एत बात औल…पुंचु?-2
प्रेषक : जितेन्द्र कुमार
मैंने उनसे स्पष्ट कह दिया- भाभी, मेरी कोई गर्लफ़्रेन्ड नहीं है, सच में !
भाभी सम्भल कर बोली- सच में !
“हाँ भाभी, मैंने आपकी कसम खाई है। झूठ नहीं बोलूंगा !
वे अपने होंठों को जरा सा गोल करके बच्चो से बात करते हैं, वैसा बनाते हुये बोली- एत बात औल…पुंचु?
इस तरीके से होंठ करके उनका यह स्टाइल देख मेरा तो दिल किया कि अभी के अभी लण्ड निकाल कर उनके होंठों में पकड़ा दूँ पर खुद को रोकते हुए बोला- हाँ कहिये ना?
मेरी आवाज अब भारी होने लगी थी, उनके बदन की महक मेरा दम निकाले जा रही थी, मैं नशे सी मस्ती में जैसे झूम रहा था।
वे बोली- कभी चुदाई की है?
इस बात से जैसे मेरे कानों में बम का धमाका हुआ, जैसे मैंने जरूर कुछ गलत सुन लिया- क्या?
“अरे किसी लड़की की चूत मारी है या नहीं?”
सुनकर मुझे ऐसा लगा कि मेरा तो लण्ड जैसे फ़ट ही जाएगा, फ़िर खुद को रोकते हुए बोला- नहीं भाभी ! किसी भी लड़की के साथ नहीं किया और केवल फ़िल्मों में देखा है, कभी नहीं किया सच में !
जिसके बारे में मैं ख्याली पुलाव पका रहा था, अब लग रहा था कि आज जरूर मेरे लन्ड ने किसी अच्छे का मुँह आज देखा है !
यह सोच कर मेरा लन्ड अब उछाल पे उछाल मार रहा था।
भाभी ने फ़िर कहा- तो किसी लौन्डे की तो जरूर ली होगी?
मुझे यह थोड़ा अजीब लगा- लौन्डे की? मतलब?
“अबे साले ! किसी लौन्डे की गान्ड भी नहीं मारी क्या?”
मुझे हंसी आते आते रह गई ! सुबह जिसे मैं देवी समझ बैठा, वो तो अब बिना चुदवाये नहीं मानेगी !
मैं समझ गया आज कि रात मेरी और भाभी की सुहागरात होने से कोई नहीं रोक सकता !
मैं आगे कुछ सोचता कि भाभी मुझे अपनी बाहों में भर कर खींचती हुई हंसी- अरे देवर जी, मैंने तो मजाक़ किया है !
पर पकड़ा इस तरह कि एकदम उनकी दोनों चूचियों की गोलाई मेरे शरीर में गड़ गई।
मैं तो पहले से ही गरम था, इस छुवन ने तो हद ही पार करा दी, मैं लगभग उन पर गिरता सा गया और वो लेट ग़ई। मेरा मुँह उनकी नाभि के पास पड़ रहा था, मुझे इस अवस्था में एक नशा सा लगने लगा, पहली बार ऐसा मेरे साथ हुआ था कि मैं इस तरह से किसी नारी के सम्पर्क में आया था।
भाभी मुझे चूत देने के मूड में थी !
“मेरे देवरिया राजा… मेरे भोले देवरजी… आप अभी बच्चे हैं… थोड़ी उमर और होने दीजिये, फिर इसके मजे लीजियेगा ! नहीं तो दो मिनट में थक जाओगे…!!”
पर उनका हाथ मेरे होंठों पर लागातार चल रहा था, मैंने भी मुँह जरा सा तिरछा करके चूत को कपड़ों के ऊपर से महसूस किया।
उन्होंने अन्दर कुछ नहीं पहन रखा था और ड्रेस का कपडा सिल्की होने से मुझे तो मजा आ गया, मैंने जीभ निकाल कर हल्के से दबाव देते हुए घुमाया तो वे सिहर उठी- उई… मां ! मेरी जान… आपने यह कहाँ से सीखा?
उनके इस स्टाइल ने चूत को मेरे मुँह के और पास ला दिया।
“भाभी… मेरी प्यारी भाभी… आज मैं आपसे सारी चीजें जान कर रहूँगा… ऐसा मैंने पोर्न फ़िल्मों में देखा है !” मैंने कहा।
तो वे वैसे ही बोली- पर मेरे पति से मुझे मार नहीं खानी…
मैं लगातार जीभ चला रहा था और मैं इस मौका को ऐसे नहीं जाने देने वाला था।
“भाभी… प्लीज ! यहाँ हम दोनों के अलावा तीसरा कौन है…? मुझे ऐसे ना तड़पाइये ! प्लीज एक बार इस गलती को कर लेने दीजिये !” वे तड़प उठी थी ! ये सब उनके ऊपर के मन की बातें थी- अगर पता लग गया तो देवरजी…?”
मैं अब तक उनकी चूत नंगी कर चुका था और उस पर बालों के निशान तक नहीं थे !
मैंने एक पल के लिये मन में सोचा- साली ने तैयारी तो पक्की कर रखी है ! पर नखरे करने से बाज नहीं आ रही !
