चूत एक पहेली -22
(Chut Ek Paheli-22)
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अब तक आपने पढ़ा..
पुरु ने रस मलाई की तरह मेरा सारा पानी चाट-चाट कर साफ कर दिया। अब मैं निढाल सी बिस्तर पर लेटी हुई थी।
पुरु- क्यों मेरी प्यारी बहना.. मज़ा आया ना.. इसे कहते है प्यार का खेल.. अब आगे-आगे देख तुझे कैसे मज़ा देता हूँ।
पूजा- भाई ये सब सही है क्या?
अब आगे..
पुरु- मेरी जान.. यह देख, लौड़ा कैसे तना हुआ तुम्हें निहार रहा है। इसको किसी रिश्ते की परवाह नहीं है.. चल इसको प्यार कर.. मज़ा आएगा..
भाई ने अपना 7″ का नाग मेरे सामने कर दिया। मैं बस उसको देख रही थी कि भाई ने मेरे बाल पकड़ कर लौड़े को मेरे होंठों पर रख दिया।
पूजा- उउउ नहीं भाई.. मुझे नहीं करना ये गंदा है ना ना..
पुरु- अरे जान एक बार चूस कर देख.. दुनिया के सारे मज़े भूल जाएगी तू..
मुझे बड़ा अजीब लग रहा था.. मगर भाई ने ज़ोर दिया तो मैं लौड़े के टोपे को चूसने लगी और सच बताऊँ वो बहुत अच्छा था.. मुझे मज़ा आने लगा और मैंने पूरा लौड़ा मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, उसका रस बड़ा अजीब सा था।
पुरु- आह्ह.. चूस बहना.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है आह्ह.. अब मेरे मज़े हो गए.. आह्ह.. अब बस रोज तू मेरे साथ ही सोना.. रोज आह्ह.. आह..
करीब 5 मिनट तक मैं लौड़े को मज़े से चूसती रही.. अचानक भाई ने मेरे सर को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से झटके देने शुरू कर दिए।
कुछ ही देर में उनके लंड से तेज वीर्य की पिचकारी मेरे गले में उतरने लगी।
ना चाहते हुए भी मैं उनका सारा माल पी गई।
पुरु- आह्ह.. आह उफ़फ्फ़.. पीले आह्ह.. सारा माल पीले.. अपने भाई का.. आह्ह.. आज तूने मुझे बहुत मज़ा दिया आह्ह..
जब भाई का लंड शान्त हुआ.. वो पीछे हटा और मेरी जान में जान आई, मेरे मुँह से अभी भी उनके सफेद वीर्य की कुछ बूंदें बाहर आ रही थीं और उनके लंड पर भी कुछ माल लगा हुआ था।
पुरु- पूजा ऐसे नहीं करते.. चल पूरा माल चाट कर साफ कर और पी जा सब.. तभी ज़्यादा मज़ा आएगा..
पूजा- नहीं भाई, यह बहुत अजीब सा है मुझे उल्टी आने जैसा फ़ील हो रहा है।
पुरु- अरे कुछ नहीं होगा.. ये तो बड़ा फायदेमंद रस है.. चल आ जा चाट कर साफ कर.. उसके बाद मैं तुझे और मज़ा दूँगा.. चल आ जा..
पूजा- भाई की बातों में एक जादू था। मैं बस उनकी हर बात मानती जा रही थी। मैंने लौड़े को जीभ से चाट कर साफ करना शुरू कर दिया और कुछ देर ऐसा करने के बाद लौड़ा साफ हो गया। मगर भाई की नजरों में वासना का तूफान नज़र आने लगा।
पूजा- भाई आप ऐसे क्या देख रहे हो मुझे?
पुरु- मेरी जान.. तेरी जैसी हसीन बहन सामने नंगी हो.. तो और क्या देखूँ मैं.. आज तो मेरा बहनचोद बन जाने का दिन है..
पूजा- नहीं भाई.. यह गलत होगा.. हमारी बहुत बदनामी हो जाएगी..
