छोटी बहन की चुदाई करने के लिए क्या किया-3
(Chhoti Bahan Ki Chudai Karne Ke Liye Kya Kiya- Part 3)
छोटी बहन की चुदाई करने के लिए क्या किया-1
छोटी बहन की चुदाई करने के लिए क्या किया-2
अब तक आपने मेरी बहन की बुर चुदाई की कहानी में पढ़ा था कि हम दोनों चुदाई के लिए एकदम तैयार हो गए थे और बस अब लंड को बहन की बुर में घुसेड़ना बाकी था।
अब आगे..
आज भी नीनू ने पहले नाइट बल्ब ऑफ करने को बोला तो मैंने धीरे से कहा- नहीं आज मुझे तुम्हें पूरी नंगी देखना है।
वो बोली- दादी माँ कभी भी जाग सकती हैं.. कल सनडे को मॉर्निंग में जब दादी माँ मंदिर जाएं तब पूरी नंगा देख लेना।
मैं बोला- ठीक है।
आज नीनू ने ही पहले मुझे अपनी बांहों में भर लिया और किस करने लगी। मैं भी उसे किस करने लगा।
बाद में मैं उसकी नाइटी उतारने लगा तो नीनू बोली- क्या भैया, आज तो आपको बहुत जल्दी है?
मैंने कहा- हाँ यार आज मुझसे रहा नहीं जा रहा है।
वो मुस्कुराने लगी.. आज वो शरमा नहीं रही थी। मैंने आज पूरी नाइटी पहले ही उतार दी और जोरों से उसके मम्मों को अपनी मुठ्ठी में भर कर दबाने लगा।
तो नीनू बोली- भैया क्या आज ही पूरा निचोड़ दोगे क्या? मैं कहीं भाग जाने वाली नहीं हूँ.. प्लीज़ धीरे से दबाओ.. दर्द हो रहा है।
मैं बोला- सॉरी, मैं आज अपने पे काबू नहीं रख पा रहा हूँ।
अब मैं उसकी ब्रा के ऊपर से धीरे से ही उसके चूचे मसलने लगा। आज नीनू भी मुझे साथ दे रही थी.. उसकी शरम खत्म गई थी। उसने भी मेरा लंड बरमूडा के ऊपर से ही पकड़ लिया और वो भी मेरे लंड को सहलाने लगी। बाद में मैं उसकी बुर सहलाने लगा और उसकी ब्रा और पेंटी मैंने निकाल दी।
नीनू ने भी आज मेरा लंड बरमूडा के अन्दर हाथ डाल कर पकड़ लिया था और सहलाने लगी थी।
मैं नीचे को होकर नीनू की बुर को सक करने लगा तो वो बोली- भैया. प्लीज़ अपना बरमूडा और फ्रेंची भी निकाल दीजिए।
मैंने अपना बरमूडा और फ्रेंची निकाल दी.. अब हम दोनों पूरे नंगे थे। मैं उसकी बुर को चूस रहा था और वो मेरे लंड को धीरे से सहलाते हुए सीत्कार कर रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह… हाँ…’
तभी उसका पानी छूट गया। फिर मैंने बहन की बुर में एक उंगली डाली तो वो धीरे से चिल्लाई। लेकिन मैं रुका नहीं और अपनी उंगली को बुर के अन्दर डाल कर धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
जब उसकी बुर ने मेरी उंगली को जज्ब कर लिया तो मैंने धीरे से दूसरी उंगली भी उसकी बुर में डाल दी। पहले तो चिहुंक गई लेकिन फिर मजा लेने लगी। अब मैं दो उंगलियों को नीनू की बुर में अन्दर-बाहर करने लगा।
वो धीरे से कामुकता भरी आवाजें भरने लगी।
अब मेरा सब्र काबू में नहीं हो रहा था। मैंने अपना लंड उसकी बुर पर रखा तो वो बोली- भैया प्लीज़ पहले कंडोम लगा लो।
मैं बोला- ओह.. सॉरी यार आज मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि मैं लंड पर छतरी लगाना भूल ही गया।
मैंने अपने लंड पर कंडोम लगाया और बुर के छेद पर रख कर अपने एक हाथ को उसके मुँह पर रख दिया.. ताकि वो चिल्लाये ना.. अन्यथा दादी माँ के जागने का खतरा था।
अब मैं लंड को उसकी सीलपैक बुर में पेलने की कोशिश करने लगा। मेरी बहन की बुर इतनी अधिक कसी हुई थी कि मेरा लंड उसकी बुर में अन्दर जा ही नहीं रहा था। नीनू को भी दर्द हो रहा था तो मैंने अब मेरे लंड पर और बुर पर जैली लगाई और फिर डालने की कोशिश करने लगा।
अब भी लंड उसकी बुर में नहीं जा रहा था। कुछ तो मेरी बहन ने भी डर के मारे अपनी बुर को सिकोड़ लिया था।