अब मेरे हाथ उनकी सन्तरों जैसी चूचियों पर कपड़ों के अन्दर से पहुँच चुका था और मजे से मसल रहा था।
“नहीं देवर जी, आपके भैया बहुत चाहते हैं हमें… प्लीज मुझे ना… उफ़… ओह… जोर से… अच्छी तरह… नहीं प्लीज… करिये उफ़… नहीं नहीं ! यह गलत है…”
“सब भूल जाओ मेरी जान… तुम अभी मेरी हो ! सिर्फ़ मेरी रानी… उम्म येएएए… उम्म्म !”
मैं चाटे जा रहा था और वे चूतड़ उछाल कर साथ दे रही थी पर मुँह से कभी सिसकारी तो कभी इन्कार ! पर मैं अब पूरी तरह से छा चुका था और जाने कब हमारे कपड़े अलग हो चुके थे पता ही ना चला !
अब कोई इन्कार नहीं था, हम खुल चुके थे, वे सीधी हो गई और मेरा लन्ड चूसने लगी।
मैं तो जैसे मस्ती के मारे अधमरा सा हो गया। मेरा पूरा सुपारा खुल नहीं पा रहा था जिसे देख भाभी और मस्ती में आ गई- “वोअओ आपने सही कहा देवर जी ! आपका लन्ड तो एकदम अनछुआ है… उम्म… ऽअहा…ऊऊऊऊऊऊऊउ…”
और जाने क्या क्या !!
और मैं जैसे बुखार का मरीज के जैसे बदन कांप और तप रहा था कि अचानक पिचकारी छुट पड़ी…
और भाभी मस्ती से बोली- गुड… अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे… चलिये बेड पे !
“आगे की मस्ती बेड पे होगी !”
और मुझे खुद से उठाते हुए हाथ पकड़ कर ले चली।
मैं रोबोट के जैसे चल पड़ा, बेड के पास पहुँच कर भाभी ने मुझे धक्का दे दिया जिससे मैं बेड पे लेटता हुआ गिर पड़ा और भूखी शेरनी की तरह वे मुझ पर झपट पड़ी !
उनकी छुवन अजीब सा जादू कर रही थी, मेरा निढाल सा, ढीला लण्ड सुगबुगाने लगा और धीरे धीरे लण्ड सिर उठा कर सलामी देने लगा जिससे भाभी की बांछें खिल उठी और वे मुझ पर चढ़ती हुई एकदम उल्टी हो गई जिससे उनकी चूत मेरे मुँह के पास और उनका मुँह मेरे लन्ड के पास और चूचियाँ मेरे पेट पर एक अलग मजा दे रही थी।
मैंने भी भले आज तक किसी की चूत नहीं मारी थी पर इतना तो जरूर पोर्न फ़िल्मों में देखा था कि यह एक बढ़िया आसन है जिससे दोनों लोग बराबर मजे से मुखमैथुन कर सकते हैं और हमने वो ही शुरु किया, काफ़ी देर इस बार मजे लिये।
और सीधी होकर भाभी ने मेरी बिना बालों वाले सीने के निप्पल पर जीभ लगाई ही थी कि मुझे लगा मेरी नस नस में एक मीठी सी जलन उठ गई और पूरा शरीर ऐंठने लगा। भाभी ने मेरी तड़प को समझा और जल्दी से मेरे लण्ड पर लगभग बैठने की सी मुद्रा बना कर और मुझे मुँह में अपनी चुच्ची को चूसने को इशारे से कहा।
मैं मुँह में चूची लिये चूसने में व्यस्त हुआ कि भाभी ने मेरे लन्ड को अपने हाथों से ठीक कर झटके से अपने अन्दर ले लिया।
मेरी तो चीख ही निकल गई पर चूची मुँह में होने से मेरी आवाज घुट कर रह गई और आँखों से आँसू के कतरे ढलक गये।
भाभी जरा मुस्कुराते हुए मेरे कान को अपने दांतों से हल्के दबा कर धीरे से बोली- देवर जी, मैंने आपकी नथ उतार दी !…पहली बार और आज आखिरी बार यह दर्द आपको मिला है, अब आप चाहे जितनी बार या जिसे चोदें, यह दर्द नहीं होगा….यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
और धीरे धीरे अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे करने लगी। हल्के दर्द के साथ मुझे अच्छा भी लगने लगा पर दर्द होता रहा और भाभी मुझे चोदती रही जब तक मैं झड़ नहीं गया।
वे उतर कर बोली- आज के दो दिन बाद आप मुझे चोद के बताएँगे…
कहती हुई अपने कपड़े पहनने लगी और कपड़े पहन कर मेरे कमरे से निकल गई। मैं भभकते हुए लन्ड लिये उन्हें जाते देखता रह गया… और सोचने लगा- मैंने तो भाभी को चोदना चाहा… पर वे तो मुझे ही चोद गई… पर छुरा सेब पर गिरे या सेब छुरे पर ! कटना तो सेब को होता है !
पर यहाँ तो छुरे की उल्टी हजामत बन गई…
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