नखरीली मौसी की चुदाई शादी में-1

(Nakhrili Mausi Ki Chudai Shadi Me- Part 1)

This story is part of a series:

दोस्तो, मैं संजू आर्यन कुमार एक बार फिर से आप लोगों के लिए एक नई और सच्ची कहानी के साथ हाजिर हूँ. ये कहानी मेरी नहीं है, बल्कि मेरे एक पाठक की कहानी है, जिसे मैं अपने शब्दों के के साथ आप सब तब पहुँचा रहा हूँ. मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरी बाकी कहानियों के जैसे ही आप सब इस कहानी को भी अपना प्यार देंगे.

उससे पहले मैं अपने उन पाठकों को दिल से शुक्रिया कहना चाहूंगा, जिन्होंने मेरी पिछली कहानियां
तन्हा औरत को परम आनन्द दिया
और
शादीशुदा भाभी की कुंवारी चूत
को पढ़ा और अपने विचार एवं सुझाव मुझसे साझा किए.

इस कहानी को मैं अपने पाठक की जुबानी ही आप सबके साथ साझा कर रहा हूं.

दोस्तो, मेरा नाम सोनू है, उम्र 24 साल, हाइट 5 फुट 8 इंच, दिखने में एवरेज हूँ.. पर मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.

यह कहानी मेरी और मेरी मौसी की है. मौसी का नाम सलोनी है. उनकी उम्र 40 साल है, पर वो दिखने में 35 की ही लगती हैं. मौसी की हाइट 5 फुट 5 इंच है, गदराया बदन है, न ज्यादा मोटी हैं, न पतली हैं.. मौसी का मदमस्त फिगर 38-34-36 का है. उनका रंग एकदम दूध सा गोरा है. मौसी के बारे में ये कहना गलत नहीं होगा कि उनको देखकर हर मर्द एक बार उन्हें अपने नीचे जरूर लिटाना चाहेगा.

मेरी मौसी को एक बेटा भी है, जिसका नाम बंटी है. बंटी 21 साल का है. बंटी और मैं, हम दोनों एक दूसरे से एकदम खुले हुए हैं. हम एक दूसरे से कुछ भी नहीं छिपाते. हम दोनों की सेक्स फेंटसी भी सेम ही है, हम दोनों को ही आंटियां पसंद हैं. हमने कई बार मोहल्ले की आंटियों के बारे में सोच सोच कर साथ में मुठ भी मारी है.

सच कहूँ तो मुझे सलोनी मौसी बहुत अच्छी लगती थीं और मैं अक्सर उनके नाम की मुठ मारा करता था, पर ये बात कभी बंटी को नहीं बताई. मैं हमेशा से ही सलोनी मौसी को चोदना चाहता था और कई बार सपने में चोदा भी, पर हकीकत में कभी उनसे ऐसा कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं हुई.

मौसी और मौसा का तलाक 2008 में हो गया था और तब से मौसी अपने बेटे बंटी के साथ एक घर में रह रही थीं. एलुमनी के पैसे से और थोड़ी बहुत खेतीबाड़ी से मौसी का घर चल जाता था.

फिर पिछले 2-3 सालों से बंटी जॉब और पढ़ाई दोनों करने लगा, जिस वजह से मौसी के घर के हालात भी ठीक हो गए.

मौसी की तरफ मेरा आकर्षण का एक कारण मेरी कामुक सोच भी थी. मुझे ये भी लगता था कि 29-30 साल की उम्र में मौसी का तलाक हो गया था और तब से लेकर अभी तक मौसी अकेली रही हैं, तो फिर मौसी अपने शरीर की ज़रूरतों को कैसे पूरी कर रही होंगी. मौसी को भी लंड की कमी तो महसूस होती होगी. अगर उन्हें घर में ही लंड मिल जाए, तो उन्हें बदनामी का भी डर नहीं रहेगा और उनके शरीर की जरूरतें भी पूरी हो जाएंगी.

यही सब सोच सोच कर मेरा मन मौसी की तरफ आकर्षित होने लगा और मैं मौसी को चोदने का सपना देखने लगा. पर ये सब मेरे लिए इतना आसान नहीं था. फिर भी मैंने एक बार ट्राय करने का सोचा. मैंने सोचने लगा कि अगर सफल हो गया, तो मौसी की चुत मिल जाएगी और अगर फेल हो गया था, तो देखा जाएगा.

मेरा और मौसी का घर थोड़े ही दूर पर है, जिससे हमारा एक दूसरे के घर पर आना जाना लगा रहता है.

