जब पहली बार मुझे सेक्स के बारे में पता चला-1
(Jab Pahli Baar Mujhe Sex Ke Bare Me Pata Chala- Part 1)
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हैलो दोस्तो.. कैसे हैं आप..
मेरा नाम सोनू है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 23 साल है.. मैं कई बार खाली टाइम में इस साईट की कहानिया पढ़ता हूँ और जब भी मैं अन्तर्वासना की कोई कहानी पढ़ता हूँ.. मुझे मेरी आपबीती याद आ जाती है, मैंने सोचा जब सब लोग अपने जीवन की सच्चाई लिख सकते हैं.. तो मैं भी लिख सकता हूँ।
यह बिल्कुल सच्ची घटना है, इसमें एक प्रतिशत भी मन से बनाई हुई बात नहीं है। मैंने पूरी कोशिश की है कि आपको हर लम्हे का मजा दूँ.. जैसा मैंने लिया था।
यह तब की बात है.. जब मैं 12वीं क्लास में था।
मेरे घर में 5 सदस्य हैं, मेरे पिता जी एक सरकारी कर्मचारी हैं, मेरी माँ एक हाउस वाइफ हैं। मेरी बहन मुझसे करीब डेढ़ साल बड़ी है.. उसका नाम सोनिया है। उसके बाद मैं हूँ और मेरे बाद मेरी छोटी बहन मोना है।
मैं पढ़ाई में हमेशा ही बहुत अच्छा रहा हूँ.. पढ़ाई में ध्यान देने के वजह से मैं ना तो बहुत ज्यादा दोस्त बना सका.. और न ही और किसी चीज़ में ध्यान दे सका। मेरी क्लास में मेरा एक ही दोस्त था.. जिसका नाम अशोक था।
नवम्बर के एक रविवार मैं किसी काम से बाहर गया हुआ था। जब मैं वहाँ से वापिस आया.. तो मैं नहाने चला गया, गर्म पानी के फव्वारे के नीचे खड़ा हो गया।
जब गर्म पानी मुझ पर गिरा.. तो सारी थकान चली गई।
नहाते हुए मैंने सोचा क्यों ना अंडरवियर भी उतार दूँ। मैं कई बार इसी तरह नंगा ही नहाता हूँ.. मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी।
लेकिन उस दिन थोड़ी अजीब बात हुई.. मैं अपने पूरे शरीर पर साबुन लगा रहा था। जब साबुन लगाते-लगाते मैं अपने लण्ड तक पहुँचा तो मेरे शरीर में कुछ हलचल हुई।
मुझे थोड़ा मजा आने लगा.. और मेरा लण्ड खड़ा होने लगा।
मेरा लण्ड तो कई बार खड़ा होता है.. पर अब से पहले ऐसा मजा कभी नहीं आया था।
मैं लण्ड को और हिलाने लगा.. मुझे और मजा आने लगा, मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया।
मेरे साथ यह पहली बार हुआ था इसलिए मुझे डर भी लग रहा था, पर मजा भी बहुत आ रहा था।
कुछ ग़लत ना हो जाए.. इस डर की वजह से मैंने उसे हिलाना छोड़ दिया और नहा लिया पर मैं उस मज़े को भूल नहीं सका।
दूसरे दिन मैं स्कूल पहुँचा.. तो अशोक का इंतजार था।
उसके आते ही मैंने उसे बताया कि कल मेरे साथ क्या हुआ।
पहले तो वो थोड़ा मुस्कराया.. फिर बोला- मुझे पागल मत बना.. तुझे इतना भी नहीं पता कि क्या हुआ था।
मैंने कसम खाई कि मुझे कुछ नहीं पता..
तो उसने कहा- ठीक है.. मैं छुट्टी के बाद तुझे सब कुछ बताऊँगा।
मैं छुट्टी होने का इंतजार करने लगा।
छुट्टी होने के बाद मैं और वो एक पार्क में बैठ गए।
वो बोला- तो कल तूने मुठ मारी थी?
‘ये क्या होता है?’
