मेघा की तड़प-3 29 January 2010 अदिति अपनी सफ़ल हुई योजना से खुश थी। जो वो मेघा को दिखाना चाहती थी वो दिखा चुकी थी। बस अब मेघा की तड़प ही पूरी कहानी पढ़ें »
मेघा की तड़प-2 28 January 2010 कहानी का पहला भाग: मेघा की तड़प-1 मेघा घर चली आई। दिन के बारह बज रहे थे। जीजू तो दस बजे ही ऑफ़िस जा चुके पूरी कहानी पढ़ें »
मेघा की तड़प-1 27 January 2010 मेघा यूँ तो किशोर अवस्था को अलविदा कर चुकी थी। उसमें जवानी की नई नई रंगत चढ़ रही थी। इसमे मेघा की सहेलियों का बड़ा पूरी कहानी पढ़ें »
यह कैसा संगम-5 30 September 2009 नेहा वर्मा सुन्दर की ट्रेनिंग के दौरान प्रिया और राधा गोपाल से खूब चुदी थी। सुन्दर ट्रेनिंग से वापस आ चुका था। अब तो गोपाल पूरी कहानी पढ़ें »
यह कैसा संगम-4 29 September 2009 नेहा वर्मा राधा तो मस्ती से चुदे जा रही थी। एक लय में चूत और लण्ड चल रहे थे। राधा को मन के मीत की पूरी कहानी पढ़ें »
यह कैसा संगम-3 28 September 2009 नेहा वर्मा राधा और प्रिया के मन की मुराद पूरी हो रही थी। सुन्दर और राधा की शादी हो रही थी। पर प्रिया ने सुन्दर पूरी कहानी पढ़ें »
यह कैसा संगम-2 27 September 2009 नेहा वर्मा प्रिया ने अपने दोनों टांगें अपनी छाती से चिपका ली और अपनी गाण्ड पूरी तरह से खोल दी। प्रिया ने अपनी गाण्ड उभार पूरी कहानी पढ़ें »
यह कैसा संगम-1 26 September 2009 नेहा वर्मा यह कहानी तीन प्रेमियों की है। इस कहानी के पात्र फ़िल्म संगम के पात्रों से मिलते-जुलते हैं और कहानी में वही त्रिकोण है। पूरी कहानी पढ़ें »
बेचैन निगाहें-2 19 April 2009 बेचैन निगाहें-1 जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो दिल धक से रह गया। संजय सामने खड़ा था। मेरा दिल जैसे बैठने सा लगा। ‘अरे मुझे पूरी कहानी पढ़ें »
बेचैन निगाहें-1 18 April 2009 मेरी शादी हुए दो साल हो चुके हैं। मेरी पढ़ाई बीच में ही रुक गई थी। मेरे पति बहुत ही अच्छे हैं, वो मेरी हर पूरी कहानी पढ़ें »
इत्तिफ़ाक से-2 25 March 2009 इत्तिफ़ाक से-1 दोस्तो, अब कहानी का आगे का भाग आपके समक्ष प्रस्तुत है। हम दोनों रेस्टोरेन्ट में बैठे ही थे कि वो जोड़ा हमारे सामने पूरी कहानी पढ़ें »
मुझे दीदी ना कहो-2 1 March 2009 लेखिका : कामिनी सक्सेना उसने अपनी बाहें मेरी कमर में डाल कर मुझे दबा लिया और अपने अधरों से मेरे अधर दबा लिये। मैं जान पूरी कहानी पढ़ें »
मुझे दीदी ना कहो-1 28 February 2009 लेखिका : कामिनी सक्सेना मैं दिन को घर में अकेली होती हूँ। बस घर का काम करती रहती हूँ, मेरा दिल तो यूँ पाक साफ़ पूरी कहानी पढ़ें »
शर्बत-ए-आजम 25 December 2008 प्रेषिका : लक्ष्मी कंवर मेरा देवर नरेन्द्र बहुत ही सीधा सादा और भोला भाला था। मैं तो प्यार से उसे नरेन् कहती थी। आप जानते पूरी कहानी पढ़ें »
मैं और मेरे विद्यार्थी-2 15 August 2008 अगले दिन मैंने महिमा को रोहित के साथ आने को कह दिया। महिमा तुंरत तैयार हो गई। मैं समझ गई आग दोनों और लगी है। पूरी कहानी पढ़ें »
मैं और मेरे विद्यार्थी-1 14 August 2008 नेहा वर्मा मैं स्कूल में बायलोजी विषय की टीचर थी. १२ वीं क्लास को पढाती थी. मेरी क्लास में लड़के और लड़कियां दोनों ही पढ़ते पूरी कहानी पढ़ें »
सब्र का फ़ल-2 5 May 2008 उसका दोस्त नीचे लेट गया और मुझे उसके ऊपर लेट कर चूत में लण्ड घुसाने को कहा. मैं उसके दोस्त के ऊपर आ गई और उसके खड़े लण्ड पर चूत को फ़िट कर दिया. पूरी कहानी पढ़ें »
सब्र का फ़ल-1 4 May 2008 गोमती हमेशा की तरह मेरी जांघों पर बैठ गई और तेल से भरे हाथ मेरी छातियों को गोलाई में मलने लगे. मेरे शरीर में एक अनजानी सी गुदगुदी भरने लगी. पूरी कहानी पढ़ें »
हरीयालो देवरियो 1 February 2008 लेखिका : नेहा वर्मा मेरा देवर मुझसे कोई दस साल छोटा है, पर मुझे वो बहुत प्यारा है। वो सीधा-साधा, भोला-भाला सा है, हंसमुख है। पूरी कहानी पढ़ें »
जवानी का रिश्ता 1 April 2007 प्रिय पाठको, मैंने अन्तर्वासना डॉट कॉम पर बहुत सी कहानियाँ लिखी हैं। ये कहानियाँ आपके मनोरंजन के लिए हैं। अब पेश है एक नई कहानी पूरी कहानी पढ़ें »