चाण्डाल चौकड़ी के कारनामे-7

(Chandal Chaukadi Ke Karname- Part 7)

राहुल मधु 2016-06-05 Comments

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नेहा का शील भंग

मैंने कहा- वो तुम्हारा कमरा हो सकता है पर मोहब्बत करने के लिए एक और कमरा तैयार करवाया है मैंने।
नेहा की आँखों में अपना सरप्राइज देखने की ललक देखी मैंने।
मैंने कहा- आँखें बंद करो।
एक कमरे का दरवाज़ा खुला और मैंने कहा- अब आँखें खोल सकती हो।

नेहा पूरी तरह मंत्रमुग्ध थी।
एक बहुत ही बड़े कमरे में चारों तरफ शानदार विनाइल वर्क हुआ हुआ था, कमरे में हर जगह छोटी छोटी लाइट्स लगी थी जिससे कमरे में उजाला भी हो और माहौल को मादक बनाने के लिए प्रयाप्त हो।
कमरे के अंदर ही एक छोटा सा पूल था, उस पूल से लगी दीवार पानी की थी जिस पर पूरे समय पानी बह रहा था।
कमरे में एक बड़ा सा 70″ का LED स्क्रीन भी लगा हुआ था जो बिस्तर के बिल्कुल सामने की दीवार पर फिट था।
बेड पर फूलों से हार्ट शेप बनाया हुआ था।
कमरे के हर ऊपरी कोने पर छोटे छोटे स्पीकर लगे थे जिन पर मैंने आते ही धीमी आवाज़ में रोमांटिक वाद्य संगीत लगा दिया था।

नेहा की आँखों से पानी बहने लगा, बोली- इतना तो न ही मेरे सुहागरात पर कोई करता, न ही हनीमून पर… जो आपने कर दिया।
वो मेरे गले लग गई, इस बार उसके गले लगने में वासना नहीं प्यार भी था।

मैंने नेहा को गर्दन पर काट लिया, नेहा की चीख निकल गई, मैंने उसको कहा- सॉरी यार, मेरा खुद के ऊपर थोड़ा कंट्रोल ख़त्म होता जा रहा है।
नेहा बोली- आप चिंता मत करो, आपको जैसे अच्छा लगे वैसा करो। आज अगर आप मुझे मार भी डालोगे तो कोई गम नहीं। आपने मुझे ये दिखा कर ही इतनी ख़ुशी दे दी कि अब ज़िन्दगी से और कोई ख्वाहिश नहीं है।

मैंने जहाँ काटा था, वहीं पर चूम कर उसे चूस भी लिया।
मैंने कहा- नेहा, ये सब मैंने तुम्हारे लिए किया है जिससे तुम खुल के एन्जॉय कर सको… इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी पसंद के काम करो न की मेरी पसंद के, मुझे तुम्हारी हर हरकत मंजूर है।

नेहा तुरंत मेरे से दूर हटी और धीमे म्यूजिक के थाप पर अपने बदन से कपड़ों को दूर करने लगी और मेरे हाथ को पकड़ पर मुझे बिस्तर पर बैठा दिया।

उसके कपड़े उतारने की अदा वाकई कातिलाना थी, वो अपने बदन को छुपा भी रही थी और दिखा भी रही थी।

धीरे धीरे उसने अपने बदन से पूरे कपड़े अलग कर दिए और मेरे सामने नंगी ही डांस करने लगी।
उसने मेरे करीब आकर अपनी एक टांग मेरे कंधे पर रख दी जिससे मुझे उसकी चूत का नजारा साफ़ दिखने लगा।

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मैं उसके पैरों को हाथ लगाते हुए उसकी जांघों तक पहुँचा ही था, तब तक उसने अपना पैर मेरे ऊपर से हटा लिया और मुझे जोश दिलाने लगी जिससे मैं भी कुछ करूँ।

मैं अपनी जगह से उठा और अपने टी शर्ट उतार फेंकी।

नेहा मेरे करीब आई और बोली- राहुल, मैं तुम्हारे कपड़े उतार दूंगी, तुम बस मुझे देखो।

जब वो मेरे करीब आई तो मैंने उसके उरोजों को अपने हाथों में थाम लिया और सहलाने लगा।
वो मेरी बनियान उतारने में लगी थी।

बनियान उतारते ही उसने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और मेरी टांगों के बीच लेट गई।
मेरी जीन्स के बटन को खोल कर मेरी ज़िप खोलने लगी और ऊपर से ही मेरे पूरी तरह कड़क लंड को हाथ लगाकर महसूस करने लगी। नेहा बोली- उस दिन आपने अपने शहजादे को मुझे दर्शन नहीं कराये थे। आज तो मैं उसे जी भर के प्यार करूँगी।

