हम दोनों की प्यास अधूरी रह गयी
(Hum Dono Ki Pyas Adhuri Rah Gayi)
मेरा नाम तुषार है, मैं महाराष्ट्र के जलगांव का रहने वाला हूँ, बात आज से 15 साल पुरानी है, मेरी उम्र तब 22 साल की थी, हम किराये के मकान में रहा करते थे, घर में मैं, बड़ा भाई, मम्मी पापा थे, मम्मी पापा भाई जॉब करते थे तो 10 बजे घर खाली हो जाया करता था।
हम नीचे के फ्लोर पर रहते थे और ऊपर डॉक्टर मकान मालिक अपनी बीवी, एक बेटा और एक बेटी के साथ रहता था. मकान मालिक के बेटे के साथ मेरी बहुत बनती थी और उसकी बहन से भी मैं बहाने से बात कर लिया करता था जिसकी उम्र भी 21 साल होगी, खूबसूरत और नाज़ुक दिखने वाली उसकी बेटी बहुत प्यारी सेक्सी थी.
मकान मालिक बहुत पियक्कड़ था, जिससे उनका परिवार दुखी था। उसकी बहन का घर का नाम मुन्नी था, मुन्नी का शरीर ज्यादा भरा पूरा नहीं था, लेकिन मम्मे देख कर लंड सलामी दे ही देता था। मैं अक्सर उस से बस पढ़ाई की ही बातें किया करता था, साथ में उसके पिताजी की समस्या पर भी बात करते थे।
एक दिन मुन्नी के पिताजी ने शराब पी कर बहुत हंगामा किया उस समय मुन्नी घर ने अकेली थी और मैं बिल्कुल अकेला था, मुन्नी ने अपने पिताजी को ऊपर कमरे में बंद कर दिया और नीचे आ गयी और रोने लगीं.
मैंने उसे चुप कराने के लिए पास बुलाया और दोनों हाथों से उसके गाल पकड़ कर कहा- चुप हो जाओ, रोती क्यों हो, ये तो रोज़ की बात है!
मेरे इतना कहते से ही वो मेरे सीने से लग गयी और जोर जोर से रोने लगी।
मैंने मुन्नी का चेहरा ऊपर किया था मासूम चेहरा और आँखों के आंसू देख मुझे भी रोना आने लगा और मैंने उसे कहा- चुप हो जाओ, वरना मैं भी रो दूंगा.
मेरी इस बात से उसे हँसी आ गयी और वो चुप हो गयी लेकिन हम दोनों एक दूसरे से चिपके ही थे.
इधर मेरा लंड धीरे धीरे उसे चुभने लगा था, हलाकि वो कुछ बोल नहीं रही थी लेकिन उसे एहसास था कि कुछ उसे नीचे चूत के पास चुभ रहा है। थोड़ी देर बाद वो अलग हुई और इधर उधर की बातें करती रही, फिर अचानक उसकी मां ने उसे आवाज़ दी और वो ऊपर चली गयी।
दोस्तो, इस हादसे के बाद अब मैं तो उसे चोदने के लिए मौका ढूँढने लगा और वो भी मुझे देख देख मुस्कुराती थी.
एक दिन उसने ऊपर से एक कागज पर ‘आई लव यू!’ लिख कर भी नीचे मेरे ऊपर फेंक दिया. तब मुझे समझ में आ गया कि आग वहां भी लगी है, बस मौके का इंतज़ार था।
कुछ समय बीतने के बाद उसकी मम्मी को अपनी सहेली के यहाँ जाना था तो वो मुझे बोल गयी कि मुन्नी का ध्यान रखना, उसके पापा अभी घर पर नहीं है.
मैंने भी हां में सर हिलाया और उसकी मां चली गयी.
कुछ समय बाद ही उसके पियक्कड़ पापा के चिल्लाने की आवाज़ आयी तो मैं दौड़ के ऊपर गया और मुन्नी के साथ मिल कर उन्हें पकड़ कर एक कमरे में बंद कर दिया.
