राज वीर मिड्ढा

हसीन गुनाह की लज़्ज़त-2

अब मुझे रात का इन्तजार था कि कब मैं बैडरूम में सोने जाऊँ और कब मुझे भांजी के बदन का सामिप्य प्राप्त हो! आखिर वो पल भी आए और मेरा हाथ उसके बिस्तर पर था।

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हसीन गुनाह की लज़्ज़त-1

मेरी साली की बेटी की तो कच्ची उम्र थी पर मैं जो कर रहा था वो सामाजिक और नैतिक दृष्टि से गलत था लेकिन कहते हैं कि गुनाह की लज़्ज़त मेरा पीछा नहीं छोड़ रही थी।

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आजकल का विवाहित जीवन

घर में जहाँ बीवी अकेली मिले, बीवी को घोड़ी बनाया, उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी योनि में लिंग डाला और धकाधक 4-6 धक्के मारे, अपना वीर्य स्खलित किया और चलते बने!

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