चूत शृंगार-2

(Choot Ka Shringaar-2)

This story is part of a series:

भैया ने ब्लाउज खुला रखने को कहा था इसलिए मैंने पल्लू से भी पूरी तरह नहीं ढका। मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था कि मुझे कौन ज्यादा ताड़ रहा है, भाई या वो मर्द। वो मर्द मुझे ज्यादा भाने लगा, सोचा उसको आँखों में बसा लेती हूँ रात को उसी को याद कर के उंगली लूंगी और चुदने का मजा लूँगी।

मैं यह सोच ही रही थी कि उसने मुझे आँख मारी। मैं कुछ समझ ही नहीं पाई कि यह अचानक क्या हुआ। भैया की पीठ उसकी तरफ थी इसलिए भैया को कुछ पता नहीं लगा। भाई की आँखें तो मेरे मम्मों पर टिकी ही थीं। वो आदमी भी ऐसे देख रहा था, जैसे मुझे चोदने का हक है उसे। मैं कभी भाई को देखती और कभी उसको और समझ न पाती कि कौन मुझे चोदने को ज्यादा उतावला है। जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं तो कब से तड़प रही थी कि कोई मेरी चूत को लंड से खोद डाले।

थोड़ी देर बाद उस मर्द ने फिर मुझे आँख मारी। घबराहट में मैंने पल्लू समेटा। समेटा क्या, घबराहट में कुछ ऐसा कर बैठी कि मम्मे और उभर कर दिखने लगे। उस मर्द को जरूर लगा होगा कि मैं खुल कर अपने मम्मे उसे दिखा रही हूँ। मैंने भी सोचा, लगता है तो लगे, कुछ ज्यादा इशारे करेगा तो उसे याद करके उंगली लेने में रात को और मजा आएगा।

मैंने सोच लिया कि अब आँख मारेगा तो और खुल कर दिखाऊँगी।
थोड़ी देर बीती, तो उसने फिर आँख मारी। मैंने जैसे सोचा था, वैसे ही किया, मैंने ब्लाउज में हाथ डाल कर मम्मों को थोड़ा सा ऊपर किया मानो कह रही हूँ, ले चूस ले।

इसका असर उस पर तो पता नहीं क्या हुआ? भैया पर असर जरूर हुआ जो उसकी जुबान पर आया।
भैया बोले- हाय राम, तेरे से सुन्दर तो कोई हो ही नहीं सकता।

साफ लग रहा था कि इसके हाथ तो मेरे मम्मे मसलने के लिए तिलमिला रहे हैं। भैया के चेहरे से साफ दिखाई दे रहा था कि अगर मैं उसकी बहन न होती तो मुझे यहीं चोद डालता। मेरा तो हाल उससे भी बुरा था। मेरी चूत तो इतनी तरस रही थी कि भाई तो क्या कोई कुत्ता भी चोदे तो मैं मना न करूँ।

दो मर्द मस्त होकर मेरे मम्मों के दर्शन कर रहे थे। एक मेरा भाई जो मुझे इस लिए नहीं चोद सकता कि वो भाई है, दूसरा वो जो सामने से ताड़ रहा था जो मुझे इसलिए नहीं चोद सकता कि वो बिल्कुल अजनबी है। फिर भी मैं उनको मस्त करना चाहती थी कि रात को चूत में उंगली करने को कुछ यादें रह जाएँ।

मैंने उनको मस्त करने का एक उपाय सोचा। मैंने ब्लाउज में हाथ डाल कर अपना मम्मा थोड़ा ऊपर को किया। भाई की तो मानो साँस ही रुक गई। मुझे समझ आ गया यह तरीका मस्त है। मैंने फिर दूसरा मम्मा थोड़ा ऊपर किया, असर नजर आ रहा था, मैं थोड़ी-थोड़ी देर में मम्मों में हाथ डाल कर उन्हें थोड़ा थोड़ा ऊपर-नीचे इधर-उधर करने लगी।

