बहन की शादी में मामी को चोदा

प्रेषक : अंकित

सभी को मेरा नमस्कार ! मेरा नाम अंकित है (बदला हुआ नाम), उम्र 22 है। मैं दिखने में स्मार्ट हूँ और सेक्सी भी, मेरे पास 7″ का औज़ार है जो अक्सर अपनी जवानी दिखाने को बेताब रहता है। ऐसा ही हुआ कुछ एक दिन मेरे साथ ! आज मैं अपनी पहली कहानी लेकर आपके सामने आया हूँ। मैं बहुत दिनों से इसे लिखने की कोशिश कर रहा हूँ मगर आज मैंने लिख ही दी।

मैं सोनीपत का रहने वाला हूँ, मेरी मौसी भी सोनीपत सेक्टर 15 में रहती हैं और मेरे मामी-मामा दिल्ली के रहने वाले हैं, जो सोनीपत के पास पड़ता है। वे मेरे सगे मामा-मामी नहीं थे, बस मौसी मामा को अपना भाई मानती थीं। आज से लगभग एक साल पहले जब मेरी मौसी के यहाँ मेरी बहन की शादी थी।

मैं एक दिन पहले वहाँ चला गया। रात को लेडीज-संगीत का प्रोग्राम था। सब नाच रहे थे और मामी भी नाच रही थीं। प्रोग्राम कुछ लंबे समय तक चला, रात के 2 बज गए। अब सब सोने लग गए, मैं काम करवा रहा था। सब काम खत्म हो गया। मेरी मौसी का लड़का भी काम रहा था। अब हम सोने लगे तो हमें जगह नहीं मिली और मुझे बाहर नींद नहीं आती थी, तो मुझे मामी के पास थोड़ी जगह दिखी तो मैं वहाँ लेट गया।

मामी-मामा की शादी को 4 साल हो गए थे लेकिन कोई बच्चा नहीं था। मुझे लेटने के बाद नींद नहीं आ रही थी। मैं लेटा हुआ था। अचानक मुझे लगा कि मेरे लोअर पर कोई हाथ फेर रहा है। मैंने देखा तो वो हाथ मामी का था मैंने वो हाथ हटा दिया।

इसके बाद मेरी नींद उड़ गई। मैं लेटा रहा मेरा 7 इंच का घोड़ा ख़ड़ा हो गया। मेरे लोअर में तम्बू बन गया। मैं उसे हाथ से दबा रहा था। लेकिन वो और टाईट हो रहा था। मामी ने एक बार फ़िर हाथ फेरा और मैंने फ़िर हटा दिया। सुबह के 4 बज गए थे अब मुझ से रुका नहीं जा रहा था। मैं वहाँ से खड़ा हुआ और टॉयलेट में ग़या और मामी के नाम की मुठ्ठ मारने लगा। इस चक्कर में मुझे बाहर निकलने में देर हो गई। जब मैं बाहर आया तो देखा सारी लेडीज उठी हुई थीं और मामी भी मुझे घूर कर देख रही थीं।

मैं घबरा गया और जाकर फिर लेट गया और मुझे नींद आ गई। सुबह मैं उठा तो 8 बजे थे। मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं, मामी किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थीं मैं उसे देखता रह गया। वो भी मुझे देख रही थी।

इतने मैं मौसी आ गईं और कहने लगीं- बेटा खड़ा हो जा, बहुत काम हैं।

मेरी मौसी मुझे प्यार से राजा कहती हैं, मैं खड़ा हो गया और काम करवाने लगा। इसी तरह शाम के 6 बज गए, पता ही नहीं लगा। अब सब अपनी-अपनी तैयारी कर रहे थे। मैं भी तैयार हो गया। मैंने शेरवानी पहनी थी और मामी भी एक बला लग रही थीं जैसे कोई परी आ गई हो।

शादी अलीपुर के तिवोलि गार्डन में थी। अब सब गाड़ियों में बैठ कर जाने लगे, तब मौसी बोलीं- बेटा राजा, अपनी बहन को ब्यूटी पार्लर से लेकर तुझे आना है।

मैं बहन को लेकर गार्डन पहुँच गया। अब सब बहुत खुश थे। मामी मुझे इस तरह देख रही थी कि अभी आकर मुझसे लिपट जायेंगी। अब मेरे मन में हलचल होने लगी। अन्दर गया और रुम सर्विस के साथ सैटिंग कर ली। एक रुम और ले लिया जो दूसरे रुम के पास था और मैं बाहर आ गया। बारात आ गई थी।