मैंने कहा- तुम जो चाहे करो, आज तुम्हें किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगा।

नेहा ने जल्दी ही मेरी जीन्स और कच्छा मेरे बदन से अलग कर दिया, मेरे लंड को देखकर बोली- राहुल, मेरी उंगली तो इतनी पतली है, वो तो आराम से मेरी चूत में चली जाती है, पर यह तो बहुत मोटा है। मुझे नहीं लगता कि यह मेरी चूत में जा सकेगा।

मैंने कहा- अभी तुम्हें इतना गर्म कर दूंगा कि ये छोड़ो, इसका दुगना मोटा और बड़ा लंड भी तुम्हारी चूत में समा जायेगा।

वो मेरे लंड के सुपारे को स्ट्रॉबेरी की तरह चाटते हुए चूसने लगी और धीरे धीरे मेरी लंड की खाल को ऊपर नीचे करने लगी।

नेहा बोली- उस दिन आपने मेरा पानी पिया था, आज मुझे अपना पानी पिला दो।
मैंने कहा- नेहा, तुम जैसा चाहोगी, वैसा होगा पर क्योंकि यह तुम्हारी पहली चुदाई है इसलिए मुझे लगता है पहले मुझे तुम्हारे कौमार्य को छू लेने दो। क्योंकि सील तोड़ने के लिए हथौड़ा भी पूरी तरह कड़क और मजबूत होना चाहिए।

नेहा बोली- आप अनुभवी हैं, इसलिए आपकी बात मानती हूँ। पर मुझे आपके लंड से निकलने वाले रस का पान करना ही है।

मैंने नेहा को पलटा और अब मैं उसके ऊपर था और वो मेरे नीचे।
मैंने उसे थोड़ा ऊपर सरका कर उसकी कमर के नीचे एक तकिया रख दिया, मैं बोला- नेहा, कोई जल्दी नहीं है, आराम से आनन्द लेना… बहुत अच्छा लगेगा।

अब मैंने अपन मुँह नेहा की चूत पर रखा और उसे चाटने लगा, धीरे धीरे अपनी जीभ से अपना थूक उसकी चूत के अंदर डाल के आ रहा था।
धीरे धीरे नेहा की चूत पूरी तरह भीगने लगी।
उसकी चूत से बहता हुआ आनन्द का रस अब उसकी जांघों पर नीर की तरह दिख रहा था।

मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा तेल लगाया और चूत के ऊपर जाकर अपने लोहे जैसे मजबूत लंड को सेट कर दिया।
नेहा की आँखें बंद थी।

मैंने बिना कुछ कहे अपनी उँगलियों से उसकी आँखें खोल दी और आँखों ही आँखों में कहा- तुम मुझे देखो और मैं तुम्हें… तब आएगा चुदाई का असली आनन्द। नेहा मेरी बात अब आँखों से समझने लगी थी।

मैंने धीरे से एक झटका लगाया और सिर्फ सुपारे के अगले हिस्से को चूत के अंदर डाल दिया।
नेहा की आँखें फिर से बंद हुई और उसके बड़े बड़े नाख़ून मेरे कंधे पर चुभ गए, उसने अपने दोनों होंठों को दांतों के बीच भींच लिया था। जैसे वो कोई ताकत लगा रही हो।
असल में उसे दर्द हुआ था जिसे वो सेहन करने की कोशिश कर रही थी।

मैंने उसके बालों पर हाथ फेरते हुए उसे नार्मल करने की कोशिश की, नेहा की आँखों के दोनों कोनों पर आँसुओं की दो छोटी छोटी बूंदें दिखाई देने लगी थी।

मैंने फिर थोड़ा दमदार सा पर छोटा सा झटका मारा जिससे लंड थोड़ा सा और अंदर जाये।
अबकी बार के झटके से पूरे सुपारे को नेहा की चूत खा गई थी, उसके दबे हुए मुंह से एक तेज़ चीख की आवाज़ आने लगी।

मैंने कहा- नेहा, तुम्हें अपनी चीखे रोकने की कोई ज़रूरत नहीं, आराम से चिल्ला सकती हो, यह कमरा साउंड प्रूफ है। तुम्हें किसी भी चीज़ पर कोई कंट्रोल करने की ज़रूरत नहीं है।
नेहा बोली- ऊँगली से ही अच्छा था… इसने तो मेरी चूत फाड़ दी राहुल!

