एक बहुत प्यारी लड़की से मेरी दोस्ती हुई. मैं उसे चाहता था लेकिन कहने से डरता था. एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया और खुद अपने प्यार का इजहार किया. उसके बाद …
मेरी दोस्ती एक लड़की से हुई लेकिन मैं उससे प्यार का इजहार नहीं कर पाया. एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया. मैं चला गया कि मिल कर बैठकर बातें करेंगे. लेकिन …
आज तक जितने भी मिले सब अपने मन की करना चाहते थे, किसी ने एक बार नहीं पूछा कि मुझे क्या चाहिए, मेरी क्या इच्छाएँ हैं। बस मुझे मनोरंजन का साधन बना कर लूटते रहे।
मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना मेरी सीनियर मैनेजर को कुछ करके पटाया जाए… काफी दिन हो गए थे कोई चूत चोदे। कहानी में पढ़ें कि मैंने उसे कैसे चोदा।
उस घटना के बाद हम दोनों की बात बन्द हो गई। एक हफ़्ते बाद रात को बारिश हो रही थी कि भाभी का फ़ोन आया, उन्हें डर लग रहा था और मुझे अपने पास सोने के लिये बुलाया।
पड़ोस में एक जोड़ा किराए पर रहने आया तो उन भाभी को देखते ही उन्हें अपना बना लेने की चाहत मन में उठी. कहानी पढ़ कर देखिये कि क्या मैं भाभी को अपना बना पाया?
पड़ोसन लतिका की चूत के बाद अब उसकी गांड मारने की बारी थी, वो भी गांड मरवाना तो चाहती थी पर गांड चुदाई के दर्द से डरती थी क्योंकि उसकी गांड अभी तक अनचुदी थी।
मेरी बिल्डिंग में बिल्कुल मेरे सामने एक विवाहित महिला रहने आई पर मुझे कुछ भी पता नहीं चला. एक दिन वो खुद मेरे घर आई और बात करने लगी. बात कहाँ तक पहुंची…
हम इतने पास थे कि हमारी साँसें आपस में टकरा रही थी और फिर से मुझे खुमारी चढ़ने लगी। मैंने तुरंत ही उसको बालों से पकड़ कर खींच और उसके होठों से होठों को सटा दिया एक जोरदार चुम्बन किया।
वो मदहोश होने लगी, मेरे बालों में प्यार से उँगलियाँ फेर रही थी कि उसने मुझे धक्का देकर नीचे कर दिया, खुद मेरे ऊपर आ गई और मेरे होठों को और सीने पर पागलों की तरह चूमने लगी.
उसका सर मेरे सीने पर था और बालों से उसका चेहरा ढका हुआ था। मैंने जैसे ही उसके बाल उसके चेहरे से हटाये तो उसने अपना चेहरा उठा कर मेरी तरफ किया, मेरे और उसके होंठ आमने सामने थे।
उसने बताया कि खासकर जब लड़के मुझे देखते हैं तो उनकी नज़रों में मुझे मेरे लिए वासना दिखती है लेकिन जब मैंने तुम्हें देखा तो मुझे ऐसा बिलकुल भी नहीं लगा, मुझे लगा, हो सकता है यह मेरा वहम हो!
यह कहानी प्रेम सुख, यौन सुख और भावनाओं से ओतप्रोत है, मेरे जीवन का सबसे हसीन सच है जिसे मैं अब तक भुला नहीं पाया और इस असमंजस में पड़ा रहा कि यह कहानी अन्तर्वासना पर प्रेषित करूँ या नहीं!
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