मैंने कुछ खाया और अपने मम्मी- डैड से कहा- मैं अन्दर सो रहा हूँ, कुछ काम हो तो फोन कर देना।
वहाँ मामा-मामी भी खड़े थे। फिर मैं कमरे में जाकर लेट गया। वहाँ कुछ बच्चे भी सो रहे थे। थोड़ी देर बाद बाहर कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज आई। रुम की एक चाभी मेरे पास और एक मेरी मौसी के लड़के के पास थी।

जो मैं सोच रहा था, वही हुआ। दरवाजा खोलते ही मामा-मामी खड़े थे। मामा के हाथ में एक बैग था। मैं जाकर लेट गया और मामी ने मामा से झुंझला कर कहा- मुझे परेशान मत करना। विदाई के समय फोन कर देना। मैं कपड़े बदल कर अपने आप आ जाऊँगी।

मामा चले गए। मामी ने दरवाजे बन्द कर लिए मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे ! मामी मेरे पास आकर बैठ गईं। उस ने फिर मेरे घोड़े पर हाथ रख दिया और वो खड़ा हो गया वो उसे दबाने लगीं ! मैंने जानबूझ कर फिर से हाथ हटा दिया और वहाँ से उठ कर दूसरे कमरे में आ गया।

मैंने जानबूझ कर दरवाजा खुला रखा था। वो मेरे पीछे-पीछे अपना बैग ले कर आ गई और दरवाजा बंद कर लिया। फिर मेरे पास आ कर मुझे चूमने लगी। मैंने फिर जानबूझ कर गुस्से में उसे हटा दिया और मैं आँखें बंद कर के लेट गया। फिर उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए और मुझे फिर से किस करने लगी।

मैं उसे फिर हटाने लगा तो मैं उसे देखता ही रह गया वो एक सच में परी लग रही थी। मैं उसे देखता रहा और अब मुझ से रुका नहीं जा रहा था। उस ने फिर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। अब मैं उस का साथ देने लगा और वो भी मेरा साथ दे रही थी। जैसे मानो उसे इसी पल की तलाश थी।

फिर भी मैंने कहा- यह गलत है।

मगर उसे नशा चढ़ चुका था और वो मेरे साथ बहुत खुलकर चूमा-चाटी कर रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मों पर रख दिया और कहा- दबाओ, आज मुझे छोड़ना मत ! बस मुझे प्यार करो और कुछ मत बोलो।

और मैं उसे चूमने के साथ-साथ उसके मम्मों भी दबाने लगा और उसने अपना हाथ मेरे घोड़े (लौड़े) पर रख दिया और दबाने लगी। मुझे भी बहुत आनन्द आ रहा था, फिर मैं उसको उसके गले पर चूमता हुआ उसके मम्मों को चूसने लगा और उसके पेट को चूमते-चूमते मैंने देखा कि उसकी चूत गीली हो रही थी। फिर मैं उसकी चूत पर चूमने लगा और वो अपने हाथ से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी।

जब मैंने उस की चूत को ध्यान से देखा तो मेरी आँखें खुली रह गई, वो एक बहुत प्यारी सी, गुलाबी सी चूत की मालकिन थी जिस पर एक भी बाल नहीं था। फिर मैं उसकी चूत पर चुम्बन करने लगा और उसे जोर-जोर से चूसने लगा। अब उसकी बर्दाश्त करने की हिम्मत ख़त्म हो रही थी, उसने मुझे खड़ा किया और खुद नीचे बैठ कर मेरी शेरवानी की पजामी उतार कर मेरे लौड़े को चूसने लगी और मुझे धीरे-धीरे उसने नंगा कर दिया।

वो कहने लगी- यह तो बहुत सुन्दर है, आज मैं इसके साथ खेलूंगी !

उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरा लण्ड चूसने लगी। फिर मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया। अब हम दोनों 69 की अवस्था में थे और मैं बहुत ज्यादा कामुक हो रहा था, तो उसकी चूत को जोर-जोर से चूसने लगा और वो मेरे मुँह में झड़ गई।

उसने भी मेरे लौड़े को चूस कर कहा- जानू, मुझे भी तुम्हारा रस पीना है, मेरे मुँह को अपने रस से भर दो !