मैंने उसको बोला- पूरा रिलेक्स हो जाओ।
थोड़ी देर उसको चूमने चाटने के बाद मैं वापिस लंड पेलने लगा तो इस बार थोड़ा आ अन्दर चला गया और इसी के साथ वो जोर से चिल्लाने लगी। लेकिन मेरा हाथ उसके मुँह पर जमा हुआ था तो वो आवाज़ नहीं निकाल पा रही थी।
मैंने एक झटका थोड़ा और जोर से लगाया तो इस बार मेरा लंड उसकी बुर को चीथड़े उड़ाता हुआ पूरा अन्दर चला गया और उसकी बुर से खून निकलने लगा। मेरी बहन दर्द से तड़प रही थी मगर हाथ मुँह पर जमे होने के कारण उसकी आवाज नहीं निकल रही थी।
कुछ पल बाद मैंने नीनू के मुँह से हाथ हटाया तो वो मरी सी आवाज में बोली- भैया, प्लीज़ बाहर निकाल लो.. बहुत दर्द हो रहा है।
मैं बोला- थोड़ी देर दर्द होगा.. बाद में अन्दर-बाहर करने से तुम्हें मजा ही मजा आएगा।
नीनू बोली- भैया अन्दर-बाहर भी धीरे से ही करना।
मैं बोला- ठीक है.. अगर बहुत दर्द करे तो चिल्लाना मत.. मुझसे कह देना, मैं लंड बाहर निकाल लूँगा।
वो बोली- ठीक है।
मैं धीरे-धीरे अपने लंड को अपनी बहन की बुर में अन्दर-बाहर करने लगा। कुछ झटकों के बाद लंड को रस मिल गया था.. जिससे बुर में चिकनाई हो गई थी।
अब मैंने नीनू से पूछा- क्या दर्द कर रहा है।
तो वो बोली- नहीं.. अब नहीं कर रहा।
अब मैंने अपने स्पीड बढ़ा दी और उसको हचक कर चोदने लगा।
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कुछ ही पलों में वो बोली- भैया मेरा पानी निकल गया है।
मैंने भी कहा- मेरा भी छूटने वाला है।
बस 5 मिनट में मेरा पानी भी निकल गया और मैं ऐसे ही नीनू के ऊपर ढेर हो गया।
थोड़ी देर बाद हम दोनों की साँसें सामान्य हुईं और हम दोनों अपने-अपने कपड़े पहनने लगे।
फिर हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में सो गए। रात के 2 बज गए थे तो आज मैंने अलार्म लगा दिया था, मुझे पता था कि आज सुबह बिना अलार्म के वो उठ नहीं पाएगी।
सनडे की सुबह 6 बजे मेरी बहन ने मुझे किस करके उठाया और बोली- प्लीज़ बेडशीट चेंज करने दो.. बाद में चाहो तो सो जाना। मैं उसे पप्पी लेकर उठा और बाथरूम में चला गया। वापिस आया तो बेडशीट बदल चुकी तो मैं सो गया। वो बेडशीट धोने चली गई थी।
मेरी बहन ने करीब 7.30 बजे मुझे किस करके उठाया, वो आज नहाई नहीं थी।
मैंने कहा- अभी तक तू नहाई नहीं है?
वो बोली- नहीं, आज साथ-साथ नहाने का मजा लेंगे।
मैंने यह सुनते ही उसको अपनी बांहों में ले लिया और चूमने लगा।
वो बोली- जल्दी करो.. बस 9 बजे दादी माँ मंदिर से वापिस आ जाएँगी।
मैं बोला- ओके..
हम दोनों बाथरूम में नहाने चले गए और आज उसने अपने कपड़े खुद ही उतार दिए। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों बाथरूम में पूरे नंगे थे.. और एक-दूसरे को नंगा देख रहे थे।
मुझे पता चला कि कल रात को मैंने कितनी जोर से उसके चूचियों को दबाया था.. उसके दोनों चूचे पर लाल निशान बन गए थे।
मैंने बोला- नीनू सॉरी मुझे इतनी जोर से दबाना नहीं चाहिए थे।
वो बोली- कोई बात नहीं.. अब मुझे दर्द नहीं है।
मैंने ठीक से उसके चुचियों को और बुर को देखा और वो भी मेरा खड़ा हुआ लंड देखती रही। फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को नहलाया और वो डिटोल से मेरे लंड को धोने लगी.. मैं ये बड़े हैरान होकर देख रहा था। तभी उसने लंड को पानी से धोया और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैंने बोला- तुम तो कह रही थीं कि तुम्हें गंदा लगता था?
