मौसी की चूत में गोता -4

(Mausi Ki Chut Me Gota- Part 4)

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अब तक आपने पढ़ा था..

मैंने मौसी की जवानी को भोगना आरम्भ कर दिया था परन्तु वे अभी कुछ हिचकिचा रही थीं.. लेकिन मैं इतनी आसानी से उन्हें छोड़ने वाला नहीं था।

अब आगे..

मैं अपनी उंगली से उन्हें चोदने लगा और कुछ ही देर में उनकी प्यासी चूत ने हार मान ली।
अब मौसी ने अपना मुँह खोल दिया और मैं उनके होंठों को चूसने लगा।

थोड़ी देर चूसने के बाद मौसी भी मेरा साथ देने लगीं.. और हम दोनों एक-दूसरे के मुँह में अपनी-अपनी जीभ डालकर चुसाई करते रहे। मजेदार चूमाचाटी के बाद मैंने उनकी गर्दन पर चुम्बन करना और चाटना शुरू कर दिया और वो सिसकारियाँ लेने लगीं।

आज तक वो केवल झटपट वाले अंदाज में चुदती रही थीं.. पर आज 42 की उम्र में मजेदार सेक्स कर रही थीं.. वो भी अपनी उम्र से छोटे भानजे से.. जो कि इस समय कामदेव का अवतार लिए हुआ था और उनकी चूत पूजा कर रहा था।
वो मदमस्त हुई जा रही थीं।

लाली मौसी का नंगा मखमली बदन मेरी आँखों के सामने था.. हम दोनों की साँसें तेज हो गईं और मेरा मूसल खड़ा था।

फिर मैं उनकी गर्दन से नीचे आते हुए उनकी चूचियों पर आकर टिक गया और एक आम को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से जोर-जोर से दबाकर उनकी चीखें निकालने लगा, वो लगातार चीख रही थीं।

तभी मैंने उनकी एक चूची के निप्पल को काट लिया.. तो वो बड़े ज़ोर से चिल्लाते हुए उठकर बैठ गईं।
उनकी आँखों में आंसू थे.. वो बोलीं- क्या कर रहे हो.. दर्द होता है मार दोगे क्या अपनी मौसी को.. मैं तेरी माँ जैसी हूँ।

मैंने एकदम बाजारू भाषा का प्रयोग करते हुए कहा- नहीं.. इस वक्त तुम मेरे लण्ड की रानी हो और कुछ नहीं.. और अब जब तक मैं इस घर में हूँ.. या जब भी मुझे मौका मिलेगा.. तो तुम मेरे लण्ड की सेवा रानी बनकर करोगी.. समझी कुतिया.. और आज से मैं तेरा कुत्ता हूँ।

इस तरह की गालियाँ मेरे मुँह से सुनकर वो बहुत हैरान थीं, वो बोलीं- जैसा तुम कहोगे वैसा ही करूँगी बेटा।
तभी मैंने उन्हें कहा- आज रात के लिए तू मेरी रानी और मैं तेरा यार..

वो आँखें फाड़ कर मुझे देख रही थीं और समझ गई थीं कि आज क्या होने वाला है।
मुझे गाली देकर सेक्स करना अच्छा लग रहा था.. इस तरह के सेक्स के बारे में मैंने किताबों में पढ़ा था।

फिर मैं उनके पेट पर बैठ गया, आज तक मेरा लण्ड केवल मूतने के ही काम आ रहा था.. मैं आज तक इस सुखद अनुभव से वंचित था.. जो मुझे आज मिलने वाला था, मौसी की उफनती जवानी ने मुझे पूरी तरह से झुलसा दिया था।

आदमी जब स्वार्थ में कोई कदम उठाता है.. तो अपने लिए तर्क भी ढूँढ लेता है। आज ऐसा ही मेरे साथ हो रहा था और यही कारण था कि मैं आगे बढ़ता ही जा रहा था।
मैंने सोचा कि प्यासे को पानी पिलाना और भूखे को खाना खिलाना तो पुण्य का काम है।

मैं मौसी के ऊपर चढ़ा हुआ यही सब सोच रहा था कि तभी कहीं दूर से स्पीकर से भजन की आवाज़ आ रही थी। लेकिन लाली मौसी की जानलेवा जवानी.. मतवाली गाण्ड.. हाहकारी चूचे.. मुझे कुछ भी सुनने नहीं दे रहे थे।

उधर मौसी भी सोच रही थीं कि आशीष की खुरदुरी जीभ जो उनकी गाण्ड के छेद तक घुस चुकी थी और गाण्ड और चूत में जीभ घुसने की कल्पना से ही मौसी के निप्पल और क्लिट खड़े हो गए थे।
भानजे से चुदाई की कल्पना से ही गर्म होने लगी थीं।