जादू चल रहा था। कभी मैं भाई को देखती, कभी उस अजनबी को ! बहुत मजा आ रहा था।

ऐसा करते-करते एक बार हाथों से थोड़ी सब्जी मम्मों पर लग गई। मैंने रूमाल से साफ की और भैया से कहा- अरे सामने बैठे हो, बता तो देते यहाँ सब्जी लगी है।

भैया ने कहा- सॉरी यार, अब ऐसा कुछ होगा तो बता दूँगा।
मेरे हिसाब से यह बहुत बड़ी बात थी, भैया ने एक तरह से मान लिया कि वो मेरे मम्मे देख रहे हैं। उनको यह भी स्पष्ट हो गया कि मुझे पता है कि वो मेरे मम्मे देख रहे हैं और इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है। फिर उसने इस बार मुझे दीदी नहीं, यार कह कर बुलाया। यानि अब हम चोद भले ही न सकें कम से कम मम्मों की तो बात खुल कर, कर ही सकते हैं।

थोड़ी देर यही सिलसिला चलता रहा। सामने वाला आँख मारता तो मैं मम्मे में हाथ डालती। फिर भैया का चेहरा देखती ओर हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कराते। यह मुस्कराहट बिना मुँह खोले बहुत कुछ कह जाती। मानो मैं कह रही हूँ भैया तेरे लिए ही मम्मे हिला रही हूँ और वो कह रहा हो, इसी तरह हिलाती रह, बड़ा मजा आ रहा है, लण्ड खड़ा हो रहा है और हिला अपने मम्मे।

फिर मैंने अपने मन में उठ रहे ख्यालों की सच्चाई परखने के लिए एक उंगली पर थोड़ी सब्जी लगा कर मम्मों को ऊपर-नीचे किया, मम्मों पर सब्जी लग गई, भैया ने एक सेकंड नहीं लगाया और कहा- साफ कर ले।

मैंने मुँह साफ करके पूछा- ठीक है?
भैया ने कहा- मुँह नहीं यार, अपना मम्मा साफ कर !
‘अरे वाह भैया तो यार बन के मेरे मम्मों की बात कर रहा है !’ मजा आ गया ! मैंने अच्छी तरह रगड़-रगड़ कर घुमा-घुमा के मम्मा साफ किया और भैया को पूरा मजा दिया।

हद तो तब हुई जब भैया ने कहा- दूसरा मम्मा भी साफ कर ले।
अरे उस पर तो कुछ लगा ही नहीं था। मैं समझ गई भैया और मजा लेना चाहता है और क्यों नहीं ले, इसमें गलत क्या है?अगर बहन खुशी से मम्मे दिखा रही है, तो भाई को मजा लेने में क्या बुराई है?

‘बहन भाई राजी तो माँ चुदाए काजी।’
तो भैया ने जब कहा- दूसरा मम्मा साफ कर।

तो मैं उनकी नीयत समझ गई और मैंने पूरा मजा देने की ठान ली। मैंने एक हाथ से ब्लाउज पकड़ा और दूसरे हाथ से मम्मा पकड़ कर अच्छी तरह मसला। मैं भैया के मुँह की तरफ देख रही थी, क्या आनन्द लेकर देख रहा था, मेरे मम्मों को।

जब मैंने देखा कि उसकी आँखें गड़ी हुई हैं तो मैंने अपनी चूची पर उंगली रख कर दबाई और उसे ब्लाउज से बाहर निकाल लिया।
भैया एकदम घबरा कर बोले- अरे इसे अन्दर कर।
मैंने कहा- क्या हुआ यार? इतना गुस्सा क्यों?

भैया ने कहा- गुस्सा नहीं कर रहा, यहाँ चूची दिखाना गैरकानूनी है।
मैंने कहा- सच बताना भैया, मेरे मम्मे तो तुम्हें अच्छे लगते हैं, यह मैं जानती हूँ, पर मुझे लगता है मेरी चूची तुम्हें अच्छी नहीं लगती।

‘पगली !’ भैया बोले- मैंने तेरी चूची सिर्फ एक बार देखी है और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि तेरी चूची दुनिया की सबसे सुंदर चूची है। यहाँ चूची दिखाना गैरकानूनी नहीं होता तो मैं तुझे मना भी नहीं करता।

तो मैंने कहा- अच्छा भैया बताओ कहाँ तक ठीक है?