उसने कहा- जब हम अपने लण्ड की खाल को आगे-पीछे करते हैं.. तो हमारे लण्ड में से हमारा रस निकलता है.. और जब रस निकलता है.. तो बहुत मजा आता है.. पर इससे भी ज्यादा मजा जब आता है.. जब ये रस लड़की की चूत में निकले।
मेरे लिए ये सब बातें बिल्कुल अजीब थीं।
मैंने पूछा- लड़की की चूत में कैसे निकलता है?
उसने कहा- जहाँ से लड़की पेशाब करती उस जगह को चूत कहते हैं.. वहाँ एक सुराख होता है.. उसमें अपना लण्ड डाल दो.. फिर तुम्हारे लण्ड में से रस निकल कर उसके अन्दर चला जाएगा और तुम्हें बहुत ज़्यादा मजा आएगा।
फिर उसने मुझे सारी बातें समझाईं कि लड़की प्रेग्नेंट कैसे होती है और कन्डोम क्या होता है और उसे कैसे इस्तेमाल करते हैं।
फिर वो मुझे अपने घर ले गया.. वहाँ कोई नहीं था.. क्योंकि उसके माता-पिता दोनों सरकारी सर्विस में थे।
उसने मुझे एक फिल्म दिखाई.. जिसमें एक नंगा लड़का और एक नंगी लड़की आपस में सेक्स कर रहे थे।
वो फिल्म देख कर मुझे बहुत ज़्यादा उत्तेजना हो गई, मैंने पहली बार कोई लड़की नंगी देखी थी।
उसने मुझे कन्डोम भी दिखाया.. मैंने उस से दो कन्डोम ले लिए।
उसने बताया कि ये सरकारी हॉस्पिटल्स से फ्री में मिलते हैं।
मैं वहाँ से वापिस तो आ गया.. पर मेरी हालत बहुत खराब थी, घर आते ही मैं बाथरूम में गया और अपना लण्ड निकाल कर देखा। मैंने पहली बार अपना लण्ड इतने गौर से देखा था।
मेरा लण्ड मेरे हाथ में आते ही खड़ा होने लगा।
मैं लौड़े की खाल को आगे-पीछे करने लगा।
‘उह्ह गॉड.. इतना मजा..’
अभी कोई दो मिनट ही हुए होंगे कि मेरा सारा शरीर अकड़ गया और तभी मेरे लण्ड से एक पिचकारी सी निकली और मेरे लण्ड से सफेद रंग का एक गाढ़ा सा पदार्थ निकला।
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ये सब मैंने पहली बार देखा था.. पर वो जो भी कुछ था.. बहुत अच्छा था। उसके बाद मैं ठंडा पड़ गया… और मैं वहाँ से बाहर आ गया।
अगले दिन मैंने अशोक को फिर बताया.. तो उसने कहा- ये तो ठीक है.. पर इसको ज़्यादा मत करना.. वर्ना कमज़ोरी आ जाएगी।
अब में आपको हमारे घर के बारे में बताना चाहता हूँ। हमारा घर ठीक-ठाक बना हुआ है.. ये एक दोमंजिला घर है। नीचे वाले हिस्से में मेरे मम्मी-डैडी सोते हैं और ऊपर वाले हिस्से में दो बेडरूम हैं।
एक में मेरी दोनों बहनें सोती हैं और एक में मैं सोता हूँ। मेरे कमरे में टीवी लगा हुआ है.. इसलिए वो दोनों मेरे कमरे में ही टीवी देखने आती हैं।
उस दिन के बाद से मैं सेक्स पर कुछ ज़्यादा ही ध्यान देने लगा। मुझे अब लड़की की तलाश थी.. जिसके साथ मैं सेक्स कर सकूँ।
मेरा स्कूल तो सिर्फ़ लड़कों का था.. तो उधर गर्लफ्रेंड का कोई चान्स नहीं था। फिर जब भी मेरी हालत ज़्यादा खराब हो जाती थी.. तो मैं अपने हाथ से अपना रस निकाल देता था.. पर मुझे अशोक की बात याद आती कि लड़की के साथ ज़्यादा मजा आता है।
एक रात की बात है कि हम तीनों मेरे कमरे में टीवी देख रहे थे।
