था।

यह सिलसिला कोई मेरे ख्याल में आधा घंटा चला होगा, फिर मैंने मेहसूस किया कि कम्मो को भी शरीर में कंपकंपी हुई और फिर उसने हिलना बंद कर दिया।
मैं समझ गया कि कम्मो की चूत को भी किनारा मिल गया और वो गहरी नींद में सो गई।
मैं कम्मो की चूत में ही खड़े लंड को डाले सो गया।

करीब आधी रात को मुझ को ऐसा लगा कि मेरे ऊपर कोई बैठा हुआ है।
मैंने आँखें खोली लेकिन मुझ को कोई दिखा नहीं और मैं फिर सो गया करवट बदल कर।

एक बार फिर मुझ को ऐसा महसूस हुआ कि कोई मेरे लंड के ऊपर बैठ हुआ है और ऊपर नीचे हो रहा है। मैंने उठ कर देखने की कोशिश की, मुझको कोई भी नहीं दिखा और फिर मैं जल्दी ही सो गया।

अब मैंने करवट बदल दी तो मेरा हाथ सीधा छोटे गोल मम्मों पर पड़ा, मैंने उनको आहिस्ता से दबाना शुरू किया और फिर सोये सोये ही मेरा हाथ न जाने कैसे किसी बालों भरी चूत पर जा पड़ा और मैं अनजाने में चूत के बालों को उँगलियों में लपेट रहा हूँ ऐसा मुझको लगा।
यह शायद सब सपना है, ऐसा मैंने सोचा और फिर करवट ली तो हाथ मोटे और गोल, मम्मों पर पड़ा।
अब मेरी नींद खुल गई।
मैं उठ कर बैठ गया और नाईट बल्ब की रोशनी में देखा की मेरे बाएं तरफ कम्मो लेटी है और दायें तरफ गीति लेटी है, कम्मो के गोल मम्मे मैंने हाथ में पकड़े हुए हैं और गीति की बालों भरी चूत भी खुली पड़ी है और मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत में है।
मैं मंद मंद हंसा और फिर लेट गया और जल्दी ही मेरी फिर से नींद लग गई।

सुबह जब मैं उठा तो सामने कम्मो खड़ी थी हाथों में चाय का कप लेकर!

उसने इशारा किया, मेरे बेड में दोनों लड़कियों की तरफ जो अल्फ नंगी बेखबर सोई थी। मेरे वाली साइड में विनी थी और उसकी दूसरी तरफ गीति।
मैंने आँखें मल कर फिर देखा तो यही देखा। मैं उठा और जल्दी से कपड़े पहन लिए और टेबल और कुर्सी पर बैठ गया।

चाय पीते हुए मैंने कम्मो से पूछा- कल रात तुम्हारा कितनी बार छूटा था।
वो बोली- यही कोई 3-4 बार क्यों?
मैं बोला- मुझ को ऐसा लगा कि रात भर मुझ को कोई चोदता रहा है।

कम्मो बोली- वाह छोटे मालिक, आपको पता ही नहीं चलता कि रात को कौन कौन आप के लंड का इस्तेमाल करता है।
मैं हैरान होकर बोला- किस किस ने किया मेरे लंड का इस्तेमाल सोने के बाद?
कम्मो बोली- दो बार तो मैं चढ़ी हूँ आपके ऊपर और हर बार मेरा छूटा है।
मैं हैरानी से बोला- और कौन चढ़ा था?
कम्मो बोली- दोनों बहनों ने दो दो बार आप को चोदा है।

मैं एकदम सकते में आ गया, उफ़ यह कैसी नींद थी जो मुझको पता ही नहीं चला कि कौन मुझको चोद गया।
मैं कम्मो से बोला- कल से मैं लंगोट पहन कर सोया करूंगा।

मैंने यह बात कुछ ज़ोर से कह दी और दोनों बहनें भी उठ कर बैठ गई और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी।
उसी वक़्त पारो भी बहनों की चाय लेकर आ गई थी और जब उसने बात सुनी तो वो भी बहुत हंसी।
मैं बुरी तरह से झेंप गया! मैं क्या करता, सारा कसूर तो साले मेरे लंड का था जो मानता ही नहीं।

मैंने हँसते हुए पारो को कहा- तुम क्यों बच गई, तुम भी आ जाती न?
पारो हँसते हुए बोली- मैं कैसे आती? मैं तो बाहर अपनी कोठरी में थी ना!

और फिर हम जल्दी जल्दी कॉलेज जाने की तैयारी में लग गए।
कहानी जारी रहेगी।
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