पुरु- अरे डार्लिंग, किसी को पता लगेगा तब बदनामी होगी ना.. इस रात के अंधेरे के मैं हम दोनों.. एक-दूसरे की जरूरत पूरी करेंगे.. दिन में वहीं रिश्ता रहेगा हमारा..
पूजा- ओह.. भाई आपने क्या जादू कर दिया मुझ पर.. कुछ समझ नहीं आ रहा.. अब तो जो होगा.. देखा जाएगा आ जाओ.. बना लो मुझे अपना..
हम दोनों बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में चूमने में बिज़ी हो गए।
भाई मेरे छोटे-छोटे मम्मों को दबा रहा था, कभी मेरे निप्पल को चूस रहा था और मैं भी उनकी कमर पर हाथ घुमा रही थी, कभी उनके लंड को सहला रही थी..
लगभग 15 मिनट तक यह खेल चलता रहा.. हम दोनों बहुत गर्म हो गए थे, मेरी चूत रिसने लगी थी..
पुरु- उफ्फ़ पूजा.. अब वक़्त आ गया है कि तेरी कुँवारी चूत को खोलकर मैं तुझे पूरी कच्ची कली से खिला हुआ फ़ूल बना दूँ।
पूजा- आह्ह.. भाई उफ्फ.. अब मेरे से बर्दाश्त नहीं हो रहा.. आह्ह.. जो करना है जल्दी से कर दो इसस्स आह..
भाई ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैर मोड़ कर एक बार अच्छे से मेरी चूत को चाट कर अपने थूक से तर कर दिया.. उसके बाद अपने लौड़े पर अच्छे से थूक लगा कर अपना लौड़ा चूत पर रखा।
मेरी जो हालत हुई.. क्या बताऊँ मैं.. भाई के लौड़े का स्पर्श बहुत ही मजेदार था, वो पल शब्दों में नहीं बताया जा सकता है.. बस महसूस किया जा सकता है।
पूजा- ससस्स.. आह.. भाई.. आराम से करना.. मुझे डर लग रहा है कहीं इस खेल में कुछ गड़बड़ ना हो जाए..
पुरु- बस थोड़ा सा दर्द होगा मेरी पूजा.. उसके बाद तू दुनिया के सबसे मजेदार खेल की पक्की खिलाड़ी बन जाएगी.. आह्ह.. अब मैं घुसा रहा हूँ।
पुरु ने लौड़े पर दबाव बनाया और सुपारा चूत में फँसा कर वो मेरे ऊपर लेट गया, मेरे निप्पल को चूसने लगा, मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा कर ज़ोर लगाने लगा।
मेरी चूत का दरवाजा खुलना शुरू हो गया था और मेरे जिस्म में दर्द की एक लहर दौड़ने लगी थी.. जैसे कि चूत के रास्ते मेरे जिस्म में कोई तूफान जा रहा हो मेरी हालत खराब होने लगी।
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पुरु- आह्ह.. उफ्फ.. तेरी चूत बहुत टाइट है साला लंड आगे जा ही नहीं रहा है.. आह..
पूजा- उउउ भाई आह्ह.. नहीं.. प्लीज़ मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. ससस्स अयाया.. लगता है.. मैं मार जाऊँगी.. आआ.. सस्स आह्ह.. अब और मत डालो ना..
पुरु- उहह अरे बहना.. अभी तो बस टोपा घुसा है.. लौड़ा तो पूरा बाहर है। मैं तुझे तकलीफ़ नहीं देना चाहता था। इसलिए प्यार से चोद रहा था.. मगर एक झटका देना ही होगा। अब तू देख बस एक बार का दर्द.. बाद में कैसे मज़ा देता है!
पूजा- आह्ह.. नहीं भाई.. आह्ह.. नहीं.. थोड़े से इतना दर्द हो रहा है तो पूरा कैसे जाएगा आह्ह.. नहीं भाई..