मौसी चुदी तो बहुत बार थीं.. लेकिन इतने अन्दर तक की गहराइयों में आज पहली बार कोई पहुँच पाया था।

मौसी भी बार-बार अपने आपको कोस रही होंगी कि ना वो बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़तीं.. ना मैं उनकी बेपर्दा जवानी को देख पाता.. और ना बेचारे बच्चे की हसरतें जवान हो पातीं।

मैं मौसी के पेट से नीचे उतर कर उनकी जाघें सहला रहा था।

मौसी बोलीं- कोई गैर मर्द आज पहली बार मेरे शरीर को हाथ लगा रहा है।
‘तो आप मुझे गैर समझती हो?’
‘नहीं नहीं.. अब तुम गैर नहीं रहे।’
‘सच मौसी.. तुम जितनी खूबसूरत हो.. उतनी ही समझदार भी हो..’

मैं अब समझ गया था कि मौसी भी वासना की आग में झूल रही हैं क्योंकि उनकी चूत से रस की धार निकल रही थी। लेकिन उन्हें अब भी अपने भानजे से चुदवाने में झिझक हो रही थी।

लाली मौसी की झिझक दूर करने के लिए उनसे शुरू में थोड़ी ज़ोर-ज़बरदस्ती करनी पड़ी लेकिन धीरे-धीरे मौसी भी मेरा साथ देने लगी थीं इसलिए मैं भी इस सुनहरे मौके का पूरा फ़ायदा उठा लेना चाहता था।

अब मैं उठ कर खड़ा हो गया।
‘क्या हुआ बेटा.. तुम कहाँ जा रहे हो?’
‘कहीं नहीं मौसी..’

मैं बिल्कुल नंगा मौसी के सामने खड़ा था.. मेरा तना हुआ लम्बा और मोटा लण्ड बहुत भयंकर लग रहा था। ये नज़ारा देख कर मौसी की तो साँस ही गले में अटक गई।
मेरा खड़ा और तना हुआ लौड़ा मौसी के मुँह से सिर्फ़ कुछ इंच ही दूर था।

लाली मौसी मेरे खड़े लौड़े को बड़े प्यार से सहलाते हुए बोलीं- ये तो बहुत बड़ा है आशीष..
‘हाँ तो इसे प्यार करिए ना मौसी..’
यह कहते हुए मैंने मौसी के बालों में हाथ डाल कर उन्हें ऊपर उठा लिया और खींच कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया।

इससे पहले कि मौसी की कुछ समझ में आता.. उन्होंने अपने आपको मेरी छाती से चिपका हुआ पाया।
मेरा विशाल लण्ड उनकी टाँगों के बीच में ऐसे फँसा हुआ था.. जैसे वो उसकी सवारी कर रही हों।
‘ऊई माँआ… आशीष.. ये छोड़ो मुझे..’ मौसी अपने आपको छुड़ाने का नाटक करती हुई बोलीं।

‘आशीष तुम तो बड़े खराब हो.. कोई अपनी मौसी को ऐसे नंगी करता है क्या?’
मैंने कहा- मौसी आप तो खुद नंगी थीं.. मैं तो बस नदी में डुबकी लगा रहा हूँ।’

मैं दोनों हाथों से मौसी के विशाल चूतड़ों को दबा रहा था.. बेचारी कसमसा रही थीं।
मौसी को मेरे लण्ड की गर्माहट बेचैन कर रही थी, मौसी मेरे बदन से बेल की तरह लिपटी हुई थीं, उनका सिर मेरी छाती पर टिका हुआ था।

मैं भी मौसी की पीठ और चूतड़ों पर हाथ फेर रहा था, मेरे लौड़े से रगड़ खा कर मौसी की चूत बुरी तरह गीली हो गई थी।
मेरे लण्ड का ऊपरी भाग लाली मौसी की चूत के रस में भीगा हुआ था। मौसी का सारा बदन वासना की आग में जल रहा था ‘हे राम.. आशीष ये क्या कर रहे हो..’

