कमसिन जवानी का वो खेल
(Kamsin Jawani Ka Wo Khel)
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रॉकी है, मेरी उम्र 32 वर्ष और मैं उदयपुर राजस्थान से हूँ। कभी कभी आपके हमारे जीवन में ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जिनको हम कभी भुला नहीं पाते। कुछ ऐसा ही एक वाकया मेरी जिंदगी के साथ भी जुड़ा हुआ है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता.
चूंकि मैं अन्तर्वासना की कहानियों का नियमित पाठक हूँ तो मुझे लगा कि आपके साथ भी मुझे इस वाकये को सांझा करना चाहिए।
दीपिका… हाँ यही नाम था उसका जो मेरी जिंदगी की किताब में एक दबे हुए तूफान के रूप में हमेशा अंकित रहेगी। उसका परिवार हमारे मकान में किरायेदार था और तीन बहनों में वो सबसे छोटी थी।
हम दोनों ही उस समय 12वीं में पढ़ते थे तो हम दोनों का काफी समय साथ में ही गुजरता था और साथ साथ गुजरा यह समय कब हमें एक दूसरे की तरफ आकर्षित कर गया इसका अहसास तक हमें नहीं हुआ था।
मैं बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज था और इसी वजह से दीपू को मैं हर विषय में काफी मदद भी करता था बस यही कारण था कि वो मेरे काफी करीब आ गई थी और उम्र के इस पड़ाव में शारीरिक बदलाव भी होने लगते हैं जो कि दीपू में भी मुझे महसूस होने लगे थे।
सच तो यह भी था कि मुझे भी वो बहुत अच्छी लगने लगी थी और यही वजह थी कि मैं ऐसा कोई भी मौका नहीं छोड़ता था जिसकी वजह से मुझे उसके नजदीक जाना पड़े और यही हाल उसका भी था पर दोनों एक दूसरे का हाल जान कर भी अनजान बने हुए थे क्योंकि हिम्मत ही नहीं हो पाती थी।
यह वो दौर था जब मोबाइल और इंटरनेट आया भी नहीं था तो आप सभी आसानी से इस बात को समझ सकते हैं कि उस समय की महोब्बत कितनी मुश्किल रही होगी।
लेकिन बात तो आगे बढ़ानी ही थी और मैं इसके लिये सही मौके का इंतजार कर रहा था।
मुझे अच्छे से याद है कि तब गर्मियों में हम सभी छत के ऊपर ही सोते थे और वो तीनों बहनें भी हमारे साथ ही ऊपर आ जाती थी। हम सभी के बिस्तर भी साथ ही लगे हुए होते थे और मैं अपने बिस्तर इस तरह लगा देता कि मेरा बिस्तर बिल्कुल उनके बिस्तर से सटा हुआ होता और शायद वो इस बात को समझ चुकी थी क्योंकि वो मेरे पास ही आकर कब्जा जमा लेती थी।
गर्मियों के दिनों में नींद देर से ही आती है तो हम सभी अंताक्षरी और दूसरे खेल खेल कर अपना समय व्यतीत कर लेते थे और फिर कब सब धीरे धीरे सो ही जाते थे लेकिन हम दोनों आपस में बहुत सी बातें करते लेकिन मन में जो बात थी वो कह ही नहीं पा रहे थे।
एक रात को जब सभी सो गये और हम दोनों हमेशा की भान्ति आपस में बात कर रहे थे, तब मैंने उससे कहा- आज मैं तुमको एक नया खेल सिखाता हूं.
तो उसने पूछा- कौन सा खेल है जो नया है?
तब मैंने उसे कहा कि वो मेरी तरफ पीठ करके लेट जाए और मैं अपनी उंगली से उसकी पीठ पर कुछ लिखूंगा, उसे महसूस करके उसको बताना है कि मैंने उसकी पीठ पर क्या लिखा है।
उसे भी ये कुछ नया लगा तो वो राजी हो गई और मेरी तरफ पीठ करके लेट गई.
और मैं उसकी पीठ पर अपनी उंगली चलाने लगा। पीठ पर मेरी उंगली की थिरकन से उसे भी मज़ा आने लगा था और मैं जो भी लिखता वो उसे जानबूझकर 2 या 3 बार लिखवाती और फिर उसका जवाब देती।
मैं भी अच्छे से समझ चुका था कि अब यही वो समय है कि मुझे अपने मन की बात उसे बात देनी चाहिए और मैंने उसकी पीठ पर लिखा ‘आई’
उसने आसानी से सही जवाब दे दिया.
तब मैंने अगला शब्द ‘आई लव’ लिखा और इस शब्द के बाद उसने चुप्पी साध ली और ना समझने का नाटक करने लगी.
