जवाहर जैन

जरूरतमंद

अन्तर्वासना के पाठकों को नमस्कार। इससे पहले मेरी कई कहानियाँ जैसे ‘पुसी की किस्सी’, ‘हमने सुहागरात कैसे मनाई’ और ‘परोपकारी बीवी’ आपके सामने आ चुकी

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परोपकारी बीवी-3

मैं स्नेहा का दिल रखने के लिए उससे लिपटा और फिर बाहर निकल गया। स्नेहा मुझे उनके घर में अंदर घुसते तक देखती रही।

वहाँ अलका मुझे सामने बैठक में ही मिली। वह गाउन पहने थी।

मैंने औपचारिकतावश पूछा- कैसी हैं आप?
वह बोली- अभी तक दुखी थी, आप आए हो तब से थोड़ा चैन मिला है।

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परोपकारी बीवी-2

मेरी बीवी स्नेहा के सहयोग से अब मुझे उसकी सहेली व हमारे पड़ोस में रहने वाली अलका को चोदने को मौका मिलने वाला है, इस सोच के साथ आज मैंने स्नेहा को डट कर चोदा। अलका को मैं चोदूं, इसकी रिक्वेस्ट स्नेहा ने हमारी आज की चुदाई शुरू होने के पहले ही कर ली थी, पर मैंने सहमति चुदाई का पहला दौर निपटने पर ही दी।

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परोपकारी बीवी-1

हमारे बाजू वाले क्वाटर में रहने वाले सज्जन पीसी मैसी मेरे ही डिविजन में काम करते हैं। वे अपनी पत्नी के साथ अक्सर मेरे घर आते और फिर हम चाय, नाश्ता साथ-साथ ही लेते हैं। मैसी जी को शराब पीने और जुआ खेलने की आदत थी। इस कारण अलका बहुत दुखी रहती है। यहां तक कि मैसीजी के वेतन से उनके घर का खर्च भी बहुत मुश्किल से निकल पाता है।

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पुसी की किस्सी-2

प्रेषक : जवाहर जैन अन्तर्वासना के सभी पाठक जिन्होंने मेरी कहानी पढ़ी और अपनी टिप्पणी लिखकर कहानी के बारे में अपनी राय बताई, उन्हें बहुत

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