जवान लड़की के पहले चुम्बन का अहसास-1

(Jawan Ladki Ke Pahle Chumban Ka Ahsas- Part 1)

नीतू पाटिल 2019-03-26 Comments

This story is part of a series:

मैं लंच के बाद से सोच रही थी कि अंकल ने मुझे रूम में क्यों बुलाया होगा, लंच करते वक्त ही अंकल बोले थे कि नीतू दोपहर को मेरे रूम में आना, थोड़ा काम है.

अभी अभी मेरी बारहवीं के एग्जाम खत्म हो गए थे, मम्मी और पापा दोनों जॉब करते थे, इसलिए मैं दोपहर को घर में अकेली ही रह जाती थी.

समीर अंकल, उनको मैं अंकल ही बुलाती थी. वो मेरे पापा के दोस्त के भाई हैं. उनका गांव यहां से बहुत दूर है, पर अभी हमारे ही शहर के एक कॉलेज में इंग्लिश के प्राध्यापक है.

हमारे बंगलो में एक गेस्ट क्वार्टर में उनके रहने की व्यवस्था की गई है. अब तो वे पापा के भी अच्छे दोस्त बन गए हैं. अंकल अकेले ही रहते थे, इसलिए उनके खाने की व्यवस्था भी हमारे ही यहां की थी.

उनके यहां पर रहने पर मम्मी को भी कोई ऐतराज नहीं था, क्योंकि उनका पढ़ाने का विषय इंग्लिश था. मैं इंग्लिश में थोड़ी कमजोर थी, तो मम्मी को लगा कि उनकी ट्यूशन का मुझे फायदा होगा. अंकल ने भी मुझे बहुत अच्छे से पढ़ाया, ट्यूशन में मेरे साथ मेरी दो सहेलियां सीमा और जया भी थीं और हम तीनों के पेपर्स अच्छे गए थे. मेरी तरह वो दोनों भी अंकल की पढ़ाई से बहुत खुश थीं.

मैंने दोपहर को सब काम खत्म करके थोड़ी देर आराम किया, फिर मैं दरवाजे को लॉक करके अंकल के क्वार्टर की तरफ गयी. दरवाजे पर खटखटाया, तो अंकल ने दरवाजा खोला.
अंकल- आओ नीतू बेटी, मैं तुम्हारी ही राह देख रहा था.

अंकल लगभग चालीस बयालीस की उम्र के होंगे, पर अभी तक उनकी शादी नहीं हुई थी. वे बैचलर थे, फिर भी उन्होंने अपना रूम बिल्कुल साफसुथरा रखा था. उनके रूम में ज्यादा सामान भी नहीं था. एक कोने में एक लकड़ी का बेड था, उसके पास उनका स्टडी टेबल, उसके पास एक फ्रिज. एक दीवार के पास सोफासैट और उसके सामने वाली दीवार पर टीवी.

अंकल बोले- ऐसे क्या देख रही हो, कहीं कुछ सामान तो नहीं बिखरा पड़ा?
मैंने कहा- कितनी साफ सुथरा है आपका रूम, मेरा रूम तो आपके रूम से गंदा होगा. अंकल क्या काम था?

अंकल ने मुझे बेड पर बिठाया और और स्टडी टेबल की कुर्सी खींच कर मेरे सामने बैठ गए और बोले- नीतू तुम्हें तो पता है कि मैं मैगज़ीन में और ब्लॉग पर आर्टिकल लिखता हूँ.

वैसे तो अंकल बहुत ही टैलेंटेड इंसान हैं, पढ़ाते भी अच्छा हैं, उतना अच्छा लिखते भी हैं. गाना भी अच्छा गाते हैं और स्पोर्ट्स में भी अच्छे हैं. हर रोज जिम जाकर उन्होंने अच्छी खासी बॉडी भी बना ली है.

मैं- हां पता है, कल ही पापा घर में आप के किसी आर्टिकल की तारीफ कर रहे थे.
वे बोले- उसी सिलसिले में मुझे तुम्हारी मदद चाहिए थी.
अंकल जैसे टैलेंटेड इंसान को भला मैं किस तरह की मदद कर सकती थी?
वे बोले- मुझे मेरे ब्लॉग पर एक आर्टिकल लिखना है, उसके लिए ही मुझे तुम्हारी मदद चाहिए.
मैं- अंकल, आप जैसे एक्सपर्ट को मैं क्या मदद कर सकती हूं? वैसे आर्टिकल का विषय क्या है?
अंकल बोले- अब तुम्हें कैसे बताऊं, तुम गुस्सा तो नहीं होगी ना?