अब मैं ज्यादा से ज्यादा टाइम मौसी के घर पर बिताने लगा और मौसी पर नज़र रखने लगा. जैसे मौसी कब नहाने जाती हैं, कब बाथरूम जाती हैं और कब कपड़े चेंज करने जाती हैं. मौसी अक्सर साड़ी ही पहनती हैं, पर घर पर वो मैक्सी में ही रहती हैं, जिसमें से मौसी के उभार साफ झलकते हैं.

कुछ ही दिनों में मैंने नोटिस किया कि जब कभी मौसी को बाहर जाना होता, तो वो साड़ी पहन लेतीं, पर घर पर आते ही वो मैक्सी पहन लेतीं. जब वो कपड़े चेंज करने जातीं, तो अक्सर दरवाजा बंद नहीं करतीं, शायद उन्हें लगता कि उनके कमरे में कौन आ जाएगा.

मौसी के घर के लगभग सब दरवाजों में एक दो छोटे बड़े छेद हो गए थे.. क्योंकि दरवाजे काफी पुराने जो थे. ये मेरे लिए अच्छी बात थी.

कुछ दिन मौसी पर नज़र रखने के बाद मुझे मौसी का डेली रूटीन समझ में आ गया. बस अब मौका आ गया था मुझे आगे बढ़ने का.

अब जब कभी मौसी बाथरूम जातीं या पेशाब करने जातीं या फिर कपड़े बदलने जातीं, मैं भी उनके पीछे पीछे दरवाजे के छेद से उन्हें देखने लगता.

एक बार जब मैं उनके घर गया, तो वहां न तो बंटी दिखा और न ही सलोनी मौसी दिखीं. उनके घर का मेन दरवाजा भी खुला था. कुछ समय तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि सब कहां चले गए दरवाजा खुल्ला छोड़ कर?

मैं थोड़ा और अन्दर की तरफ गया, तभी मुझे बाथरूम से पानी गिरने की आवाज सुनाई दी. मुझे लगा हो न हो मौसी जी ही बाथरूम में होंगी. यही कन्फर्म करने के लिए मैंने बाथरूम के दरवाजे के छेद से देखा.

आह क्या मस्त नज़ारा था अन्दर का.. मौसी बाथरूम में एकदम नंगी खड़ी होकर होकर नहा रही थीं. उनके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था, जिस वजह से उनकी चूतड़, चुचियां सब कुछ साफ़ दिख रहा था. उनके बड़े बड़े लटकते मम्मे, उभरी हुई गांड और चूतड़ देख कर एक बार तो मन किया कि अभी मैं भी बाथरूम में घुस जाऊं और मौसी को पकड़ कर चोद दूं, पर उस टाइम ये सब करने की हिम्मत नहीं हुई.

मैं अभी अपने ही ख्यालों में खोया ही था कि मुझे बाथरूम में हलचल महसूस हुई तो होल से देखा तो मौसी बाथरूम में रखे छोटे से स्टूल पर बैठ कर नहाने लगीं. मौसी का चेहरा ठीक दरवाजे की तरफ था और इस वजह से मुझे उनके शरीर के आगे का भाग पूरा दिख रहा था, सिवाय उनकी चूत के.. क्योंकि मौसी अपने दोनों पैर सटा कर नहा रही थीं. मौसी ने पहले अपने चुचियों पर साबुन लगाया, फिर पेट पर. फिर साबुन साइड में रख कर अपने शरीर को साबुन के झाग से मलने लगीं. अपनी चुचियों और बगलों को मौसी काफी देर तक मसल मसल कर साबुन का झाग लगाती रहीं. फिर बाकी के जगहों को अच्छे से रगड़ कर नहाने लगीं.

मैं कब से इस बात के इंतजार में था कि सलोनी मौसी कब अपनी चूत में साबुन लगाएंगी और मुझे उनकी चूत के दर्शन होंगे.

कहते है ना जहां चाह वहां राह … वही हुआ मेरे साथ भी.

ऊपर के भाग को अच्छे से साफ करने के बाद मौसी ने अंततः अपने दोनों पैरों को अलग कर दिया.
आहहह … मेरी तो जैसे मनोकामना पूरी हो गयी उनकी चूत देखकर मुँह में पानी आ गया.

मौसी की चूत उनके बाकी शरीर के रंग से थोड़ा सांवली थी और चूत के अगल बगल झांटों का जंगल था.. जिस वजह से चूत के सिर्फ फांकें और फांकों के बीच का गुलाबी एरिया ही दिखा मुझे, बाकी सब झांटों ने ढक रखा था.

थोड़ी देर तक चूत के आसपास साबुन लगाने के बाद मौसी ने बाकी जगहों जैसे पैरों पर कमर पर साबुन लगाया और मलने लगीं, तो मैंने एक बात नोटिस. वो ये कि मौसी जब चूत को मलतीं, तो वे अपनी एक उंगली भी चूत में डाल कर हिलातीं. ये बात मेरे लिए मौका जैसा था. फिर मौसी ने अपने शरीर पर पानी डाला और खड़ी हो गईं और मैं भी चौकन्ना हो गया.

