चरित्र बदलाव-2

(Didi Ki Chudai Story: Charitra Badlav- Part 2)

This story is part of a series:

अन्तर्वासना के पाठकों को एक बार फिर से मेरा प्यार और नमस्कार! अपने बारे में ज्यादा ना बताते हुए क्योंकि कहानी के पहले भाग में मैं अपने बारे में बता चुका हूँ, मैं अपनी कहानी आगे बढ़ाता हूँ .

चित्रा के साथ सेक्स करते हुए पकड़े जाने के बाद दीदी की आग शांत करने की जिमेदारी मेरे मजबूत लौड़े पर आ गई. मगर शादी की वजह से भैया-भाभी ने ऑफिस से छुट्टी ले ली तो कोई मौका नहीं मिल रहा था. मगर कहते है न जहाँ चाह वहाँ राह.

शादी से दो दिन पहले सभी मंदिर गए थे. मगर दीदी के सर में दर्द था इसलिए दीदी घर पर ही रुक गई. जैसा कि मैंने पहले भाग में बताया था, दीदी बहुत ही सेक्सी है, एक दम गोरा रंग, कसा हुआ शरीर, तनी हुई चूचियाँ जो बड़ी थी. दीदी की चूचियों को देखते ही मेरा लंड सलामी देने लगता था. मैं पहले भी कई बार दीदी के नाम की मुठ मार चुका था मगर मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी मस्त चूत का मैं कभी राजा बनूँगा.

सभी के जाने के बाद मैं दीदी के कमरे की तरफ बढ़ा मगर तबीयत खराब होने की वजह से दीदी सोई हुई थी. उन्हें सोया देखकर मैं वापिस अपने कमरे में आ गया और अपनी किस्मत को कोसने लगा. मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और दीदी के नाम की मुठ मारने लगा.

थोड़ी देर के बाद सभी घर वापिस आ गए.
मैंने मम्मी से कहा- मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ!
तो चित्रा ने साथ चलने को कहा. मैं चित्रा की शरारत समझ गया और मैंने भी हाँ कह दी.

मैंने अपने और चित्रा के सेक्स के बारे में अपने दोस्त योगेंद्र को पहले ही बता दिया था. हम सभी उसे योगी कहते थे. वो भी आज इंजीनियर है हम दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते. जब मैं उसके घर पहुँचा तो योगी के अलावा उसके घर में कोई और नहीं था. वैसे योगी के घर में उसके माता-पिता के अलावा उसकी दो बहनें भी हैं.

योगी के घर पहुँचने के बाद हम तीनों बात करने लगे. योगी चित्रा की तारीफ करने लगा, वैसे योगी एक नंबर का ठर्की है. फिर उसने हमें बीयर पेश की. चित्रा ने मना किया मगर मेरे कहने पर चित्रा ने हाँ कह दी. चित्रा को थोड़ी चढ़ने लगी जिसके कारण वो अंगड़ाई लेने लगी जिससे चित्रा के चूचों की गोलाई साफ-साफ दिखने लगी जिसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैंने योगी की तरफ देखा तो उसका लंड भी साँप की तरह खड़ा था.

फिर मैंने चित्रा को देखा और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिये और उसे बाहों में उठा कर योगी के कमरे में ले गया.

योगी भी पीछे-पीछे आ गया, मैंने उसका सूट उतार दिया और फिर उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और फिर मैंने चित्रा की पेंटी भी निकाल दी और उसकी चूत चाटने लगा. फिर योगी भी उसके होंठ चूमने लगा मगर चित्रा ने योगी का भी कोई विरोध नहीं किया.

फिर मैंने अपना मोबाइल निकाला और योगी को बिना बताए चित्रा और योगी की फोटो खींच ली. योगी तो चित्रा को चूमने में लगा हुआ था. अब चित्रा पूरे होश में थी और वो हमारा पूरा साथ दे रही थी शायद वो भी दो-दो लंड का मजा एक साथ लेना चाहती थी. फिर योगी उसके चूचे चूसने लगा और मैंने अपना लंड चित्रा के मुँह में डाल दिया.

मैंने योगी को हटाया और चित्रा को घोड़ी बनने के लिए कहा और अपना लंड उसकी गांड पर रख कर रगड़ने लगा. इतने में योगी ने अपना लंड चित्रा के मुँह में रख दिया. चित्रा पहली बार गांड मरवा रही थी इसलिए मैंने पहले उसकी गांड पर क्रीम की मालिश की और फिर उसकी गांड में हल्का सा धक्का दिया तो वो चिल्लाने की कोशिश करने लगी मगर योगी का लंड उसके मुंह में था इसलिए वो चिल्ला भी नहीं सकी.

फिर मैं धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा और बीच-बीच में हल्के धक्के मार देता जिससे उसकी चीख निकल जाती. मैं तीस मिनट तक उसकी गांड मारता रहा. इतनी देर में वो दो बार झड़ गई. जैसे ही मैं झड़ने वाला था मैंने अपना लंड निकाल और पूरा पानी उसके मुँह में डाल दिया.

हम तीनों बिस्तर पर लेट गए. हम पंद्रह मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे फिर मैंने अपने होंठ फिर से चित्रा के होंठों पर रख दिये. उसके बाद हम बाथरूम में जाकर एक-दूसरे को साफ करने लगे. फिर हम तीनों नंगे ही बाहर आ गए तो योगी ने चित्रा को पकड़ लिया और चित्रा के चूचे चूसने लगा. उसने चित्रा को बाहों में लेकर उसे बिस्तर पर लिटा दिया तो चित्रा बोली- अभी मैं थक गई हूँ!

मगर योगी ने उसकी एक नहीं सुनी और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया तो वो दर्द के मारे चिल्ला उठी.

