मामा की लड़की की सील

हरि 2007-09-26 Comments

हीरल पटेल

मेरा नाम हरी है, मैं अहमदाबाद में रहता हूँ। मैं आपको मैंने अपने मामा की लड़की की सील कैसे तोड़ी यह बताने जा रहा हूँ…. यह बात जो आपको बताने जा रहा हूँ, आज से करीबन चार साल पहले की है।

हमने अपने गाँव में एक छोटी सी पार्टी रखी थी तो सब रिश्तेदारों को बुलाया था। तो उसमें दीपू भी आई थी। हालांकि मेरी नजर उस पर बचपन से ही थी। वह मेरे से करीबन आठ साल छोटी है पर अभी तो वह मुझसे भी बड़ी लग रही है।

हमारे घर पर सब मेहमान आए हुए थे और मेरे गाँव का घर बहुत छोटा है। तो सब रिश्तेदारों को हमने बता दिया था पर पता नहीं दीपू ने कहा कि वह हमारे घर पर ही सोएगी।

हमारे घर में एक कमरे में पहले पापा, फिर मम्मी, फिर भाई, फिर बहन और फिर दीपू और फिर एक और चचेरा भाई और अंत में दीवार से सट कर मैं सोया हुआ था।

इससे पहले मैंने उसको चुम्मा-चाटी तो बहुत की थी। तो इस रात को भी मैंने अपनी कोहनी के बल सर को उठा कर देखा तो सब लोग सो रहे थे। घर के काम काज की वजह से और गाँव में पानी दूर से लाना होता था तो इसलिए सब थके हुए थे।

मैंने थोड़ी आवाज की पर कोई जगा नहीं….

मैंने अपना हाथ धीरे से दीपू की चूचियों पर रखा और उसको प्रेम से सहलाने लगा। वह भी जग गई और इसका मजा लेने लगी। फिर मैंने उसको अपनी तरफ आने को कहा।

वह धीरे से नीचे से खिसक के चचेरे भाई के ऊपर से मेरे ऊपर आ गई। मैंने नींद में चचेरे भाई को थोड़ा आगे खिसका कर थोड़ी जगह बना ली और वहीं दीपू को लिटा लिया और फिर उसके होंठ चूसने लगा।

वह भी मेरा साथ दे रही थी और मस्ती में आह आह की आवाजें निकाल रही थी। मैं चुम्बन के साथ-साथ उसकी जांघें और उसकी कमर को भी सहला रहा था। यह सिलसिला करीब बीस मिनट तक चला।

उसके बाद मैं उसकी स्कर्ट को ऊपर करके उसकी चूचियों को बारी-बारी चूसता रहा। क्या चूचियाँ थी, बिल्कुल अनछुई ! मैं तो पागल ही हो गया।

अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार नीचे सरका दी और उसकी जांघ और उसकी चूत को चाटने लगा।

इस सबके दौरान वह भी दो बार झड़ चुकी थी क्योंकि उसकी उमर 18 साल ही थी।

फिर मैंने भी अपने कपड़े निकाल दिए उसने भी मेरे छाती पर हाथ फ़िराया और अपने होंठ मेरे चुचूक पर रखकर चूसने लगी।

मेरे तन-बदन में एक अजीब सी ही हलचल मच गई और मैंने उसके बाल पकड़ कर जोर से उसके होंठों को काट लिया और कुत्ते की तरह उसका पूरा बदन चाटने लगा।

उसे भी मजा आ रहा था, फिर वह कहने लगी- हरी अब नहीं रहा जाता, अपना लण्ड मेरी चूत में गाड़ दो ! आज इस अनछुई को अपनी पत्नी बना लो ! आज सुहागरात मना लो…. वरना मैं मर जाऊँगी।

यह सब वह एकदम धीरे-धीरे बोल रही थी, मेरे कानो में !

बस फिर क्या था, मैंने उसकी जांघें चोड़ी कर के अपने आठ इन्च के लण्ड को उसकी चूत की दरार पर रखा।

पर यह क्या- वह तो घुसने का नाम ही नहीं ले रहा था !

3-4 बार कोशिश करने के बाद मेरे लौड़ा थोड़ा ठंडा हो गया तो मैं घबरा सा गया। फिर अचानक उठा, कोपरे के तेल की बोतल ले कर तेल उसकी चूत में उंगली से लगा दिया। वह भी कसमसा रही थी….

अब मैंने उसके हाथ को अपने लण्ड पर रखा और उसको बोला- इसको अपने मुँह में लो !

2-3 मिनट में ही मेरा लण्ड एक डण्डे जैसा बन गया। मैंने लण्ड उसके मुँह से निकाल कर सीधा चूत के छेद पर रखा और एक धक्का मारा, पर पहेली बार में सिर्फ दो इन्च अन्दर गया और वो चिल्लाने लगी।

उसके मुँह पर मैंने अपना मुँह रख दिया और अब देर करना मुनासिब नहीं था तो मैंने एक जोर से धक्का मारा और पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। उसकी आँख से आँसू निकल गए और वह बेहोश सी हो गई लेकिन मैंने अपने धक्के चालू रखे।

करीब 5 मिनट के बाद उसको होश आया और वो मेरे बाल नोचने लगी और अपने पाँव मेरी पीठ पर लगा कर कूल्हे उछाल-उछाल कर मेरा साथ देने लगी और कहने लगी- और करो ! आज तुम मेरे अन्दर समा जाओ। अब मुझ से और सब्र नहीं होता। और जोर से, और जोर से !

करीब 15 मिनट तक हमारा सेक्स चला। इस दौरान वह 3 बार झड़ चुकी थी और थक भी गई थी।

और मैं भी अब जाने वाला था इसलिए धक्के की स्पीड बढ़ाई और उसको गर्दन से जोर जोर से पकड़ कर धक्के लगाता रहा …… और फिर एक साथ 6-7 पिचकारियाँ उसकी चूत में डाल दी और निढाल होकर उसके ऊपर गिर गया।

5 मिनट के बाद वह अपने कपड़े ठीक करके वापस अपनी जगह पर चली गई और मैं गहरी नीन्द में सो गया।

कैसी लगी यह मेरी और मेरी ममेरी बहन की सुहागरात ?

आज तो मैं शादीशुदा हूँ और वह कॉलेज़ में है पर अब वह पक्की चुद्दकड़ बन गई है और मुझे बहुत अलग अलग किस्म के आनन्द देती है।

बस यही दुआ है कि उसको कोई अच्छा चुद्दकड़ पति मिल जाये जो उसकी तृष्णा शान्त कर सके, वरना मैं तो हूँ ही…..

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