मधुरेखा

पर पुरुष समर्पण-4

वो मुझे पीछे से देखते ही रहे… धीरे से उन्होंने मुझे पीछे से ही अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरी नग्न पीठ पर एक चुम्बन लिया।
मेरे बदन में जैसे बिजली दौड़ गई…

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पर पुरुष समर्पण-1

मैं खुद ही हुक खोलने लगी। उसने मेरे हाथ हटाए और चट चट मेरे ब्लाऊज़ से सारे हुक खोल दिए, मेरी ब्रा को ऊपर सरका कए मेरे चुचूक को मुंह में लेकर किसी शिशु की तरह चूसने लगा।

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जो पहले कर ना सकी थी

मैंने चुपचाप आँखें मूंद ली… काफ़ी दर्द हो रहा था, ऐसा लग रहा था कि मैं कोई गर्भवती थी, अभी मेरा प्रसव हुआ है और मेरा बच्चा मेरे दोनों निप्प्ल चूस रहा है…

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कारनामा पूरा ना करने की सजा

उस गड़बड़ में जल्दी जल्दी में और डर के कारण मेरा बायां निप्पल अचानक पनीर की सब्जी में एकदम डूब कर बाहर निकल आया। ओह माँ… मेरे मुख से चीख निकल गई!

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