प्रियंवदा: एक प्रेम कहानी-3

(Priamvada Ek Prem Kahani- Part 3)

मेरी कामुक कहानी के पिछले भाग
प्रियंवदा: एक प्रेम कहानी-2
में आपने पढ़ा:

मुझे कमरे से कुछ हलचल दिखाई देने लगी मैं बिना देर किए कमरे की खिड़की के पास आ पहुंचा जहाँ से मुझे अंदर का नजारा साफ दिखाई दे रहा था लेकिन मैं उससे तिरछा खड़ा हो गया जिससे कि मैं उनको ना दिख पाऊं.

वैसे भी बाहर की लाइट बंद हो चुकी थी और अंधेरा था अंदर की रोशनी में उस काम देवी का दमकता बदन हजारों चंद्रमाओं की रोशनी की तरह चमक रहा था।
दोनों बैड पर बेड कबड्डी खेल रहे थे, कभी मैडम की पीठ इधर होती तो कभी मालिक की।

मेरे लिए और भी मुश्किल हो रहा था क्योंकि अब मेरी जलन और बढ़ रही थी क्योंकि मुझे पता था अभी एक-दो जिस्म एक जान हो जाएंगे।

कुछ देर ऐसे ही मस्ती करते करते दोनों आपस में चुम्बन लेने लगे और एक दूसरे के अंगों के साथ अठखेलियां करने लगे लेकिन इस सारे खेल में मैडम ज्यादा उछल कूद कर रही थी, वह कभी मालिक के साथ फ्रेंच किस करती तो कभी मालिक का लिंग जो बड़ी मुश्किल से 4 इंच का होगा उसे सहलाती।

इस प्रेम क्रीड़ा में हम तीनों मग्न थे. तीनों जल रहे थे अंदर वाले दोनों केवल काम की आग में जल रहे हैं तो मैं बाहर खड़ा दिल-दिमाग और लिंग तीनों से जल रहा था।

अब मालिक ने मैडम को बेड पर सीधा लिटा दिया और मैडम की योनि पर चुंबन करने लगे, वह कभी उसे चूमते तो कभी उसे चाटते; मैडम नीचे से अपनी कमर उठाती कभी लहरा रही थी तो कभी अपनी दोनों टांगों में बुड्ढे को दबा लेती.
बुड्ढे को अब नीचे लेटा कर मैडम उसके मुंह पर अपनी योनि रख कर बैठ गई और खुद ही आगे पीछे ऊपर नीचे हिलने लगी यूं कहें कि मस्ताने लगी।

करीब 5-7 मिनट वह दोनों इसी अवस्था में रहे, उसके बाद मालिक ने मैडम को नीचे लिटा दिया.
बेड पर पूर्ण नग्न लेटी हुई काम की आग में जलती हुई बला की खूबसूरत जिसका एक एक अंग मानो किसी बड़े मूर्तिकार ने बड़ी होशियारी से सांचे में डालकर बनाया हो, फैले हुए खुले बाल, सुबह के सूरज की तरह लाल होता हुआ चेहरा छत को निहारते किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने वाले स्तन गोरा सपाट पेट और दो लंबी लंबी गोरी गोरी जांघें किसी की भी जान लेने में सक्षम थी, पेट के नीचे उन दोनों जांघों के बीच में ऊपर की ओर उभरी हुई योनि जैसे मानो सारे संसार के मर्दों को चैलेंज कर रही हो।

यह सब नजारा देखकर मेरी हालत और खराब होती जा रही थी.
जैसे जैसे बुड्ढा उसके नंगे जिस्म को छूता, एक आग मेरे दिल में लग जाती.

अब तो बुड्ढा मेरी चिता जलाने को तैयार था, बुड्ढा मैडम के ऊपर चढ़ने को आतुर हो रहा था। बुड्ढे ने मैडम की दोनों जांघों को फैलाया और खुद बीच में आकर बैठ गया, वहाँ उसने अपना लिंग उस कामिनी की योनि में अंदर डाला और इधर जैसे मुझे हर्ट अटैक आ गया हो।

बुड्ढा अब ऊपर नीचे हुए जा रहा था, मैडम ने अपनी दोनों जांघें बुड्ढे पर वार दी और अपने दोनों हाथों से बुड्ढे की पीठ को नोच रही थी. मैडम बुड्ढे के साथ साथ नीचे से लहरा रही थी. दोनों के होंठ जैसे किसी कुशल दर्जी ने सील दिए हों.

लेकिन यह क्या… बमुश्किल 2 से 3 मिनट बीते होंगे कि बुड्ढे का तो काम तमाम हो गया और किसी जिंदा लाश की तरह मैडम पर निढाल हो गिर गया।
अब मेरी हसरत तड़पती हुई उस काम की देवी के लिए और प्रगाढ़ हो गई, मैडम खड़ी हुई उसने वहीं पड़े छोटे से तौलिए से अपनी योनि को साफ किया और बाथरूम की ओर चली गई.