अंकल खामखा सस्पेंस बढ़ा रहे थे. मैं बोली- मैं कभी आप पे गुस्सा हो सकती हूं क्या, आपने मेरी इतनी मदद की है. आप नहीं होते, तो मैं फेल ही हो जाती. आप बताओ न, क्या विषय है आर्टिकल का?

उनके चेहरे पर बोलूँ कि नहीं बोलूँ, कुछ ऐसे भाव थे. फिर हिम्मत करके वो बोले- तुम्हें अंग्रजी में ‘किस’ शब्द पता है?
मैं थोड़ा डर गई, क्या बोलूँ मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
“पता है तुम्हें?” अंकल ने दूसरी बार पूछा तो मैंने सिर्फ सिर हिलाकर हां बोला.
अंकल ने पूछा- फिर बताओ हिंदी में क्या कहते हैं?
मैं बोली- उसे ‘चुम्मी..’ बोलते हैं.

अंकल- बराबर … क्या तुमने देखा है किसी को किस करते हुए?
मैं थोड़ा शर्माते हुए बोली- अंकल फिल्मों में देखा है और एक दो बार गलती से मम्मी पापा को भी करते हुए देखा है.
अंकल- करेक्ट, मुझे किसी जवान लड़की को किस करने के बाद मन में उठते हुए फीलिंग्स के बारे में आर्टिकल लिखना है. क्या उसमें तुम मेरी मदद करोगी?
मैं- मुझसे क्या मदद चाहिए आपको?

मैं बहुत ही कंफ्यूज हो गयी थी.

अंकल थोड़ा डरते हुए बोले- मुझे तुमसे एक किस चाहिए.
“क्या?” मैं लगभग चिल्लाते हुए बोली, तो अंकल भी डर गए.

“अरे नीतू बेटा सुनो तो, मुझे एक रिसर्च करना है, इसके लिए मुझे तुमसे एक किस चाहिए.” वो मुझे समझाते हुए बोले.
थोड़ा रुक कर मुझे फिर से समझाने लगे- नीतू बेटा, तुम्हें तो पता है, मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूँ. तुम्हें तुम्हारे अंकल पर भरोसा नहीं है क्या?

मेरा दिमाग सुन्न पड़ गया था, पल भर कुछ समझ नहीं आ रहा था. एक तरफ एग्जाम में की हुई उनकी मदद याद आती, तो दूसरी तरफ उनकी यह अटपटी मांग.

अंकल बोले- तुम सोच के देखो, नहीं तो मैं तुम्हारी सहेली जया या फिर सीमा को हेल्प करने के लिए बोलता हूँ.

मेरी ही तरह जया और सीमा भी अंकल पर फिदा हैं, अंकल की पर्सनालिटी ही ऐसी है. जब वो दोनों अंकल से बातें करती थीं, तब मुझे बहुत जलन होती थी. मैं सोचती थी कि अंकल पे सिर्फ मेरा हक होना चाहिए, ऐसा मुझे हमेशा लगता था. शायद इसी लिए अंकल ने उन दोनों का नाम लिया होगा.
“ठीक है अंकल, मैं तैयार हूं.”
मैं अंकल के जाल में फंसने जा रही थी.

वो मेरे पास आए और मेरे बाजुओं को पकड़ कर मुझे खड़ा किया. उनके स्पर्श से मैं पूरी रोमांचित हो गयी थी. अंकल ने अपना एक हाथ मेरे पीठ पर लेकर आ गए और दूसरा हाथ मेरे सिर के पीछे ले आए. मेरे सिर के पीछे से दबाव डालकर मेरे चेहरे को उनकी तरफ ले जाते हुए उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

मेरे पूरे शरीर में मानो बिजली दौड़ गई, मेरी जिंदगी का वह पहला कामुक किस था. मेरे पैरों ने जैसे जवाब ही दे दिया था, अंकल ने मुझे पकड़े रखा था, नहीं तो मैं गिर ही जाती.
“क्या हुआ नीतू?”
मैं उन्हें बोली- अंकल, मुझे ठीक से पकड़े रखो, नहीं तो मैं गिर जाऊंगी.