और मैंने अपनी चूची पर उंगली रख कर मम्मे को ऊपर उठाना शुरू किया।
भैया बोले- थोड़ा और ! थोड़ा और ! बस बस इतना नहीं ! थोड़ा कम कर ! हाँ बस बस ! अब बिल्कुल ठीक है।

और मैं वहाँ जितना ज्यादा मम्मा दिखा सकती थी उतना भैया ने खुलवा लिया। मैं भी सोच लिया अब तो खुल कर बात होनी शुरू हो गई है, अब तो मैं खुल कर दिखा दूँगी। यहाँ नहीं तो घर पर ही सही।

भैया को अपने मम्मे दिखा दिखा कर खुश करने के चक्कर में मैं तो भूल ही गई थी कि एक और मजनूं भी तो मेरे मम्मे ताड़ रहा था। उधर देखा तो वो चुम्मा पे चुम्मा फेंक रहा था, जो उड़न तश्तरी की तरह मेरे मम्मों पर वार कर रहे थे।

मैं उसे देख कर मुस्करा दी। वो कहते हैं ना मुस्कराई तो जेब में आई और हँसी तो फँसी। फँस तो मैं गई ही थी, सोचा इस मजनूँ की भी खबर लेनी ही चाहिये। देखा तो उसकी सीट के पीछे दीवार थी, जिस पर शौचालय लिखा था।

सुसु का बहाना कर मैं भाई के पास से उठी और उसकी तरफ बढ़ी। शौचालय जाते-जाते उसके पास से निकली तो उसने मेरी नंगी कमर पर हाथ फेर दिया। मैं रुकी नहीं आगे बढ़ गई। वो पीछे-पीछे आ गया और उस दीवार के पीछे मिला।

मैंने कहा- बहुत हिम्मत बढ़ गई है तुम्हारी?

वो बोला- दिल आ गया है, अब जान भी जाए तो तेरी लेकर ही मरूँगा।
मैं फिर बोली- बड़ी हिम्मत हो रही है?
उसने मेरी कमर पकड़ ली, बोला- कब देगी?
मैं बोली- यह क्या बात हुई? जान ना पहचान, मैं तेरा मेहमान !
वो बोला- तेरे दिल की कसम, दिल आ गया है और उसने अपना हाथ मेरे मम्मों के नंगे भाग पर रख दिया।

मैं बोली- तुम क्या सोचते हो, मैं यहाँ अकेली हूँ?
वो बोला- जानता हूँ, तू अपने पति के साथ है पर मुझे पता है, तेरा दिल भी मेरे साथ है। बोल कब देगी?
मैंने कहा- क्या बकवास है, सड़क पर लेगा क्या? सड़क पर तो कुत्ते चोदते हैं।
वो बोला- तेरे लिए तो कुत्ता भी बन जाऊँगा। बोल कहाँ चुदेगी?

मैंने कहा- मेरी छाती से हाथ हटा !
तो वो बोला- हिम्मत है तो झटक दे।
मैंने कहा- हटा ले ना यार ! कोई देख लेगा।
वो बोला- पहले वादा कर।

मैंने कहा- हाँ, मौका देख कर चुदूँगी।
उसने मेरा मम्मा दबा कर छोड़ दिया।
मैंने कहा- अगर सचमुच मुझे चोदना है तो मेरे उससे दोस्ती कर ले।

वो समझ रहा था कि कमल मेरा पति है, मैंने भी नहीं बताया कि वो मेरा भाई है।
मैंने उससे पूछा- तेरा नाम क्या है?
उसने कहा- चोदू !

मैंने सोचा कि यह कैसा नाम है।

कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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