मुझे और सोनिया को क्रिकेट देखना अच्छा लगता है.. और उन दिनों इंडिया की टीम वेस्ट इंडीज गई हुई थी, उनका टेस्ट मैच शुरू हो गया था, मैंने वो मैच लगा दिया।
मैं और सोनिया पूरी तन्मयता से मैच देखने लगे.. पर मोना को क्रिकेट में कोई रूचि नहीं थी, वो हम दोनों से नाराज हो कर वहाँ से सोने के लिए अपने कमरे में चली गई।
हम दोनों मैच देखने लगे।
हम भाई-बहन दोस्तों की तरह रहते हैं।
उसी समय मुझे अचानक ऐसा लगा कि मेरी बहन भी तो एक लड़की है.. और मैं उसको ध्यान से देखने लगा।कमरे में नाइट लैम्प ऑन था.. और वो बिस्तर के सहारे आधी लेटी हुई हालत में थी, उसने अपने पाँव पर रज़ाई डाल रखी थी।
वो रात के समय टी-शर्ट और पजामा पहनती है।
मैं उसको देख रहा था और वो टीवी देख रही थी।
मैंने उसके चेहरे को देखा वो गोल चेहरे वाली लड़की है.. उसका रंग बिल्कुल साफ़ है.. बिल्कुल दूध जैसा साफ़.. फिर मैंने उसकी छाती को देखा.. उसकी छाती ठीक थी। मेरे ख्याल से उसका सीना कोई 32 का साइज़ होगा। जब मैं उसे देख रहा था.. तो मुझे डर भी लग रहा था.. साथ ही मेरा लण्ड भी धीरे-धीरे खड़ा होने लगा।
अचानक वो बोली- क्या हुआ.. क्या देख रहा है?
मैं सकपका गया- कुछ नहीं.. कुछ नहीं..
फिर मैं उठ कर उसके पास जाकर जैसे वो बैठी थी.. वैसे ही बैठ गया। थोड़ी देर बाद बहुत हिम्मत करके मैं अपने पाँव के अंगूठे से उसके पाँव के तलवे को छेड़ने लगा।
उसने मुझे देखा.. फिर पूछा- क्या बात है.. लड़ाई करनी है क्या? आराम से क्यों नहीं बैठ जाता?
लेकिन मैं वो करता रहा.. उसने अपने पाँव से मेरे पाँव को ज़ोर से धकेल दिया। मैं फिर वो ही करने लगा।
उस समय कोई 11 बजे हुए थे.. उसने मुझसे गुस्से से पूछा- क्या बात है?
मैंने कहा- मुझे तुमसे एक बात कहनी है।
वो बोली- क्या बात है बोल?
मैंने उससे कहा- पहले कसम खाओ कि ये बात किसी से नहीं कहोगी.. ना ही गुस्सा करोगी।
यह बात मैं उससे कह तो रहा था.. पर मैं डर से कांप भी रहा था। उसने टीवी पर से ध्यान हटा कर मुझे देखा और बोली- तुम बोलो तो सही..
मैंने कहा- नहीं.. पहले तुम प्रॉमिस करो।
उसने कहा- ठीक है मैं प्रॉमिस करती हूँ।
मैं कहा- सोनिया मैं.. मैं..
सोनिया- बोलो तो.. क्या बात है?
सोनू- सोनिया मैं.. मुझे डर लगता है.. तुम गुस्सा करोगी।
सोनिया- नहीं करूँगी.. तुम बोलो तो..
सोनू- प्रॉमिस?
सोनिया- प्रॉमिस..
सोनू- सोनिया मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ।
यह कह कर मैंने नजरें नीचे कर लीं।
मैंने कहने को कह दिया था.. पर गाण्ड फट रही थी कि अब बवाल न हो जाए।
जैसा कि मैंने आपको शुरू में ही कहा था कि इस आपबीती में एक प्रतिशत भी मिथ्या नहीं लिखा गया है.. और जो मनोभाव मेरे उस वक्त थे उसी को व्यक्त कर रहा हूँ। आशा है कि आपको मेरी इस कथा में आनन्द आएगा।
मुझे ईमेल कीजिएगा.. ताकि मेरा उत्साह बना रहे और मैं अपनी इस आपबीती को पूरे आत्मविश्वास के साथ आपके साथ साझा कर सकूँ।
कहानी जारी है।
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