इधर मालिक ने अपना लिंग को एक दूसरे तौलिए से पौंछा और तकिया लगाकर नंगे ही बेड पर लेट गए।
मैडम वापस आई और वापस आकर उन्होंने एक लॉन्ग टीशर्ट पहन ली, जिसका अंतिम छोर उनके नितंबों की गोलाई पर टिका था, टीशर्ट पहन कर वो मालिक के बगल में लेट गई.
कुछ ही देर में मालिक सो चुके थे और मैडम अपने मोबाइल में बिजी थी।

पता नहीं क्यों… मुझे ऐसा लग रहा था कि काश मैडम मुझे फोन करें।

मैं अब वहाँ से बाहर आ गया और बाहर आकर लॉन में हरी घास में जमीन पर हाथ पैर फैला कर आसमान को निहारता हुआ लेट गया. नींद और भूख मुझ से कोसों दूर थी.
अब मैंने मन ही मन एक फैसला किया कि कल सुबह मैडम को अपने प्रेम का इजहार कर नौकरी छोड़ कर चला जाऊंगा क्योंकि मुझे पता था यह मेरे लिए आसमान का तारा तोड़ने जैसा था लेकिन अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।
इसलिए मैंने सोचा सुबह मैडम को एक प्रेमपत्र और मालिक को इस्तीफा सौंप दूँगा।

मैं इसी उधेड़बुन में था कि कल कहाँ जाऊंगा। मैं अपने आप को कल सुबह वहाँ से जाने के लिए तैयार कर रहा था, एक मन कह रहा था कि जब तक महबूबा यहाँ रहेगी तब तक तो रुक… लेकिन दूसरा मन कह रहा था अब मैं इसे इस बुड्ढे के साथ और बर्दाश्त नहीं कर सकता।

मैं यूं ही आसमान को निहारता हुआ जमीन पर पड़ा था… न जाने कितना वक्त बीता और अचानक मेरे कानों में एक गुनगुनाती हुई सुरीली आवाज पड़ी
रुक जा रात ठहर जा रे चंदा
अब मानो डर के मारे मेरे प्राण निकल गए।

क्योंकि कल्पना कीजिए और सुनसान जगह पर आधी रात को आपके कानों में किसी महिला के गुनगुनाने की आवाज पड़े तो क्या होगा। मेरी पलटकर देखने की हिम्मत भी ना हुई लेकिन वो आवाज निरंतर मेरे कानों में आ रही थी, कभी हल्की हो रही थी तो कभी तेज आ रही थी।

जो लिंग थोड़ी देर पहले कामवासना में फुंफकार रहा था, उसी में से शुशु निकलने को हो रहा था क्योंकि अक्सर अन्य कर्मचारियों से उधर की भूतिया बातें सुनते रहते थे और वे अक्सर पायल की छह छम की आवाज या कभी किसी औरत गाने की आवाज या किसी छोटे बच्चे के रोने की आवाज का ज़िक्र करते रहते थे. कभी किसी फार्म हाउस के निर्माण के दौरान किसी मजदूर महिला के हादसे के बारे में बात करते रहते थे।

मारे डर के मेरी घिग्गी बन्ध गयी। मैं डरता डरता सोचने लगा कि अब नहीं बचूँगा और मैं आँखें बंद किये चालीसा पढ़ने लगा।

अचानक गाना बंद हो गया और मेरे कानों में आवाज आई- कौन है?
वहाँ मैं घबरा कर आँखे बंद किये हुए डरते डरते बोला- जी जी जी… मैं मैं… मैं अ अ अ अरुण हूँ।
उधर से एक जानी पहचानी आवाज़ आयी- तुम ठीक तो हो?

तब मैंने आँखे खोल के देखा कि मेरे ख्वाबों की महबूबा, मेरे सपनों की रानी मेरी, मेरी ड्रीम गर्ल, मेरी मोहब्बत की अध खुली किताब खुले आसमान के नीचे मेरे सामने खड़ी थी.
दोस्तो, यकीन मानो… भगवान में विश्वास लाखों गुना बढ़ गया था क्योंकि कुछ समय पहले जिसकी एक झलक पाने को तड़प कर परमात्मा से दुआ कर रहा था, वह मेरे सामने थी, अब मेरे सामने मेरी मोहब्बत नहीं भगवान की कुबूल की गई मेरी दुआ खड़ी थी।

मैंने अभिवादन स्वरूप झुककर कहा- मैडम आप?
मैडम ने प्रश्न चिह्न लगाकर मुझे पूछा- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
दोस्तो, ऊपर वाले पर विश्वास में कोई कमी ना रह गई थी, सारी हदों को पार कर तपाक से कहा- मैडम, मैं किसी का इंतजार कर रहा हूं।
मैडम ने पूछा- अच्छा… किसका इंतजार हो रहा है?
मैंने कहा- मैडम, मेरे सपनों की रानी का!