अंकल ने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर रख कर मुझे अपनी तरफ खींचा. अब मेरा पूरा बदन उनके शरीर से चिपका हुआ था. अंकल के होंठों ने फिर से मेरे होंठों को अपनी हिरासत में लिया. मेरा नीचे का होंठ अपने होंठों में पकड़ कर वह मजे से चूसने लगे. मेरे अन्दर अलग ही मीठी से संवेदना जागने लगी थी. अंकल अपनी जीभ से मेरे दांतों की पकड़ को खोलने की कोशिश कर रहे थे, मैंने भी उन्हें खोल कर उनकी जीभ को रास्ता दिया.

अंकल की जीभ मेरी जीभ से द्वन्द खेल रही थी. मेरा अब मुझपे कोई कंट्रोल नहीं था. अंकल मेरी जीभ को उनके होंठों में पकड़ कर चूसने लगे. मैंने अंकल को कस कर पकड़ लिया, मुझे मेरी टांगों के बीच गीलापन महसूस होने लगा था. मेरी सांस अब तेज होने लगीं, ऐसा लगने लगा था कि पूरी जिंदगी भर उनकी बांहों में पड़ी रहूँ. अंकल ने मुझे थोड़ी देर ऐसे ही दबोचे रखा और फिर मुझे अपने से दूर कर दिया.

“क्यों तुम्हें नीतू कैसा लगा?”

मेरी तो उनसे नजरें मिलाने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी. अंकल ने मुझे पकड़ कर बेड पर बिठाया, मेरा तो गला सूखा पड़ गया था, मैंने अंकल को बताया तो वो फ्रिज के पास गए और फ्रिज से स्लाइस की बोतल निकालकर मुझे दी.

मैंने होंठों पर रखकर उसे पीने लगी, ठंडा मैंगो जूस मेरे सूखे गले को ठंडक दे रहा था. एक ही बार में आधे से ज्यादा गटक कर मैंने बोतल को अंकल के हाथ में दी.
अंकल बोले- अरे पूरी पियो ना.
मैं बोली- नहीं, मेरा पेट भर गया.

तभी अंकल ने उस बोतल को अपने होंठों पर रखा और उसे पीने लगे.
“ईशशय … अंकल क्या कर रहे हो, झूठा है वो मेरा..!”
“अभी तो मेरे होंठ अपने होंठों से जूठे किये ना तुमने, तो इस बोतल का क्या?”
उनकी बातों से मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी.

मैं बोली- अंकल, आप का काम हो गया हो तो मैं जाऊं?
अंकल मुझे रोकते हुए बोले- अरे नीतू रुको, तुम्हें यह सब अच्छा नहीं लग रहा क्या?

अब उनको कैसे बताती कि मेरे पूरे बदन की हर तार झनकार कर रही थी. मुझे तो यह सब चाहिए था, पर अपने मुँह से बताने में शर्मा रही थी.

“नीतू, किस के बहुत प्रकार है और मुझे सब ट्राय कर के देखने है, यह काम एक दिन में खत्म नहीं होने वाला. तुम मुझे मदद करोगी ना?”

अंकल के बोलते ही मैंने शर्माकर सिर्फ हां में सिर हिलाया.
“नीतू, जरा नीचे तो लेट जाओ.
मैं कुछ समझी नहीं, तो मैंने अंकल से पूछा- क्यों अंकल, क्या करना है?
“आज का भाग अभी तक पूरा नहीं हुआ, उसे तो पूरा करते हैं.”

मेरे सीना ज़ोरों से धड़क रहा था. पता नहीं अंकल क्या करने वाले थे. मैं उनके कहने के मुताबिक बेड पर जाकर लेट गयी. अब अंकल बेड पर मेरे बाजू में बैठ गए.
“कितनी सुंदर हो तुम नीतू, ऐसे लगता है कि तुम्हें देखता ही रहूँ. अंकल मेरी तारीफ कर रहे थे और मैं शर्म से लाल हो रही थी.
“अब तक हमने किस का सिर्फ एक ही पार्ट किया, अब दूसरा कर के देखते हैं.”

अंकल ने अपने होंठ मेरे माथे पर रखे. माथे पर किस करने के बाद धीरे धीरे नीचे आते हुए मेरे आंखों पर और नाक पर किस करने लगे. अंकल का हाथ मेरे कंधे पर इस तरह रखा था कि उनका अंगूठा मेरे स्तनों के ऊपरी हिस्से को स्पर्श कर रहा था. अंकल ने मेरे गोरे गोरे गालों पर किस करना शुरू किया, वह मेरे मुँह पर हर जगह पर किस कर रहे थे. उन्होंने मेरे कानों को भी नहीं छोड़ा, अंत में उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखे और उन्हें चूसने लगे.