वो फिर से चूसने लगी और मैंने अपनी पिचकारी उसके मुँह में छोड़ दी और वो सारा रस गटक गई। कुछ देर बाद वो फिर से तैयार हो गई और मेरे लौड़े को उसने फिर से खड़ा कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

इस बार मैंने उसे नीचे लिटा कर उसके मुँह से चुदाई की शुरुआत की। मैं उसके ऊपर आकर उसके मुँह में लौड़े को डाल कर उसके मुँह को चोदने लगा और वो बड़े मज़े से चुदवा रही थी। अब मैं देर न करते हुए उसे चूमते हुए उसके पैरों के बीच में आ गया और उसकी चूत को चूसने लगा जिससे उसकी चूत गीली हो रही थी।

उसने मुझसे कहा- जानू, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, डाल दो अपना लौड़ा और मुझे अपना बना लो !

मैंने उसकी टांगों को फैलाया और अपने लौड़े को पकड़ कर उसकी चूत पर लगा दिया तो उसके मुँह से ‘आह… हह…’ निकली और मैं उसे तड़पाने लगा। दोनों फ़ांकों के बीच में रगड़ने लगा और जोर-जोर से उसकी गीली चूत पर पटकने लगा।

वो आहें भरती रही ‘आःह्ह्ह आह ह ह ह… आह अह हःअ हा.. राजा, अब डाल दो वरना मैं मर जाऊँगी !

मैंने उसकी तड़प को समझा और अपने सुपारे को उसकी चूत की छेद पर रख कर एक जोर से धक्का लगाया।

वो चिल्ला उठी- आह आआह्ह्ह्ह…

और मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया। जब वो चिल्लाई तो मैं रुक गया और उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने लगा।

वो कह रही थी- जानू मुझे दर्द हो रहा है।

मैं उसके दर्द के कम होने का इंतज़ार कर रहा था, उसे चूम रहा था और उसके मम्मों को चूस रहा था।

फिर मैंने एक जोर का धक्का लगाया जिससे मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया और वो अपने होंठों को बंद करे अपनी सिसकारियों को दबा रही थी मगर उसके मुँह से ‘अम्म आह गुं गुंगुंगुं…’ की आवाज़ें आ रही थीं।

वो कहने लगी- राजा, मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो !

मैंने उसे चूमते हुए अपना पूरा लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया और उससे लिपट कर उसके ऊपर लेट गया।

उसने मुझसे कहा- राजा, तुम मुझे पूरा प्यार करो और मुझे जल्दी माँ बना दो !

तो मैंने थोड़ा ऊपर उठ कर अपने दोनों हाथ उसके दोनों मम्मों पर रख कर उसे चोदने लगा और वो अपने मुँह से ‘आह अह हह अअह आहा आह अह’ की आवाज़ें निकाल रही थी। उसका दर्द कम हो गया था तो वो भी मेरा साथ देना शुरू कर रही थी और अपनी गाण्ड उठा-उठा कर चुदवा रही थी।

मैं उसे चोदे जा रहा था तभी उसने कहा- जान, मुझे कुछ हो रहा है !

और वो अकड़ने लगी और उसका रस निकल गया मगर मेरा अभी नहीं निकला था, मैं उसे चोदे जा रहा था और मैं ‘अम्म आह गुं गुंगुंगुं…’ की आवाज़ें सुन रहा था, मगर मैं अपने काम में मगन था।

और एकदम से मुझे भी जोश आ गया और मैंने उसकी चूत से अपना लण्ड निकाल कर उसे घोड़ी बनने को कहा। वो बन गई और मैंने उसे पकड़ कर पीछे से उसकी चूत में पीछे से अपना लण्ड डाल कर धक्कम-पेल करने लगा। अपने हाथों से उसके चूचुक मींजने लगा।

उसे भी मज़ा आ रहा था और मेरा माल निकलने वाला था। इतनी देर में वो दो बार झड़ चुकी थी। मैंने अपना सारा माल उसकी मासूम सी चूत के अन्दर निकाल दिया और हम दोनों ऐसे ही लिपट कर लेट गए। इस चुदाई के बाद हम दोनों नहाए। फिर हम तैयार हो गए और मामा का फोन भी आ गया। हम बाहर आ गए।

दोस्तो, सिलसिला यहीं से शुरू हो गया, जब भी हमें मौका मिलता, हम दोनों सेक्स के साथ फोन सेक्स भी करते। आज वो एक बच्चे की माँ है।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे बताइएगा ज़रूर, जिससे मैं आप लोगों के सामने अपनी और भी कहानियाँ लेकर आ सकूँ।

धन्यवाद ! मैं इंतज़ार करूँगा आपके मेल का।

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