तरक्की का सफ़र-17 15 September 2005 मेरे घर में एक पार्टी थी। मैंने एक खेल रखा था और सब उसके नियम सुनने को बेचैन थे। १५ मिनट हो चुके थे। “दोस्तों! पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-16 15 September 2005 आर्यन और सायरा एक दूसरे को चूमे जा रहे थे कि रूही कमरे में दाखिल हुई। “ये, यहाँ पर सब क्या हो रहा है?” रूही पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-15 15 September 2005 राज अग्रवाल प्रीती की बात सुनकर मुझे उस पर नाज़ हो गया। ठीक है जो ज़िंदगी में गुजरा वो कुछ अजीबो गरीब था लेकिन वो पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-14 15 September 2005 राज अग्रवाल एम-डी के जाने के बाद प्रीती ने देखा कि लड़कों का लंड फिर खड़ा हो चुका है। “लड़कों लगता है कि तुम लोगों पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-13 15 September 2005 राज अग्रवाल कमरे में घुसते ही राम ने कहा, “सिमरन ये मैं क्या देख रहा हूँ?” “ओह गॉड! मेरे पति कि आवाज़ है! मुझे जाने पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-12 15 September 2005 राज अग्रवाल प्रीती के वापस आने के बाद हम लोग खाना खाकर बिस्तर पर लेटे थे, “और बताओ प्रीती शादी कैसी गयी?” “राज! ये कोई पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-11 15 September 2005 राज अग्रवाल एक दिन ऑफिस में शाम को जब काम खतम हो गया तो मीना मेरे पास आयी और बोली, “सर! मेरे भाई का कॉलेज पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-10 15 September 2005 रजनी अपनी योजना बताने लगी, “राज! तुम्हें मेरी और मेरी मम्मी की हेल्प करनी होगी, हम दोनों एम-डी से बदला लेना चाहते हैं। राज, तुम्हें पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-9 15 September 2005 राज अग्रवाल प्रीती अब बहुत खुश थी कि उसने महेश से अपना बदला ले लिया था। एक दिन उसने मुझसे कहा, “राज! मुझे अब एम-डी पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-8 15 September 2005 “मेरा प्लैन है कि एम-डी महेश की बेटी मीना को उसकी आँखों के सामने चोदें”, प्रीती ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा। “क्या तुम्हें लगता है पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-7 15 September 2005 राज अग्रवाल प्रीती की कहानी सुनने के बाद मुझे सही में लगा कि जो कुछ मैंने किया वो गलत किया था। खैर जो होना था पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-6 15 September 2005 मैंने प्रीती से पूछा कि उसने ऐसा मेरी बहनों के साथ क्यों किया? तो उसने अपनी ज़ुबानी ये दास्तान सुनाई। प्रीती की कहानी: “मेरी कहानी पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-5 15 September 2005 सुबह मैंने देखा कि प्रीती हाथ में चाय का कप लिये मुझे उठा रही थी, “उठो! कितनी सुबह हो गयी है, क्या ऑफिस नहीं जाना पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-4 15 September 2005 मैं शाम को ठीक आठ बजे होटल शेराटन में एम-डी के सूईट में पहुँचा, तो वहाँ सिर्फ़ एम-डी और महेश ही थे और कोई नहीं। पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-3 15 September 2005 मैं और प्रीती मेरे फ्लैट में दाखिल हुए और मैंने पूछा, “प्रीती फ्लैट कैसा लगा?” “छोटा है, लेकिन अपना है, यही खुशी है”, मुझे उसने पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-2 15 September 2005 करीब एक महीने बाद की बात है। मैं सुबह ऑफिस पहुँचा तो देखा कि ऑडिट डिपार्टमेंट में एक नयी लड़की काम कर रही है। वाओ! पूरी कहानी पढ़ें »
तरक्की का सफ़र-1 15 September 2005 मैंने बिस्तर पर करवट बदल कर खिड़की के बाहर झाँका तो देखा सूरज देवता उग चुके थे। मैं उठ कर बैठा और एक सिगरेट जला पूरी कहानी पढ़ें »