तो वो बोली- वॉश किया हुआ लंड मुझे गंदा नहीं लगता।
बाद में मैंने भी उसकी बुर को सक किया। उसने फव्वारा चालू करके मुझे बाथरूम के फर्श पर लेटा दिया और वो मेरे ऊपर ही चढ़ गई। उसने मेरा लंड एक हाथ से पकड़ कर अपनी बुर की फांकों में रखा और बुर में लंड को खाकर ऊपर-नीचे होने लगी।
इससे मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। उसे भी बहुत मजा आ रहा था।
कुछ देर बाद हम दोनों साथ में ही झड़ गए और वो रोने लगी।
मैंने कहा- क्यों रो रही हो?
तो वो बोली- हम दोनों ने बिना कंडोम लगाए ही ये सब किया.. मैं प्रेग्नेंट हो सकती हूँ।
मैं बोला- नहीं डरो मत जान.. मैं अपनी स्वीटी के लिए गर्भनिरोधक गोलियां भी लाया हूँ.. वो तुम ले लेना।
बहन चहक कर बोली- थैंक यू मेरे चोदू भैया।
इसके बाद मैं अपने काम पर चला गया। आज सनडे था तो मैं दो बजे ही घर पे आ गया। खाना ख़ाकर हम दोनों बेड पर ही लेट गए और दादी माँ नीचे लेट गईं। हम दोनों ने अपने ऊपर कम्बल डाल लिया। आज नीनू ने स्कर्ट पहना था तो मैं कम्बल के अन्दर से ही हाथ डाल कर उसकी बुर को सहलाने लगा और वो मेरे लंड को ज़िप खोलकर निकाल कर सहलाने लगी।
हम दोनों थोड़ी देर बाद ऐसे ही झड़ गए और सो गए।
शाम को उसकी सहेली की सिस्टर की शादी थी तो वो वहां चली गई।
फिर वो मंगलवार की रात को 11 बजे घर वापस आई। मैं उस वक्त सो रहा था और वो बिना कपड़े चेंज करे ही मेरे बाजू में सो गई।
मैंने उसे बांहों में लिया तो वो बोली- भैया आज नहीं.. मैं बहुत थक गई हूँ.. और मुझे नींद भी आ रही है।
मैं बोला- ठीक है।
फिर हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में बाँहें डाल कर सो गए।
अगली सुबह वो स्कूल ड्रेस पहन कर स्कूल जाने के लिए रेडी हो गई थी। उसने मुझे 6.30 बजे किस करके जगाया दादी माँ बाथरूम में गई हुई थीं। तो मैंने नीनू को पकड़ लिया और बिस्तर पर खींच लिया।
वो बोली- भैया स्कूल ड्रेस खराब हो जाएगी प्लीज़ मुझे अभी स्कूल जाना है।
मैं खड़ा हो गया और उसको रसोई में ले गया.. वहां से बाथरूम का आधा डोर दिख रहा था।
अब मैंने नीनू से पूछा- स्कूल जाने में अभी कितनी देर है?
तो वो इठला कर बोली- पूरे दस मिनट!
मैंने उसको पीछे की तरफ घुमाया और उसका स्कर्ट ऊंचा किया तो देखा कि उसने रेड कलर की पेंटी पहनी हुई थी। मुझे लाल रंग की पेंटी बहुत पसंद थी। अब मैंने मेरा बरमूडा नीचे किया और मेरा तना हुआ लंड बाहर निकाल कर नीनू की पेंटी बिना उतारे, साइड में करके लंड को बुर पर लगा दिया।
फिर मैंने नीनू को किचन में घोड़ी बनाके अपना लंड उसकी बुर में पेल दिया और हम दोनों ने मस्त चुदाई का मजा लिया। आज मैंने नीनू को बिना कपड़े उतारे ही चोद दिया.. इससे वो बहुत खुश हो गई।
करीब 5 मिनट बाद मुझे डीप किस करके स्कूल चली गई। उसको ये कभी नहीं मालूम हुआ कि उसको वो चिट्ठी में लिख रहा था.. क्योंकि मैंने उसे वो कभी बताया ही नहीं। उस राज को मैंने राज ही रहने दिया.. और ऐसे ही सेक्स करना हमारा रूटीन बन गया। हम रोज दो बार सेक्स करते हैं एक रात में.. और सुबह दादी माँ की निगाह बचा कर कहीं भी उसे चोद देता हूँ।
मुझे अपनी इस बहन की बुर चुदाई की कहानी पर आपके मेल का इन्तजार रहेगा।
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