इस पकड़ धकड़ में मेरा हाथ उसके मम्मों से बार बार टकराया और मुझे बहुत मज़ा आया.
जैसे ही उसके पापा को कमरे में बंद किया, वो फिर मेरे गले लग गयी और रोते हुए थैक्स बोली. मैंने थंक्स के जवाब में अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए और दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.
मैं बहुत गर्म हो रहा था, मेरे हाथ अब बेकाबू हो रहे थे तो वो उसकी पीठ और चूतड़ों की तरफ घूमने लगे, इधर उसके होठों का दबाव मेरे होठों पर बढ़ रहा था जिससे यह पता चल रहा था कि वो भी गर्म हो गयी।
मैं धीरे धीरे उसे मम्मों को भी टच करने लगा, उसने कुछ नहीं कहा और मुझे चूमते हुए ही पलंग की तरफ ले गयी और फिर हम दोनों पलंग पर लेट कर एक दूसरे में सामने की कोशिश करने लगे। मेरा लंड उसकी सलवार के ऊपर से ही चुत को रगड़ने लगा और मैं उसके मम्मों को कुर्ती के ऊपर से ही चूसने लगा.
उसकी आँखें बंद थी, कुर्ती टाइट होने की वजह से मैं उसे ऊपर नहीं कर पा रहा था तो मैंने मुन्नी को बोला- ये ऊपर होगी क्या?
उसने मुस्कुराते हुए कुर्ती के साथ अपनी ब्रा भी ऊपर कर दी.
वाओ… गोल संतरे जैसे चुचे जिंदगी में पहली बार मेरे सामने थे, मैं तो झपट पड़ा उस पर पहले तो मैंने उन दोनों चुचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर प्यार से सहलाया, फिर दबाया और फिर जोर जोर से मसलने लगा. उसके मुंह से धीमी धीमी सिसकारियां ‘आह ओह्ह… उम्म अह’ निकलने लगी.
फिर मैंने एक चूची का निप्पल मुख में लिया और चूसने लगा. अब उसकी सीत्कारें बढ़ने लगी वो जोर जोर से उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगी, उसे खूब मजा आ रहा था. और मेरे मजे की तो कोई सीमा ही नहीं थी.
उधर मेरा लंड अपना काम उसकी सलवार के ऊपर से कर रहा था, लंड और चुत के पानी से सलवार वहां गीली हो चुकी थी।
15 मिनट तक ऐसे ही चलता रहा और मैं धीरे धीरे उसके पेट को चूमता हुआ नीचे जाने लगा.
तभी अचानक डोर बेल बजी और उसकी मम्मी की आवाज़ आयी, हम दोनों घबरा गए और वह अपने कपड़े सही करने लगी. मैं भी पीछे के दरवाज़े से भाग कर नीचे आ गया लेकिन लंड अभी भी खड़ा और प्यासा ही था, मैंने बाथरूम में जाकर उसके नाम की मुठ मारी और फिर सब नार्मल हुआ।
उसके बाद फिर कभी हमें वैसा चांस नहीं मिला.
कुछ समय बाद उसके पिताजी का देहांत हो गया और वो लोग अपने रिश्तेदार के यहाँ पुणे चले गए और हमारा सम्बन्ध पूरी तरह समाप्त हो गया।
यह मेरी पहले अधूरे सेक्स की अधूरी कहानी है. उसके बाद मेरे जीवन में बहुत सी लड़कियां आयी उन सब की कहानी भी मैं आपको बताऊंगा, ये मेरी पहली कहानी हैं इसकी कितनी सराहना होती है उसके बाद मैं दूसरी मेरी अन्तर्वासना कहानी लिखूंगा।
आप अपनी सलाह ज़रूर मुझे मेल करें ताकि मैं अपनी लिखावट की गलतियों को सही कर सकूँ।
धन्यवाद
[email protected]
What did you think of this story??
Comments