तू सेर, मैं सवा सेर-1

(Tu Seir Mai Sava Seir-1)

इमरान 2012-01-20 Comments

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मुनव्वर और सलीम दो दोस्त हैं, मुनव्वर की बीवी रजिया, बहन शब्बो, और यास्मीन रजिया के मामा की बेटी है।

सलीम की बीवी का नाम जमीला और शहनाज़ जमीला की बहन है। सभी के घर एक ही शहर में हैं।

एक दिन मुनव्वर ने अपने लंगोटिया यार सलीम से कहा- यार सलीम, मेरा दिल तेरी साली शहनाज़ पर आ गया है, उसके नाम से मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है। तू शहनाज़ को पटा कर ला, तो मैं उसको मजे से चोदूँ। बदले में तू मेरी बीवी रजिया को चोद लियो। मैं वादा करता हूँ, मेरी रजिया तुझे बड़े प्यार से बुर देगी, तेरा लौड़ा मस्त कर देगी। एक बार नहीं कई बार चुदवा लेगी तुझसे।

सलीम ने जबाब दिया- हाँ यार, तूने ठीक कहा, मैं तो तेरी बीवी रजिया को चोदने के चक्कर में पहले से ही था, वो जब चलती है तो मेरे लौड़े में सुरसुराहट होने लगती है।
लेकिन यार साली तो तेरी भी है ना वो गदराये बदन वाली साली! उसकी चूत मुझे दिलवा ना यार!
बदले में तू भी मेरी बीवी ज़मीला को चोद लियो! ज़मीला लौड़ा खूब मन लगाकर चूसती है पूरा का पूरा मुह में घुसेड़ लेती है! मज़ा आ जाएगा तेरे लंड को!
रही मेरी साली शहनाज़ की बात तो मेरी नजर उसके बदन पर पड़ चुकी है, बस हाथ नहीं पड़ा, जल्दी उसे पटा कर उसकी बुर का भुर्ता बनाएंगे मिलके!
जवान हो गई है, 19 साल की है, चूचियाँ बड़ी हो गई हैं, चूतड़ तो तेरी बहन शब्बो जैसे मोटे-मोटे हैं।

मुनव्वर- अच्छा तो तू मेरी बहन के चूतड़ देखता फ़िरता है साले! शब्बो को ना हाथ लगा दियो, अगले साल उसका निकाह तय है।

सलीम- मुझे साला कहता है? साला तो तू है! शब्बो तो मेरे लौड़े को गड़प भी गई दो महीने पहले!

मुनव्वर- अबे साले! तो तू शब्बो को रगड़ चुका! कुतिया ने मुझे तो हाथ ना धरने दिया कभी! रजिया बेगम से भी पुछवाया पर मान के ना दी बहन की लौड़ी! अबकी बार मौका देख! इस बार मुझे ना भूलियो, मैं भी शब्बो की चूत का प्यासा हूं।
एक बार जब शब्बो सो रही थी तो उसके होंठों पे लन्ड रख दिया था। पर मैं डर गया कि कुछ तूफ़ान ना खड़ कर दे, मैं पीछे हट गया। मज़ा तो पूरा दिया होगा ना मेरी बहन शब्बो ने तुझे?

सलीम- काहे का मज़ा! खाई खेली थी पहले से! बुर का भोंसड़ा बना पड़ा था, वो मेरे समने नंगी होके भी पड़ जाए तो मैं ना चोदूं शब्बो को दोबारा! निकाल दे ख्याल उसका, छोड़ उसे!

मुनव्वर- चल मां चुदाने दे शब्बो को! हाँ यार, तूने यास्मीन का खूब याद दिलाया, वो मेरी बीवी के मामा की लड़की यास्मीन, उसको तो मैं भूल ही चुका था, जवान तो हो गई है गण्डमरी, चूचियाँ बड़ी बड़ी हो गयी है उसकी! मजे तो देगी साली!