मौसी ने पूरे शरीर को टॉवल से पौंछा और फिर अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी चूत में उंगली करने लगीं. जैसे जैसे टाइम बीतने लगा, वैसे वैसे मौसी के उंगली की स्पीड और सिसकारियां बढ़ने लगीं.

सच कहता हूं दोस्तो, मन तो किया कि अभी दरवाजा खोल कर अन्दर चला जाऊं और मौसी को वहीं बाथरूम में चोदने लगूं, पर ऐसा मुमकिन नहीं था, क्योंकि मौसी ने शायद दरवाजा अन्दर से लॉक किया था.

जैसे जैसे मौसी अपनी चूत में उंगली करती जातीं, वैसे वैसे मेरा लंड अकड़ने लगा.
अब मेरा खुद को संभालना मुश्किल हो रहा था, पर और कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि अन्दर जा नहीं सकता था और कहीं और जाकर मुठ भी नहीं मार सकता था.. इसलिए मौसी के निकलने का इंतजार करने लगा. इतना तो पक्का हो गया था कि मौसी अभी भी लंड को मिस करती हैं.

थोड़ी ही देर में मौसी की एक लंबी आह निकली तो मैं समझ गया कि मौसी की चूत ने पानी छोड़ दिया. अब वो कभी भी बाहर निकल सकती थीं, इसलिए मैं जाकर बाहर बरामदे में बैठ गया.

थोड़ी देर बाद मौसी बाथरूम से सिर्फ टॉवल लपेटकर निकलीं. ये टॉवल उनकी चुचियों और चूत के थोड़ा नीचे तक ही था, जिस वजह से उनकी चिकनी और गोरी जांघें साफ दिख रही थीं. मुझे देख कर उन्हें थोड़ा शॉक लगा और हड़बड़ाते हुए उन्होंने मुझसे कहा- अरे सोनू, तुम कब आए?
मैं- अभी 5 मिनट पहले ही आया, कोई दिखा नहीं, तो यही रुक कर इंतजार करने लगा.
मौसी- अच्छा रुको, मैं आती हूँ.

इतना बोलकर मौसी जल्दी जल्दी अपने रूम में चली गईं और मैं पीछे से उनकी हिलती गांड को देखता ही रह गया. मैं भी भाग कर बाथरूम में गया और सलोनी मौसी के नाम की मुठ मारी. तब जाकर लंड और मुझे दोनों को आराम मिला.

इस घटना के बाद मैं हमेशा मौके की तलाश में रहने लगा कि कब मौका मिले और मैं मौसी को फिर से वैसे ही देख सकूं.

एक दो बार मैंने मौसी को पेशाब करते हुए भी देख लिया और एक बार जब मौसी अपने कपड़े बदल रही थीं, तब मैं गलती से उनके रूम में चला गया. उस समय मौसी अपनी पैंटी पहन रही थीं. मुझे देखते ही वो फिर से हड़बड़ा गयी थीं और पास में रखा टॉवल उठा कर खुद को ढक लिया था और गुस्से में बोलने लगी- यहां क्या करने आया? और आने से पहले दरवाजा नॉक करके अन्दर आना चाहिए था ना!
मैं उनकी पैंटी की तरफ इशारा करते हुए बोला- सॉरी मौसी, पर मुझे नहीं मालूम था कि आप रूम में ये करने आई थीं.

इतना कह कर मैं उनके रूम में से निकल कर बरामदे में बैठ गया. थोड़ी देर में मौसी भी बरामदे में आ गईं, पर अब वो मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थीं.

इस वाकिए के बाद मौसी मुझसे चिढ़ने सी लगी थीं. वे बात बात पर मुझ पर चिल्लाने लगतीं और गुस्सा करने लगतीं. सच कहूँ दोस्तो … मुझे लगने लगा था कि मौसी को चोदने का सपना, सपना ही रह जाएगा. पर शायद मेरी किस्मत में मौसी की चूत का स्वाद लिखा था इसलिए मुझे जल्दी ही एक और मौका मिल गया.

हमारे रिश्तेदारी में एक शादी थी, जिसमें हम सबको शामिल होना था. पापा के काम की वजह से मैं और मम्मी जा रहे थे और बंटी को उसी दिन किसी काम से बाहर जाना पड़ा, तो शादी में हमारे साथ सिर्फ सलोनी मौसी ही आयी थीं.

आप सबको तो मालूम ही है कि शादी में कैसा माहौल होता है, हर कोई अपने में ही बिजी होता है, किसी के पास किसी के लिए टाइम नहीं होता.

