खाली दिमाग शैतान का घर

(Khali Dimag Shaitan ka Ghar)

अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार !

यह कहानी जो मैं पेश करने जा रही हूँ वो मेरे एक पाठक अमित ने भेजी है, मैंने इसे अपने अनुसार कुछ एडिट करके अमित के ही शब्दों में पेश कर रही हूँ।

मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी भी आपको पसंद आएगी।

मेरा नाम अमित है, मैं रोहिणी दिल्ली का रहने वाला हूँ।
मैंने अन्तर्वासना पर काफी सारी कहानियाँ पढ़ी और पढ़ने के बाद मुझे लगा कि क्यूँ ना मैं भी अपनी कहानी आप सभी के साथ बाटूं।

मैं अपने बारे में बताना चाहता हूँ, मैं एक माध्यम वर्ग परिवार से हूँ और एक अच्छे खासे लंबे चौड़े शरीर का मालिक हूँ।

मेरे घर में मेरे माता-पिता के आलावा मेरी एक बहन श्वेता है।
श्वेता मेरी छोटी बहन है और मुझे 3 साल छोटी है।

यह एक साल पहले की बात है जब मेरी बहन की स्नातकी पूरी हुई थी, मैं उस वक्त बेरोजगार था और इंटरनेट पर बस पोर्न वीडियो वगैरह देखकर अपना समय व्यतीत करता था।

जैसे ही मेरी बहन की स्नातकी पूरी हुई तो उसने मम्मी-पापा को बताया कि उसे मुंबई की किसी कंपनी में नौकरी मिल गई है मगर मम्मी ने मना कर दिया और वो मुंबई नहीं जा पाई जिसका उसे बहुत अफ़सोस था।
इसी कारण वो मम्मी-पापा से जुदा-जुदा सी रहने लगी।

उसकी कुछ सहेलियाँ थी जो कि बहुत ही आजाद ख्याल की थी, श्वेता भी उनकी तरह बनना चाहती थी।

मैंने कई बार श्वेता की बातें छुपकर सुनी, मैंने पाया वो ज्यादातर अपनी सहेलियों के साथ ही बातें करती थी।

कुछ दिन बीत गए और लगातार पोर्न वीडियो देखने के कारण मेरा दिमाग भटकने लगा और मैं इधर-उधर रंडियों की तलाश करने लगा।

मैं किसी तरह चाहता था कि कोई लड़की मुझसे चुद जाए मगर मेरी जेब में पैसे भी नहीं थे क्योंकि मैं बेरोजगार था।

मेरी ठरक इतनी बढ़ गई कि अब मैं श्वेता को ही रंडियों की नजर से देखने लगा। अगर वो थोड़ा भी घर पर देर से आती तो मुझे लगता जरूर इसका चक्कर है और यह बाहर से चुद कर आ रही है।

कई बार मुझे खुद लगता कि मैं क्या सोच रहा हूँ, वैसे मेरी बहन बहुत सुन्दर है, गदराया हुआ बदन, होंठ गाल सेब की तरह से लाल, जब चलती थी तो चूतड़ मटका-मटका कर… साली के चूतड़ देखकर मेरा तो लौडा भी खड़ा हो जाता था।
और उसके बूब्स तो कमाल के थे, वैसे वो बस 21 साल की थी मगर उसके बावजूद एकदम तिकोने चुचे 36D साइज के, जिसको देख कर किसी का भी ईमान डोल जाए।

और वही हुआ मेरा भी ईमान डोल गया, मैं अब किसी भी तरह से श्वेता को चोदना चाहता था।

मैं मौके ढूंढने लगा और एक दिन जब श्वेता घर पर नहीं थी तो मैंने उसके सामान की तलाशी लेने की सोची।

मैं काफी देर तक कुछ ऐसा ढूंढता रहा जिससे मैं उसे ब्लैकमेल कर सकूँ क्योंकि कहते हैं ना ‘हर इंसान में कमी होती है…’

और वही हुआ मुझे श्वेता के कमरे से सिगरेट के दो पैकेट मिले, उन्हें देखकर मुझे लगा कि मेरी मेहनत सफल हुई।
अब मैं श्वेता को ब्लैकमेल कर सकूँगा और उसको चोद लूँगा।
मैं उससे इस बारे में बात करने का मौका ढूंढने लगा।

एक दिन जब मम्मी-पापा घर पर नहीं थे तो मैंने सोचा यही मौका है इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।

मैंने एक सिगरेट जलाई और कश लेता हुआ श्वेता के कमरे में घुसा, मेरे हाथ में सिगरेट देखकर श्वेता बोली- तू पागल हो गया है, एक तो तू बेरोजगार और अय्याशियाँ कर रहा है?

उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया जैसे कि एक बेरोजगार युवक को आना चाहिए, मैंने कहा- साली रण्डी, कुतिया बाहर चूत मराती फिरती है और दो-दो, तीन-तीन सिगरेट के पैकेट तो घर में ही रखती है और मुझे बोल रही है कि मैं अय्याशियाँ कर रहा हूँ?

मेरी बात सुनकर श्वेता बोली- साले कुत्ते, मैं सिगरेट जरूर पीती हूँ मगर मैं कोई रण्डी या कुतिया नहीं जो बाहर चूत मरवाती फिरती हूँ। मैं अभी तक कुँवारी हूँ।

और मेरे हाथ से सिगरेट लेकर कश लेने लगी।

मैंने कहा- तू मुझसे छोटी है और मेरे सामने सिगरेट पी रही है?

तो वो बोली- अब हमारे सारे रिश्ते खत्म हो चुके हैं, जब तू मुझे कुतिया समझता है, तो इज्जत पहले ही खत्म हो गई, अब कैसी इज्जत?

मैंने कहा- और बोल कुतिया चुदेगी मुझसे?
उसने मेरे गाल पर तमाचा मारा और बोली- भड़वे सिगरेट के तो पैसे नहीं है जेब में… और लड़की चोदने निकला है।

अब हम दोनों के बीच भाई-बहन का रिश्ता खत्म हो चुका था और हम दोनों ऐसे बात कर रहे थे जैसे एक रंडी और उसका ग्राहक बात करते हैं।

मैंने अपनी पैंट खोली और अपना कच्छा नीचे करके अपना लण्ड बाहर निकाल कर उसके सामने रख दिया।

मेरा लंड देखते ही वो पागल हो गई और बोली- वाह मेरे राजा भैया… पैंट में सांप लिए घूमता है… और जब सांप निकाल ही लिया है तो उस मेरे वाले बिल में घुसा दे।

मैंने कहा- क्यूँ नहीं मेरी रानी बहना…

मैंने श्वेता को अपनी तरफ खींचा और एक बार होंठों को चूमा, उसके बाद उसे घुटनों के बल बैठने को कहा और अपना लंड उसके मुंह के सामने कर दिया।

वो लॉलीपोप की तरह से मेरा लंड चूसने लगी।

करीब पन्द्रह मिनट तक लंड चुसाई के बाद उसने अपनी जगह छोड़ी और अपनी टी-शर्ट ऊपर करके उतार दी और ब्रा भी उतार फेंकी।

वो अब ऊपर से पूरी नंगी थी।

यह नजारा देख मेरा लंड 7 इंच तक फनफना उठा, मैंने उसके चूचे अपने होंठो में ले लिए और अब चुसाई की बारी मेरी थी।
मैं भी काफी देर तक उसके चूचे चूसता रहा।

मैं उसके चुचे चूस ही रहा था कि तभी मुझे दरवाजे के खुलने बन्द होने की आवाज आई।

मैं समझ गया कि मम्मी-पापा वापिस आ गए हैं।
मैंने जल्दी से श्वेता को अंदर जाने के लिए कहा और अपने कपड़े पहन लिए।

श्वेता अपने कपड़े लेकर अपने कमरे में चली गई और वहाँ जाकर कपड़े बदले।

उस दिन मैं श्वेता को चोद नहीं पाया मगर अब मुझे पता था कि श्वेता चुदाई के लिए तैयार है और अब मौका मिलते ही मैं कभी भी श्वेता को चोद सकता हूँ।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, जरूर बताइये।
मैं उम्मीद करता हूँ आपको मेरी कहानी पसंद आएगी।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top