तब मैंने कहा कि पूरा लिखून तब वो आसानी से बता देगी और फिर मैंने ‘आई लव यू’ लिख ही दिया।
और जैसे ही मैंने पूरा शब्द “आई लव यू” लिखा तो वो अचानक ही एकदम से पलट गई और मुझे अपने से कस कर चिपका लिया और कहने लगी कि वो कब से इंतजार कर रही थी कि कब मैं उसको ये कह दूँ और मुझे मारने लगी कि इतनी देर कर दी इतना सा कहने में!
मेरे लिए यह एक असीम सुखद क्षण था।
वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगी थी और मैंने कस कर उसे अपनी बांहों में भर लिया था और अब हम एक ही चादर के अंदर आ गये थे। मैंने भी उसके चूमने का जवाब उसको चूम चूम कर देना शुरू कर दिया था और मेरी इस हरकत से वो अपने मुख से अलग ही किस्म की आवाज निकलने लगी थी जैसे कि उसे कोई दर्द हो रहा हो!
पर मुझ पर भी जैसे एक भूत सवार हो चुका था और मुझे अपनी पैन्ट में कुछ हलचल भी महसूस होने लगी थी जो कि मेरे जवान होने की पहली तड़प थी। उस समय मुझे ये बहुत ही खराब लगा कि जिसे मैं प्यार करता हूँ और वो भी मुझे प्यार करती हो तो उसके लिए ये ख्यालात मैं अपने मन में क्यों ला रहा हूँ?
इस सवाल का जवाब उस उम्र में दिल में आना सही भी था क्योंकि उस समय फिल्मी प्यार को देखते देखते फिल्मों के जैसा ही महसूस किया जाता था।
अगली कुछ रातें हमारी ऐसी ही गुजरी ढेर सारी प्यार महोब्बत की बातें और एक ही चादर में चिपक कर सोना और अपने आप को काबू में रखना बस किसी भी तरह… पर मैं नहीं जानता था कि दीपू तो मानो सब कुछ करने का सोच ही चुकी थी और एक रात उसने इसकी सांकेतिक शुरुआत कर ही दी जब उसके हाथ मेरे लन्ड तक पहुँच गए जो कि उसके लगातार आक्रमण की वजह से अपने पूरे आकार में आ चुका था।
तब उसने पूछा- ये तुम्हारे पजामे में ऐसा क्या है सख्त सा?
और मैंने हंस कर उसकी बात को टाल दिया.
पर वो अड़ गई कि मुझे उसे बताना ही पड़ेगा तो मैंने उसे धीरे से नीचे चलने की कहा कि वहीं बताऊंगा तुम्हें!
और फिर हम धीरे से नीचे मेरे स्टडी रूम में आ गये और रूम की छोटी सी लाइट ऑन कर दी।
अब रूम की मध्यम रोशनी में हम दोनों अकेले ही थे और वो रोशनी की वजह से मुझे आंखें भी नहीं मिला पा रही थी।
मैं धीरे धीरे से उसके बालों को सहलाता हुआ उसको चूमने लगा था और वो फिर से सिसकारियां भरने लगी थी, उसका हाथ फिर से मेरे पजामे के ऊपर फिरने लगा था लगा जैसे कि मौन निमंत्रण हो कि अब तो मुझे इसका दीदार करवा दो!
परन्तु मैं इतनी जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था और उसको मैंने कहा कि पहले वो अपना टीशर्ट उतार दे जिससे मैं उसको इस मध्यम रोशनी में निहार सकूँ.
पहले तो उसने ना नुकुर की लेकिन मेरे जोर देने पर वो मान ही गई और मैंने उसका टीशर्ट उतार दिया। उसकी अर्धविकसित गोलाइयाँ देख कर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया था। कम रोशनी में अर्धनग्न अवस्था में वो कमाल लग रही थी.
अब तो मुझे भी खुद पर नियंत्रण रख पाना मुश्किल हो गया था और मैं जैसे उस पर टूट पड़ा और पागलों की तरह उसे चूमने चाटने लगा.
वो भी पूरी तरह मेरा साथ दे रही थी और उसी जोश जोश में मैंने उसका पजामा भी नीचे खिसका दिया.
नीचे उसने चड्डी पहनी थी और अब वो मेरे सामने सिर्फ चड्डी में ही थी।
मैंने भी अपना पजामा उतार दिया था और सिर्फ अंडरवियर में ही रह गया। अब हम दोनों एक दूसरे में गुथमगुत्था होने लगे और मैं उसकी गोलाइयों को मसल रहा था, काट रहा था और उसकी लगातार तेज़ होती सिसकारियां मुझे और ज्यादा वहशी बना रही थी और वो भी लगा जैसे मुझमें समा जाना चाहती हो।
मैं उसे चूमते हुए धीरे धीरे नीचे सरकने लगा और उसकी चड्डी के ऊपर भी उसको चूमने लगा.