पुरु ने जब यह देखा कि मैं डर रही हूँ और उसका काम बिगड़ रहा है.. तो उसने मेरे होंठ अपने होंठों में दबाए और कमर को पीछे करके ज़ोर से झटका मारा.. आधा लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
दर्द के मारे मेरी जान निकल गई.. मैं बहुत ज़ोर से चीखी.. मगर मेरी आवाज़ घुट कर रह गई।
मैं कुछ संभल पाती.. उसके पहले भाई ने दूसरा झटका मारा और पूरा का पूरा लौड़ा चूत की गहराई में समा गया।
मेरी आँखों से आँसू बहने लगे और दर्द के मारे पूरा बदन अकड़ने लगा.. मगर भाई लगातार झटके देता रहा.. वो वासना में अँधा हो गया था.. उसको मेरी तकलीफ़ का कोई अंदाज़ा नहीं था, वो बस दनादन चोदे जा रहा था और मैं सिसकती जा रही थी।
कोई 20 मिनट तक भाई मेरी चूत को पागलों की तरह चोदता रहा और मैं दर्द के दौरान भी एक बार झड़ गई थी और दोबारा भी मैं चरम पर थी।
अब दर्द के साथ एक मज़ा भी आने लगा था।
पूजा- आह आईईइ.. भाई ससस्स.. आह्ह.. दर्द हो रहा है.. आह्ह.. छोड़ो आह्ह.. ना ना आराम से.. आह उ.. मर गई आह्ह..
पुरु- उहह उहह ले.. पूजा.. आह्ह.. देख तेरे भाई का पावर देख.. आह्ह.. आज तूने मुझे बहनचोद बना दिया है.. आह्ह.. ले पूरा ले आह्ह..
पूजा- आह छोड़ो.. आह्ह.. भाई आह्ह.. मेरी चूत आह.. में मीठा सा दर्द उठ रहा है.. आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह्ह.. मैं गई एयेए गई एयेए..
भाई ने स्पीड बढ़ा दी और कमर को इतनी ज़ोर से हिलाने लगे कि बस पूछो मत.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं दर्द से चीखूँ या मज़े से आहें भरूँ।
मेरी चूत का लावा फूट गया और मैं ठंडी पड़ गई।
तभी मेरी चूत की दीवारों पर गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी जाकर लगी.. जिसके अहसास से मैं सिहर गई।
उसके बाद लगातार भाई के लंड से वीर्य निकलता गया और मेरी चूत को भरता गया। काफ़ी देर तक भाई मेरे ऊपर पड़ा रहा और हम दोनों लंबी साँसें लेते रहे।
पूजा- मेरी जान.. यह थी मेरी चूत की सील टूटने और चुदाई की कहानी.. उसके बाद रात भर में 3 बार और भाई ने मुझे चोदा.. मुझे इतना मज़ा दिया कि क्या बताऊँ.. उसके बाद तो जब मौका मिलता.. हम दोनों चुदाई का खेल खेलते। उसके बाद लंड का ऐसा चस्का लगा कि भाई के दोस्त से भी चुदाई की मैंने.. और अब मेरा प्रेमी मेरे मज़े ले रहा है। अब बोल तू क्या बोलती है.. मज़ा आया ना..
पायल सारी बात बड़े गौर से सुन रही थी, उसे पता भी नहीं चला कि कब पूजा ने उसको आवाज़ दी, वो तो बस आँखें गड़ाए पूजा को देख रही थी।
पूजा- अरे क्या हुआ.. पायल कहाँ खो गई? तेरी चूत को भी भाई का लौड़ा चाहिए क्या.. हा हा हा हा बोल ना?
पूजा की हँसी को सुनकर पायल जैसे नींद से जागी हो और उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया.. वो मुस्कुराने लगी..
पायल- चल हट.. तू भी ना.. कुछ भी बोल रही है.. तू और तेरा भाई बहुत गंदे हो.. ऐसा काम करते हो मगर में ऐसी नहीं हूँ समझी..
पूजा- अरे कभी तो चुदेगी ना.. वैसे आज तो तेरी चूत पूरी गीली हो गई होगी.. मेरी बात सुनकर..
पायल- नो वे.. ऐसा कुछ नहीं हुआ.. समझी.. मैंने कहा था ना.. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। अब मैं जा रही हूँ तू बैठी रह यहाँ..
दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
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