“नीतू, मैंगो का स्वाद बहुत अच्छा है.” वह मेरे होंठों पर अपनी जीभ फेरते हुए बोले.

उनके होंठों से भी मैंगो का स्वाद आ रहा था. अचानक अंकल का हाथ कंधे से सरककर मेरे स्तन पर आ गया. मेरे पूरे शरीर में बिजली दौड़ गई, मेरे स्तनों को हुआ पहला आदमी का स्पर्श. मुझे तो खुद को भी अपने स्तनों को हाथ लगाने में शर्म आती थी और इधर मेरा स्तन आराम से अंकल के हाथ में आ गया था.

“आहहहह … अंकल हाथ हटाओ ना, कहां पर रखा है आपने.”
“ओह. … सॉरी नीतू, गलती से वहां पर चला गया, तुम उठ जाओ अब, आज का कोर्स पूरा हो गया.”
मेरे मना करने से शायद वह डर गए थे.

वो डरते डरते हुए बोले- कल आओगी ना … तुम बाकी का कोर्स पूरा करने?
मैं- ओके अंकल.
मेरा जवाब सुनते ही अंकल की जान में जान आयी.

“पर अंकल एक बात बताओ, आज हमने जो कुछ भी किया, उससे आपको आर्टीकल लिखने में मदद तो होगी ना?”
“नीतू बेटा आज तुमने मेरी बहुत मदद की है, इसका मुझे बहुत फायदा होगा. कल हम चेहरे के नीचे के अंगों पर किस ट्राय करेंगे.”

उनकी बातें सुनकर मेरी मन में लड्डू फूट रहा था, चेहरे के नीचे मतलब क्या था अंकल का?

“तुम कल आ रही हो, सुनकर मेरा बहुत बड़ा टेंशन खत्म हो गया, मैंने जानबूझ कर वहां पर हाथ नहीं रखा, गलती से चला गया. तुम गुस्सा तो नहीं हो ना … खैर ये लो मुझे मदद करने के बदले तुम्हारा गिफ्ट.”

उन्होंने मेरे हाथ में एक बड़ी कैडबरी रखी, उसे देख कर मैं भी पिघल गयी. अंकल को पता था कि कैडबरी मेरा वीक पॉइंट है.
“थैंक्स अंकल, मैं चलती हूँ.” मैं दरवाजे के पास चली गई और न जाने मुझे क्या सूझा और मैं पलट कर उन्हें बोली- और अगर आप जानबूझ कर भी उधर हाथ रखते, तो भी मैं आपसे गुस्सा नहीं होती.
मैं अपने घर चली गई.

रात को सोते वक्त अंकल का ही ख्याल मन में आ रहा था, बार बार उनका मेरे स्तन पर हुआ स्पर्श याद आ रहा था. वैसे तो सेक्स के बारे में मुझे थोड़ा बहुत मालूम था, फ्रेंड्स से सेक्स के बारे में बहुत सुना था, पर कभी देखा नहीं था. सहेलियों के साथ रहकर चुत लंड जैसे शब्द भी मालूम हो गए थे. जब हम सहेलियां सेक्स के बारे में बात करतीं, तब मेरी भी चुत में गुदगुदी होती थी. अंकल की दोपहर की कामुक हरकतों से मेरे मन में भावनाओं का सुनामी पैदा हो गया था, अंकल अब कल क्या करेंगे, इसका मुझे बहुत कौतूहल पैदा होने लगा था. पर मुझे भी वह सब महसूस करना था.

पिछले कुछ दिनों से रात को सोते वक्त मेरा हाथ अपने आप शरीर के कुछ अंगों को सहलाने लगता था. मुझे अलग कमरा मिला था, यह बात अच्छी हुई थी. पर कभी कभी ज्यादातर एमसी होने के बाद सहलाने की बहुत इच्छा होती थी. चुत में अलग सी गुदगुदी होती थी. तब रूम बंद करके, लाइट बंद करके और अपने ऊपर ब्लैंकेट ले कर ही अपने अंगों को सहलाने लगती. वैसे तो मम्मी पापा मुझे डिस्टर्ब नहीं करते थे, शायद उनका भी यही कार्यक्रम चलता होगा, पर मैं भी बिना रिस्क लिए सब सोने के बाद ही मेरा कार्यक्रम शुरू करती.