मेरी इस हरकत से वो पागल सी हो गई, उसने मेरा चेहरा अपनी दोनों जांघों के बीच में दबा दिया. इससे मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया और मैंने उसकी चड्डी भी उतार ही दी और खुद भी पूरा नग्न अवस्था में आ गया।
मैं इस हद तक पहुँच जाऊंगा, ये हम दोनों ने ही नहीं सोचा था लेकिन हम दोनों पूरी तरह उत्तेजित हो चुके थे कि ये सब कैसे हो गया पता ही नहीं चला था।
फिलहाल दीपू मेरे सामने पूरी नंगी थी और मैं उसके सामने… उसने शर्म से अपनी आंखें बंद कर रखी थी लेकिन मेरे लन्ड को कस कर अपनी मुट्ठी में कैद कर रखा था।
मैं उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा. पूरी तरह से जवान बिना चुदी हुई और रस से भरी हुई चूत मेरे सामने थी और मेरी उंगलियाँ उसके रस से भर गई थी। मुझे लग गया था कि अब दीपू पूरी तरह से तैयार है लन्ड लेने के लिये!
और यही सोच कर मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया और मेरा लन्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा जिससे उसकी चूत और रस से भीगने लगी.
तभी मैंने अचानक ही एक झटका लगा दिया और दीपू की एक घुटती हुई चीख मेरे लबों के बीच रह गई क्योंकि हम दोनों किस कर रहे थे और मुझे पता था कि वो जरूर चीखेगी. अब तो मेरी जानम मेरी दीपू जिसे मैं दिल की गहराई से सच्चा प्यार करता था, मेरे सामने मेरे ही कारण दर्द से तड़पने लगी और मुझे पीछे की ओर धकेलने लगी और मना करने लगी कि उसे आगे नहीं करना है।
मेरा भी तो यह पहला ही अवसर था तो मैं भी उसकी बात मान कर उसकी बगल में लेट गया और उसको धीरे धीरे चूमने लगा.
इससे वो फिर से उह आह करने लगी।
मैंने तब उसको समझाया कि पहली बार में दर्द होता ही है और इस दर्द को हर एक लड़की को एक ना एक बार सहना ही पड़ता है.
वो भी थोड़ी देर में ही राजी हो गई और मैं फिर से उसके ऊपर आ गया और लन्ड को उसकी चूत पर सेट करके उसको किस करने लगा. वो खुद भी अपनी चूत को मेरे लन्ड पर तेज़ी से रगड़ रही थी और मैंने मौके पर चौका मारने की सोच कर फिर से जोर का झटका मार ही दिया और लन्ड उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।
वो फिर से मुझे अपने ऊपर से परे धकेलने लगी और मैं शांत होकर उस पर लेटा रहा और उसको चूमता रहा।
कुछ देर मैं ऐसे ही बिना हिले डुले उसके नंगे बदन पर अपना लंड उसकी चूत में फंसाए लेता रहा तो अब वो सहज हो चुकी थी और मैंने धीरे धीरे अपने झटके शुरू कर दिए और वो मस्त होकर मेरा साथ देने लगी।
धीरे धीरे मेरे झटके तेज़ होने लगे और वो भी उछल उछल कर और तेज़ और तेज़ बोल रही थी.
पूरा कमरा फच फच की आवाज से भरने लगा था और मुझे लगा कि मेरे लन्ड में से कुछ निकलने को बेताब सा है… मेरे शरीर में एक हरकत सी होने लगी थी और यही सब मेरी प्यारी दीपू के साथ भी हो रहा था.
मतलब साफ था कि हम दोनों झड़ चुके थे और हम दोनों कस कर एक दूजे से बहुत देर तक चिपके रहे।
यह हम दोनों के ही युवा जीवन की पहली चुदाई थी।
आज हम अपनी अपनी जिंदगी में खुश हैं क्योंकि हमारी शादियाँ(हमारी शादी आपस में नहीं हुई बल्कि अलग अलग हुई) हो चुकी हैं लेकिन जीवन की पहली चुदाई हमेशा ही याद रहती है।
मित्रो, आप सब को मेरी पहले प्यार की कहानी कैसी लगी?
अपनी प्रतिक्रिया, अपने विचार आप मुझे [email protected] पर जरूर लिख कर भेजें और यह भी जरूर बताये कि क्या मुझे अपने और भी अनुभव आपके साथ शेयर करने चाहियें?
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