मैं बोला- थोड़ी देर बाद ऊँगली भूल जाओगी और कहोगी कि अब तक उंगली करके अपने आप को धोखा ही दिया है, असल सुख तो मूसल से ही मिलता है।

मैंने बातों का फायदा उठाते हुए थोड़ा सा लंड को बाहर निकाल कर फिर से एक झटका मारा तो नेहा बुरी तरह चीख पड़ी।
मैंने अपने आप को एक भी सेंटीमीटर पीछे नहीं खींचा, नेहा अभी बिलखने ही वाली थी, मेरे भी सब्र का बाँध टूटने वाला था पर अपने आप को कंट्रोल करते हुए मैंने नेहा की गर्दन और बालों पर हाथ फेर कर उसे शांत करने की कोशिश की।

फिर मैं नेहा के ऊपर लेट कर उसके मम्मों को दबाने और चूसने लगा।
मेरा आधा लंड तो नेहा के अंदर जा ही चुका था तो मैं अभी अपने आधे की लंड पर धीरे धीरे और छोटे छोटे झटके मारता रहा।

अब नेहा का दर्द शायद कम हो रहा था।
नेहा की सिसकारियों की आवाज़ से अब कमरा गूंज रहा था।

नेहा बोली- राहुल मुझे आँखें खोलने का मन तो है पर मेरी आँखें बार बार बंद हो रही हैं। प्लीज मुझे आँखें बंद करके आनन्द लेने दो। मैंने कहा- हाँ नेहा, तुम आराम से आँखें बंद करो और जो चाहो वो करो।
नेहा की चूत अब पहले से थोड़ी और गर्म महसूस होने लगी थी।

मैंने उसकी गर्माहट का पूरा फायदा उठाया और एक पूरी ताकत से झटका मार दिया।
इस बार तो नेहा बोल पड़ी- राहुल तुमने मेरी चूत फाड़ दी है। अभी और कितना लंड बचा है मेरी चूत में जाने को। तुम्हारा लंड है कि क्या है, खत्म ही नहीं हो रहा?

मैं बस इतना ही बोला- बस हो गया जान हो गया!
नेहा ने अपने हाथ को अपनी चूत के पास ले जाकर शायद यही चेक किया होगा कि अभी अंदर जाने को कितना लंड बाकी है।
पर अब तक मेरा पूरा लंड नेहा की चूत में समा चुका था।

नेहा की साँसें अब तेज़ होती जा रही थी, तेज़ तेज़ साँसें लेते लेते नेहा बोली- राहुल आई लव यू… तुम्हारा लंड तो बहुत मजेदार है। थोड़ा फास्ट करो न!

अब तो मेरे लिए भी कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था, मैं भी उत्तेजना से भरपूर पूरी ताकत से स्पीड से नेहा के अंदर बाहर होने लगा। नेहा ने अपने दोनों हाथ खोल कर बिस्तर की चादर को जोर से पकड़ लिया था, नेहा की पूरा शरीर अकड़ता हुआ महसूस हो रहा था।

मैंने अपनी स्पीड और भी तेज़ कर दी जिससे नेहा पूरी तरह संतुष्ट हो सके।
मैं स्पीड बढ़ने के साथ साथ उसके बालों को भी सहलाता रहा जिससे उसे झड़ने में आसानी हो।

नेहा करीब एक डेढ़ मिनट तक झड़ती ही रही… उसके मुंह से निकलने वाली सिसकारियाँ बहुत ही मादक और उत्तेजित करने वाली थी।

उसने चादर को छोड़ कर मुझे अपनी बाँहों में पूरी ताकत से जकड़ लिया था शायद वो मुझे रुकने के लिए कहना चाहती थी।
मैं उसकी चूत में अपना फौलादी लंड डाले ही पड़ा रहा।

थोड़ी ही देर में नेहा के चेहरे पर चमक और मुस्कान आ गई थी जैसे कि उसने कोई किला फ़तेह कर लिया हो।

मैं अभी भी उसके गर्दन और बालों को पुचकार रहा था।

इससे पहले की में कुछ बोल पाता, नेहा बोली- राहुल तुमने सच कहा था कि उंगली में वो मजा नहीं जो तुम्हारे मोटे लंड में है। तुमने मुझे जन्नत के दर्शन करा दिए, मैं तुम्हारी तह ज़िन्दगी कर्जदार रहूंगी।

मैंने कहा- ज्यादा सेंटी होने की ज़रूरत नहीं है, अभी तो पिक्चर शुरू हुई है।

कहानी जारी रहेगी।
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