लेकिन मौसी ने मुझसे अलग होने की कोई कोशिश नहीं की। उनके मुँह से निकला- इसस्स..आआआहह.. आशीष.. इस्स.. आईईइ.. एयेए..छोड़ो ना.. आह.. धीरे.. अब छोड़ दो मुझे..प्लीज़.. एयाया.. इय्आ.. इसस्सस्स धीरे.. आह.. क्या कर रहे हो।

मैं मौसी की चूचियाँ मसल रहा था और मेरा मोटा लम्बा लण्ड मौसी की चूत की दोनों फांकों के बीच से होता हुआ पीछे की ओर दोनों नितंबों के बीच में से झाँक रहा था। एक तरह से मौसी मेरे खूंटे सामान लौड़े पर टिकी हुई थीं।

मौसी से अब और सहन नहीं हो रहा था, वो चाहती थीं कि मैं अब जल्दी से जल्दी अपना गधे जैसा लौड़ा उनकी चूत में पेल दूँ।

‘मौसी तुम्हारी इस लाजवाब जवानी को चोदने से अगर पाप भी लगता है.. तो लग जाए.. अरे मौसी, अपने जिस्म की आवाज़ सुनो.. अपनी चूत की पुकार सुनो.. और बताओ अगर तुम्हारी चूत को इस लण्ड की ज़रूरत नहीं है तो.. उसने मेरे लण्ड को गीला क्यों कर दिया है?’
‘तुम अपने गधे जैसे लण्ड को मेरे वहाँ रगड़ोगे.. तो मेरी ‘वो’ गीली नहीं होगी क्या?’
‘अब मौसी इतना गीला कर ही दिया है तो उसे अपनी प्यारी खूबसूरत सी चूत का रस भी पी लेने दो।’

लोहा गर्म था.. मैंने अब देर करना ठीक नहीं समझा.. बस एक बार किसी तरह मौसी की चूत में लण्ड फँसा लूँ.. फिर सब ठीक हो जाएगा।

मैंने लाली मौसी को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और अपने होंठ मौसी के रसीले होंठों पर रख दिए। मौसी भी मुझसे लिपटी हुई थीं।

उनकी चूत बुरी तरह गीली थी। मौसी ने मेरे तने हुए लण्ड को अपनी टाँगों के बीच में इस तरह अड्जस्ट किया कि वो उनकी चूत पर ठीक से रगड़ सके।

मैं मौसी की चूत की गर्मी और मौसी मेरे विशाल लण्ड की गर्मी अपनी चूत पर महसूस कर रही थीं।

काफ़ी देर मौसी के होंठों का रसपान करने के बाद में मौसी से अलग हो गया और थोड़ी दूर से उनकी मस्त जवानी को निहारने लगा। क्या बला की खूबसूरत थी लाली मौसी.. गोरी-गोरी मांसल चूचियाँ.. पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए विशाल चूतड़.. तराशी हुई मांसल जांघों के बीच में हल्के काले बाल…

मैंने आज तक किसी औरत की चूत नहीं देखी थी, ऐसी जवानी देख कर मैं मदहोश हो गया।

‘उफ़.. आशीष तुम्हें अपनी मौसी को नंगी देखकर ज़रा भी शरम नहीं आई.. अब ऐसे घूर-घूर कर क्या देख रहे हो?’ मौसी शर्मा कर एक हाथ से अपनी चूत और एक हाथ से अपनी चूचियों को ढंकने की नाकामयाब कोशिश करती हुई बोलीं।

‘सच मौसी आज तक मैंने इतनी मस्त जवानी नहीं देखी.. इस बेचारे लण्ड को अपना लो.. थोड़ा सा तो अपनी चूत का रस पिला दो.. बेचारा थोड़ा सा पानी पी लेगा..’

‘ऐसे क्या देख रहे हो आशीष?’
अब मुझसे ना रहा गया.. मैंने मौसी की मादक चूत को आगे झुक कर चूम लिया, धीरे-धीरे मैं उनकी चूत चाटने लगा।

मौसी के मुँह से अब सिसकारियाँ निकल रही थीं ‘इसस्स..एयाया. .आआहह.. इसस्स.. उउउ…णंह..’
मेरी जीभ मौसी की चूत के अन्दर-बाहर हो रही थी।
‘ऊऊपफ़.. आआआह्ह.. आशीष बेटा.. एयेए.. आईईईई..’

लाली मौसी की चूत बुरी तरह रस छोड़ रही थी, उनकी झांटें भी भीग गई थीं।
मौसी वासना की आग में उत्तेजित हो कर.. चूतड़ उचका-उचका कर अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं।

मेरा पूरा मुँह लाली मौसी की चूत के रस में सन गया, चूत के बाल मेरे मुँह में जा रहे थे।

अब मौसी को चोदने का टाइम आ गया था, मैंने मौसी की टाँगें मोड़ कर उनकी छाती से लगा दीं, मौसी की चूत उभर आई थी और मुँह फाड़ कर लण्ड का इंतज़ार कर रही थी।

मौसी की धकापेल चुदाई जारी है.. कहीं नहीं जाइएगा दोस्तो, अभी उनकी रसीली जवानी का एक-एक वाकिया आप सबको पूरे रस के साथ सुनाना बाकी है।

आपके ईमेल मिल रहे हैं और भी भेजिए इन्तजार रहेगा।
[email protected]

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