मुनव्वर और सलीम दोनों अपने अपने जुगाड़ भिड़ाने में लग गए।

सलीम जल्दी से जल्दी इस काम को करना चाहता था क्योंकि उसका मन मुनव्वर की बीवी रजिया को चोदने का था। वह शहनाज़ को घुमाने ले जाने लगा। उससे मीठी मीठी बातें करने लगा। धीरे धीरे मजाक ज्यादा करने लगा और आगे बढ़ा तो उससे अश्लील बातें करने की कोशिश करने लगा।

एक दिन सलीम बोला- शहनाज़ जानती हो साली को आधी घरवाली क्यों कहा जाता है?

शहनाज़- नहीं मैं नहीं जानती, तुम बताओ न जीजा जी!

सलीम- देखो बीवी के साथ तो सब कुछ किया जाता है लेकिन साली के साथ आधा किया जाता है।

शहनाज़- क्या किया जाता है जीजा जी? ठीक से बताओ ना!

सलीम- मैं अगर बता दूँ तो तुम बुरा तो नहीं मानोगी?

शहनाज़- मैं कहा बुरा मानने वाली! मैं बिल्कुल नाराज़ नहीं हूँगी, बताओ ना?

सलीम- देखो, बीवी को चोदा जाता है लेकिन साली को नहीं!

शहनाज़- किसने कही ये बात?

सलीम- चोदना जानती हो क्या होता है?

शहनाज़- आप बड़े वो हैं जीजा जी, मुझसे पूछते हैं, क्या आप नहीं जानते हैं?
सलीम- अरे मैं तो जानता ही हूँ लेकिन क्या तुम भी जानती हो?

शहनाज़- हाँ! पर मेरी सहेली तो अपने जीजा से चुदती है, एक आप हैं जो ये वो कह रहे हैं कि साली को नहीं चोदा जाता। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अब तक कर चुका होता।

सलीम- देखो, कर तो मैं भी दूंगा लेकिन पहले चोदने का मतलब बताओ?

शहनाज़- अन्दर घुसेड़ना और क्या?

सलीम- क्या घुसेड़ना? बोलो न साफ साफ?

शहनाज़ ने सलीम के लंड पर हाथ रख कर कहा- ये घुसेड़ना!

सलीम- ये क्या है, इसको क्या कहते हैँ?

शहनाज़- जीजा, तुम इतने बड़े हो गए हो, तुम्हारी शादी हो गई है। तुमको अपनी चीज का नाम नहीं मालूम? तुम दीदी को क्या दे पाते होगे?

सलीम- नाम तो मुझे मालूम है लेकिन मैं चाहता हूँ कि तुमको भी मालूम हो जाए, बोलो क्या कहते हैं इसे?

शहनाज़- मुझे शर्म आ रही है, कैसे बताऊँ!

सलीम- बताओ न मेरी जान! एक बार तो बताओ मेरी प्यारी सी साली जी इसको क्या कहते हैं?

शहनाज़- ‘लंड’ कहते हैं और क्या! बस सुन लिया मेरे मुँह से ‘लंड’? लो और सुनो लंड- लंड- लंड!

सलीम- और क्या कहते हैं?
शहनाज़- और ‘लौड़ा’ कहते हैं!

सलीम- और क्या कहते हैं?
शहनाज़- अरे बाबा ‘लांड’ भी कहते हैं, बस अब खुश हो?

सलीम- हाँ, अब मैं खुश हूँ।

शहनाज़- खुश हो तो दिखाओ अपना लंड! मैं अभी देखना चाहती हूँ इसी वक्त! और सुनो साली आधी नहीं पूरी घरवाली होती है। चोदना के माने है लौड़ा चूत में पेलना। अब पेलो अपना लंड मेरी चूत में, तब जाने दूँगी।

सलीम ने उस दिन शहनाज़ को मजे से चोदा।

उधर मुनव्वर यास्मीन के चक्कर में घूम रहा था।

वो बात कहानी के अगले हिस्से में!

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