मैडम ने कुटिल मुस्कान से पूछा- अरे वाह… कौन है वह? जरा हमें भी बताओ? सारा दिन से सीधे-साधे दिखने वाले, यस सर यस मैडम करने वाले अरुण कुमार की ड्रीम गर्ल कौन है जरा हम भी तो देखें।
यहाँ फिर मैं कमजोर पड़ गया और चुप रहा।

लेकिन तभी उस सुंदरता की मूरत, केवल एक बनियान नुमा लौंग टी-शर्ट पहने हुए, शराब शवाब और हुस्न के गुरुर में मदमस्त हसीना ने मुझसे ऐसा सवाल कर दिया जिसे मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता, सालों बीत जाने के बाद भी उसका वो सवाल मेरे दिल में तरोताजा रहता है।
दोस्तो, उस पल मानो सारी दुनिया थम सी गई हो और मैं ऊपर वाले से कह रहा हूं ‘हे परमात्मा अब इस पल को आगे मत बढ़ने देना।’

जानते हो उसने क्या कहा?
“डू यू लव मी?”

मेरे लिए उस पल के बाद जीना कोई जीना नहीं था क्योंकि उसके एक सवाल में मैं अपनी हजारों जिंदगियां जी चुका था, दुनिया के तमाम सुख उसके चन्द लफ़्ज़ों के सामने छोटे पड़ गए थे।

मैं गर्दन झुका के खड़ा रहा.

मैडम ने फिर दोहरा दिया- डोंट यू लव मी?
हिम्मते ए मर्दा तो मदद ए खुदा… प्रेम के सात घोड़ों के रथ पर सवार मैंने डरते डरते लड़खड़ाती जुबान से कह दिया- आई वांट यू!
उसने मेरा वाक्य सुधारते हुए कहा- बुद्धू… आई नीड यू।

मैंने कहा- मैडम, मैं आपको या आपके बारे में कुछ नहीं जानता, ना आप मेरे बारे में कुछ जानते हो, फिर ये कैसी मोहब्बत है। लेकिन कल सुबह मैं यहाँ से चला जाऊंगा, जाने से पहले केवल एक बात आपसे पूछना चाहता हूं कि ऐसी क्या मजबूरी है जो आप अपना जीवन इस बुड्ढे के साथ दांव पर लगा कर बर्बाद कर रही हैं?

वो खिलखिलाकर हंसने लगी और 3 बार कहा- बुड्ढा वाह!
उसने कहा- तुम्हें अपने बॉस से डर नहीं लगता? तुम्हें पता है यह कितना ताकतवर इंसान है?
मैंने कहा- मैडम, इनकी ताकत मैं और आप कुछ देर पहले पूल में और फिर बेड पर देख चुके हैं।

मेरा इतना कहना था कि मैडम ने दोनों हाथ शर्मिंदगी वश अपने हाथ मुंह पर रखे और जोर से बोली- ओह माय गॉड।
मैडम ने मुझसे कहा- तुम मुझे चाहते भी हो और मुझे अपने बॉस के साथ देखकर जलते भी हो! और इस आधी रात को तुम्हारे सामने मैं अकेली खुले आसमान के नीचे खड़ी हूं, तुम कुछ नहीं करना चाहोगे?

दोस्तो, मैंने अपने हाथ जोड़ लिए उस देवी के सामने… मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे, मैंने कहा- मैडम, जाने क्यों लोगों को मोहब्बत करने में जमाना लग जाता है. मैंने कुछ घंटों पहले आपसे मोहब्बत की जो कुछ घंटों बाद खत्म हो जाएंगी। मैं आपके लिए दिमाग में गंदगी नहीं ला सकता.

मैडम ने कहा- तो फिर स्विमिंग पूल पर क्यों तिरछी नजरों से बार-बार निहार रहे थे? क्यों? बोलो?
मैंने कहा- मैडम, जब आपसे कोई आपकी सबसे प्रिय छीन ले क्या आप उसे जाते जाते देखना भी नहीं चाहेंगे।
मैडम फिर जोर से हंसी और खुद की तरफ उंगली करके बोली- ओह यू मीन मैं।

मैडम ने मुझे कहा- जिसे इतना प्यार करते हो, उसे छूना भी नहीं चाहोगे?
मैंने कहा- मैडम छूने से कोई चीज़ अपनी थोड़े ही होती है। यदि छूने से ही होती तो आप आज मिस्टर सहगल के साथ मिसिज सहगल बन कर खड़ी होती।

शायद यह बात मैडम के दिल पर चोट कर गई और मैडम ने कहा- खबरदार यदि उस बुड्ढे का नाम लिया और मैडम दुबारा बुड्ढा कह कर हंसने लगी।

शेष अगले अंक में…
आपके हौसला अफजाई ईमेल के द्वारा जरूर चाहूंगा।
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कहानी का अगला भाग: प्रियंवदा: एक प्रेम कहानी-4

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