योगी पंद्रह मिनट तक उसकी चूत मारता रहा. फिर वो दोनों जाकर नहाये और फिर हम तीनों ने अपने कपड़े पहने और मैं और चित्रा वापिस घर आने लगे.

तभी चित्रा ने योगी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और थेंक-यू कहा और फिर हम दोनों वापिस घर आ गए.

चित्रा और मैं काफी थक गए थे इसलिए हम दोनों मेरे कमरे में जाकर एक ही बिस्तर पर सो गए. जब मैं सो कर उठा तो देखा चित्रा वहाँ नहीं थी.

मैं उठा और चित्रा के कमरे की तरफ बढ़ा मगर चित्रा के कमरे का दरवाजा बंद था और अंदर से आवाजें आ रही थी. मैंने ध्यान से सुना तो चित्रा किसी से बात कर रही थी.

सुनने के लिए मैं दरवाजे के बिल्कुल पास आ गया तो यह कोई और नहीं बल्कि स्वाति दीदी थी.

मैं वापिस अपने कमरे में आ गया क्योंकि मुझे अब स्वाति दीदी का कोई डर नहीं था. मैं फ्रेश होने के बाद नीचे आ गया तो स्वाति दीदी और चित्रा पहले से ही नीचे थी. चित्रा ने सूट और स्वाति दीदी ने काले रंग की साड़ी पहन रखी थी. उस साड़ी में दीदी क्या कयामत लग रही थी.

थोड़ी देर में मुझे किसी की मिस कॉल आई मैंने देखा तो वो स्वाति दीदी की थी. मुझे समझते देर न लगी और मैंने रिटर्न कॉल की तो दीदी ने फोन नहीं उठाया.

मैं सीधा दीदी के कमरे की ओर बढ़ा. मैंने दरवाजे को हाथ लगाया तो दरवाजा खुला हुआ था. मैं अंदर गया तो दीदी अंदर थी, उन्होंने लाल रंग की पारदर्शी नाइटी पहन रखी थी. उनकी लाल रंग की ब्रा और पेंटी उस नाइटी में से साफ दिखाई दे रही थी.

मैंने दरवाजा बंद किया और अंदर आ गया. दीदी मेरे ऊपर टूट पड़ी और मेरी टी-शर्ट और बनियान उतार दी और मेरी छाती पर जीभ फेरने लगी.

मैंने भी देर न करते हुए दीदी के होंठो पर अपने होंठ रख दिये और हम दोनों पंद्रह मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे. फिर मैंने दीदी की नाइटी उतार दी और ब्रा के ऊपर से ही उनके चूचे मसलने लगा जिससे दीदी मचल उठी. मैंने दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया और अपना मुँह दीदी के होंठो से हटा कर उनके चूचे चूसने लगा.

हमें किसी का ड़र नहीं था क्योंकि रात का समय था और ज़्यादातर लोग सो चुके थे.

दीदी ने जोश में आते हुए मेरी पैंट और अंडरवीयर उतार दी और मेरा लंड दबाने लगी. मैंने भी स्वाति दीदी की पेंटी निकाल दी और उनको बाहों में लेकर उन्हें चूमने लगा जिससे उन्हें भी जोश आ गया और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी.

फिर मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी चूत चाटने लगा जिससे वो सिहर उठी. मैंने आव देखा न ताव, अपना लंड दीदी के मुँह में रख दिया और फिर दीदी उसे लोलीपॉप की तरह चूसने लगी और हम 69 की अवस्था में आ गए. हम पंद्रह मिनट तक एक दूसरे को चाटते रहे और फिर मैंने अपना लंड दीदी की चूत पर रख दिया.

मेरी दीदी पहली बार किसी से चुदने वाली थी इसलिए मैं धीरे धीरे धक्का मारने लगा. जैसे ही मैं धक्का मारता, दीदी चिल्ला उठती. हमारा चुदाई कार्यक्रम बीस मिनट तक चला. इतने में दीदी दो बार झड़ गई, मैं भी झड़ने वाला था इसलिए मैंने धक्के मारना तेज़ कर दिया. दीदी को भी अब मजा आ रहा था. फिर मैं भी झड़ गया और हमारा पानी एक-दूसरे में मिल गया. फिर हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर लेट गए, हम काफी देर तक वैसे ही लेटे रहे और हम एक दूसरे को चूमते रहे जिससे दीदी फिर से गर्म हो गई और मेरा लंड भी फिर खड़ा हो गया.

मैंने फिर से दीदी को चोदा. उस रात मैंने उन्हें चार बार चोदा. हम सुबह तक एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे. सुबह किसी ने दरवाजा खटकाया तो हम डर गए. मैंने खिड़की में से देखा तो वो चित्रा थी. चित्रा को सब पता था इसलिए वो चली गई और फिर मैं और दीदी उसके बाद बाथरूम में जाकर एक-दूसरे को साफ करने लगे. दीदी अपने चूचों पर पानी डाल-डाल कर साफ कर रही थी जिसे देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने दीदी को बाहों में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया एक बार फिर उनकी चुदाई की.

फिर मैंने दीदी से कहा- मुझे तुम्हारी गांड मारनी है!
तो दीदी ने कहा- अभी नहीं! सुबह हो चुकी है, कोई भी आ सकता है. और मेरे भैया राजा, अब तो मैं पूरी तुम्हारी हूँ, कभी भी मार लेना! और अब मुझे अकेले में दीदी नहीं डार्लिंग बोला करो.
फिर हमने एक-दूसरे को एक लंबा चुंबन दिया और कपड़े पहन कर नीचे आ गए.

आप मुझे मेल करके बताइये आपको मेरी कहानी कैसी लगी.
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