दोपहर से ही हम सब शादी में गए थे और रात होते होते दिनभर की थकान की वजह से सब अपने अपने सोने के लिए लिए जगह ढूँढने लगे. काफी समय बाद एक कमरा मिला, जिसमें भी पहले से ही 4-5 लोग सोये थे. फिर भी कमरे में 2-3 लोगों के लिए जगह थी. उस समय मौसी किसी से बात कर रही थीं, तो मैं और मेरी मम्मी बची हुई जगह में एडजस्ट करके सोने को कोशिश करने लगे.

करीब 15-20 मिनट बाद मौसी भी उसी कमरे में आईं और मम्मी को झकझोरते हुए कहने लगी- जीजी, अपने लिए जगह बना लिए और मेरे बारे में सोची ही नहीं.

मेरी मम्मी नींद में ही थोड़ा खिसकते हुए बोलीं- यही बीच में तू भी सो जा.
मौसी थोड़ा सकुचाते हुए बोलीं- यहीं सोनू भी सोया है.
मेरी मम्मी- तो क्या हुआ तू भी सो जा.

उस समय मैं जाग रहा था, पर जानबूझ कर मैं सोने का नाटक करने लगा.

थोड़ी देर मौसी वहीं बैठे बैठे पता नहीं क्या सोचती रहीं. फिर मुझे हिलाते हुए बोलीं- सोनू, थोड़ा उस तरफ सरको.. मुझे भी सोना है.
मैं नींद में होने का नाटक करते हुए बोला- ह्म्म्म, क्या हुआ?
मौसी- थोड़ा उधर सरको, मुझे भी यहीं सोना है, बाकी कहीं जगह ही नहीं है.

मैं दीवार की तरफ थोड़ा सा सरक गया. मौसी मेरे और मम्मी के बीच में मेरी तरफ पीठ करके लेट गईं.

एक तो मुझे पहले ही नींद नहीं आ रही थी और अब मौसी मेरे बगल में लेटी थीं, तो नींद आने का सवाल ही नहीं था. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं, कैसे करूं.. जिससे बात बन जाए. कुछ देर सोचने के बाद डिसाइड किया कि कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा और ऐसा मौका बार बार आता भी नहीं.

थोड़ी देर तक वैसे ही पड़े रहने के बाद मैं भी मौसी के पीठ की तरफ मुँह कर लिया. अब उनके बदन की खुशबू और परफ्यूम की खुशबू मुझे बेचैन करने लगी. मैं इंतजार कर रहा था कि कब मौसी सीधा होकर सोएं ताकि मैं अपना प्लान आगे बढ़ा सकूं.

करीब 5-7 मिनट बाद मौसी सीधी हो गईं. मैं अभी भी उनकी तरफ ही मुँह करके सोने का नाटक कर रहा था. मौसी को नींद नहीं आ रही थी, शायद नयी जगह होने के कारण ऐसा था. मैं भी सोच रहा था कि मैं जो कुछ करूं, वो सब मौसी को पता चले, तभी ना मालूम पड़ेगा कि मौसी को किसी की जरूरत है भी या नहीं?

सही मौका पाकर मैंने अपना हाथ मौसी के पेट पर और एक टांग को मौसी की जांघों पर रख दिया.

कुछ सेकंड ही बीते होंगे कि मौसी ने झटके से मेरा हाथ और पैर दोनों हटा दिया. थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद एक बार कसमसा कर मैंने अपना हाथ और पैर फिर से उनके ऊपर रख दिया. एक बार फिर मौसी ने मेरा हाथ और पैर अपने पर से हटा दिया, लेकिन इस बार मौसी ने पहली बार के जैसे झटका नहीं. मुझे लगने लगा कि शायद मौसी को किसी की जरूरत नहीं है और मेरा सपना, सपना ही रह जाएगा.

यही सब सोचते सोचते एक लास्ट कोशिश करने का सोचा, अगर इस बार भी मौसी ने मेरे हाथ और पैर हटा दिया तो चुपचाप सो जाऊंगा.

इस बार मैं उनकी तरफ सरकते हुए अपना हाथ और पैर फिर से उनके ऊपर रख दिया, हाथ मैंने ऐसा रखा कि मेरे हाथ की कोहनी का हिस्सा मौसी के पेट पर था. मेरा पंजा उनकी चुचे और बगल के बीच में था और पैर का घुटना ठीक उनकी चूत के ऊपर था. मेरा लंड जो अभी भी मुरझाया हुआ था, वो उनकी जांघ से लग रहा था.

कहानी जारी रहेगी.
कहानी के इस भाग से संबंधित आपके सुझाव या शिकायत का इंतजार रहेगा. आप अपने सुझाव या शिकायत मुझे मेरी मेल आईडी [email protected] पर कर सकते हैं.

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top