बेड पर लेटने के बाद मैं अपने शरीर पर ब्लैंकेट ओढ़ लेती, फिर अपना स्कर्ट उतार देती. फिर शर्ट के एक एक बटन खोलना शुरू करती, बटन निकालते वक्त ही स्तनों को हो रहे स्पर्श से ही मेरे निप्पल्स कड़क हो जाते थे. फिर सब बटन खोल कर शर्ट को स्तनों पर से हटा देती थी.

दिन ब दिन मेरे स्तनों का साइज शायद बढ़ रहा था, तभी तो सभी मर्दों की नजर मेरी छाती पर ही होती. मैं थोड़ा उठकर अपना शर्ट हाथों से निकाल देती थी. फिर हाथ पीठ पर ले जाकर अपने ब्रा का हुक खोलती थी. ब्रा ढीली होने से स्तनों को बहुत आराम मिलता था. मैं ब्रा भी उतार कर शर्ट के पास बेड के कोने में रख देती थी. फिर धीरे से स्तनों पर से ब्लैंकेट भी हटा देती थी, सीलिंग फैन की ठंडी हवा लगने के बाद मेरे निप्पल्स और भी कड़क हो जाते थे और उन्हें मसलने को मचल उठते. मेरे मस्त गोल गोरे स्तन सहलाने की याचना करने लगते थे.

दिन भर ब्रा से घिरे मेरे पसीने से सने स्तन पर हो रही हाथ की मालिश, मेरी जांघों के बीच खलबली पैदा करती और अपने आप ही अपनी जांघें एक दूसरे पर घिसने लगतीं.

दोनों स्तनों को अच्छे से मसलने के बाद मैं अपने अंगूठे और उसके पास वाली उंगली को मुँह में डाल कर अच्छे से गीला करके अपने निप्पल्स पर रगड़ती. मैं दो तीन बार यही क्रिया दोहराती. अपनी लार और पसीने से सने निप्पलों की एक अलग ही गंध मेरे नथुनों में भर जाती. मुझे वो गंध बड़ी अच्छी लगती थी. वह गंध आते ही एक अलग ही संवेदना मेरे दिमाग से मेरी चुत में चली जाती. तब तक मेरा हाथ अपने आप ही मेरी चुत तक चला जाता और चुत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगता.

अब तो मुझे पैंटी निकालने की भी फुरसत नहीं मिलती, वैसे भी जांघें एक दूसरे पर रगड़ने से पैंटी नीचे सरकने लगती थी. मेरी उंगलियां मेरी वी शेप पैंटी के इलास्टिक के अन्दर चली जाकर चुत के अन्दर समा जातीं. थोड़ी देर उंगली अन्दर बाहर करने के बाद फिर चुत के दाने को छेड़ती रहती.

उस वक्त बायां हाथ अब भी मेरे स्तनों को और निप्पल्स को सहलाता मसलता रहता. खुद को इसी तरह शांत करने की क्रिया मैं अपने अनुभव से ही सीखी थी.

अब उत्तेजना से मेरी सांसें तेजी से चलने लगतीं. मेरी मुँह से भी दबी दबी मादक सिस्कारियां निकलने लगती थीं. बदन अकड़ने लगता, उंगलियों की स्पीड अपने आप बढ़ जाती. चुत से मीठी मीठी लहरे पूरे बदन में दौड़ने लगतीं.

अब तो अंकल की छवि मेरी आंखों के सामने आ गई थी और चुत एक झटका दे कर झड़ने लगी थी. धीरे धीरे पूरे बदन की ऊर्जा चुत से बहकर शरीर से बाहर चली जाने लगी.

कितने दिन से यही सिलसिला चलता आ रहा था, आज का दिन भी यही हुआ. अंकल का आगे का स्टेप कौन सा होगा, यही सोचते सोचते मेरी आंख लग गई.
अंकल ने किस तरह से मेरी वासना को एक ऐसे स्थान पर पहुंचा दिया, जहां सिर्फ चुदाई से ही अंत हो सकता था.

आपको मेरी जवानी के पहले कामुक मिलन की कहानी कैसी लग रही है, प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें.
[email protected]
कहानी जारी है.

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top