भावना का यौन सफ़र-4
Bhavana Ka Yaun Safar-4
दोस्तो,
भावना अमरीका से आई थी, उसने जो कहानी बताई वो ही बयां कर रहा हूँ।
जैसा मैंने कहा यह सच्ची घटना पर आधारित है, कुछ प्रसंगों को विस्तार दिया है कहानी को दिलचस्प बनाने के लिए।
तीसरे भाग से आगे…
सुबह विशाल के फ़ोन ने भावना की नींद उड़ाई रात के सम्भोग की थकान पति के फोन से ग्लानि में बदलने लगी। भावना बात खत्म कर सीधे बाथरूम में शावर के नीचे रात की बात को भुलाने के लिए खड़ी हो गई।
विनोद उठा और सीधे भावना के कमरे की ओर बढ़ा उसे तो रात की रति क्रीड़ा ने नया जीवन दे दिया, बिना शर्म किये सीधे बाथरूम में गया और भावना को पीछे से पकड़ा, दोनों हाथों से उसके चूचे मसलने लगा और गर्दन पर चूमने लगा।
विनोद का कड़क लंड भावना की गांड पर दबाव डालने लगा।
देवर के चुम्बन और लंड के एहसास से जवान भावना के मन में वासना ने ग्लानि को निकाल दिया।
अपने हाथों से लंड को सहलाते हुए मुड़ी और विनोद से आलिंगनबद्ध होते हुए चूमने लगी।
विनोद ने शॉवर बंद किया और दो उंगलियाँ भाभी की चूत में घुसा दी।
भावना घुटनों के बल बैठी और लंड चूसने लगी, कभी टट्टे चूसती कभी लौड़े में हौले से दांत गड़ाती।
विनोद भी झुक कर उसकी गाण्ड में उंगली कर रहा था, उंगली गीली करने के लिए कभी खुद के मुँह में डालता कभी भाभी के।
फिर विनोद ने भावना को उठाया और उल्टा कर बेसिन पर झुकाया पीछे से उसकी चूत और गांड को सहलाया, अपने लंड को होले से भाभी की चूत में घुसाया और चोदन चालू किया।
कभी धीरे कभी तेज झटकों से दोनों बाथरूम में चुदाई का आनन्द ले रहे थे।
पहले पानी से नहाई भावना अब पसीने से गीली थी।
कुछ और धक्कों के बाद विनोद स्खलित हुआ तो सारा माल उसने अपनी भाभी के कूल्हों पर निकाला।
भावना और विनोद के शारीरिक सम्बन्ध बढ़ते गए।
यहाँ तक कि विशाल के साथ संभोग में अब भावना को मज़ा नहीं आता था, विशाल जब न्यूयॉर्क में होता तो भी उसके दफ्तर जाते ही भावना और विनोद पहले चुदाई करते फिर कोई और काम।
विनोद को एक कम्पनी के मैनेजर की नौकरी मिल गई।
कम्पनी ने एक महीने की ट्रेनिंग के लिए ऑस्टिन, टेक्सास बुलाया।
विनोद के ट्रेनिंग के पर जाने की खबर से भावना निराश हुई, विनोद को भी भाभी की चूत की आदत सी हो गई थी।
जिस दिन जाना था भावना सुबह से उदास थी, उसकी चूत कसमसा कर उसे और परेशान कर रही थी।
वो तैयार भी नहीं हुई, गाउन में ही थी।
दोपहर का भोजन बनाने के पश्चात रसोई साफ़ कर रही थी, अपनी चूत मसलती हुई मन ही मन सोच रही थी कि अब एक महीना ऐसे ही रगड़ कर निकालना पड़ेगा।
ख्यालों में उलझी भावना की तन्द्रा तब टूटी जब विनोद ने उसका गाउन उठा उसकी नंगी जांघों को सहलाते हुए उसकी पेंटी में हाथ घुसाया।
दूसरा हाथ से उसके बाल में फंसा उसका चेहरा पीछे झुकाया और एक गीला चुम्बन उसके मुँह में दिया।
भावना की कसमसाहट तड़प में परावर्तित हो विनोद को अपने अन्दर समाहित करने लगी।
विनोद की दो उंगलियाँ उसकी भगनासा मसल रही थी और चूत में अन्दर बाहर हो रही थी।
भावना चुम्बन में विनोद की जुबान चूस रही थी।
विनोद ने बालों से हाथ निकाल मम्मे मसलने शुरू किये तो भावना ने गाउन के बटन खोल दिए नंगे मम्मे मसलवाने के लिए।
भावना का हाथ अपने आप विनोद की शॉर्ट्स में उसके खड़े होते लंड हो सहलाने और बड़ा करने लगा।
किचन में ही दोनों वासना के सागर में गोते लगाने लगे।
भावना की चूत ने रस धार छोड़ दी, उसकी पेंटी, विनोद का हाथ, और उसकी जांघें भी चूत रस में भीग गई।
विनोद ने भावना को वहीं प्लेटफार्म पे बिठाया उसको निर्वस्त्र किया और जांघों पर लगा रस चाट कर साफ़ किया।
फिर दोनों हाथों से मम्मे मसलते हुए चूत चाटने लगा।
भावना की अकड़न उसकी उत्तेजना बढ़ा रही थी, तड़प बेकाबू हो गई तो भावना ने विनोद का सर अपने ऊपर खींच चोदने का आग्रह किया।
विनोद अपनी भाभी की आज्ञा का पालन करते हुए लंड चूत पे रगड़ने लगा।
रस से सराबोर चूत में विनोद का लौड़ा पूरा चला गया, कभी धीरे कभी तेज गति से भावना की चूत में विनोद का लंड अन्दर बाहर हो रहा था।
विनोद की पिचकारी चलने वाली थी तो भावना ने मुँह में देने का आग्रह किया, एक धार उसके मम्मे और पेट पर गिर गई, बाकी भावना गटक गई।
प्यार से लंड चूस ही रही थी कि दरवाजे पर विशाल की आहट हुई।
दोनों हड़बड़ी में उठे, भावना पेंटी लेने लगी तो विनोद ने हाथ पकड़ लिया- नहीं भाभी जान, यह तो अमेरिका में मुझे उत्तेजित करने के काम आएगी।
कहते हुए विनोद गीली पेंटी ले अपने रूम में भागा। भावना ने हड़बड़ी में कपड़े पहने तो गाउन के बटन पूरे बंद नहीं हुए।
विशाल किचन में आया तो उसे भावना के बिखरे बाल और गाउन से झांकते चूचे देख कर शक और पुख्ता होते जा रहा था लेकिन जब तक रंगे हाथ ना पकड़े कैसे बोले।
विशाल नज़दीक आया तो कामुक भावना के चूत की महक ने उसका गुस्सा काफूर कर दिया।
विशाल उसे बाँहों में जकड़ कर चूमने लगा।
भावना ने प्रतिकार नहीं किया, नहीं तो विशाल को शक हो जायेगा।
विनोद ने भावना की गीली पेंटी कपड़ों में रखने के बाद जान कर के आवाज़ दी- भाभी, खाना तैयार है?
भावना को जैसे विशाल से छूटने का मौका मिल गया।
एक महीना भावना पर बहुत भारी गुजरा लेकिन उसके बाद जो हुआ वो और दिल दुखाने वाला था।
ऐसा क्या हुआ यह अगले भाग में…
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