hiiiii दोस्तों।में जलगाव बॉय,में जलगाव जिल्हा महाराष्ट्र से हु।आप सभी को मेरी दोस्ती के लिए आमंत्रित करता हु।आप हमारी कहानी जरूर पढ़े और अपने मेल भेजते रहे। यह सब कहानिया हम आप के मनोरंजन के लिये लिखते हे। [email protected]
उस रात माँ अपनी चूत चटवा कर सो गई और अगली सुबह जब मां मेरे सामने बैठ कर मूतने लगी तो मेरा सब्र जवाब दे गया, मेरा खड़ लण्ड देख कर माँ हंसने लगी और उसके बाद…
माँ को चूत चुसवा कर बहुत मज़ा आया और वो शानदार तरीके से झड़ी और थक कर सो गई.. लेकिन मेरा लौड़ा मुझे परेशान कर रहा था, मैं सोती हुई माँ की जांघों को सहलाने लगा
माँ पूरी नंगी होकर दोनों पैर फैला कर मुझसे अपनी चूत चटवाने लगी… मैं माँ की चूत चूसने लगा तो माँ को खूब मज़ा आ रहा था, वो मज़े में पागल हो गालियाँ बक रही थी.
आज तो माँ मुझ पर पूरी मेहरबान थी, उसने पूरी नंगी होकर दोनों पैरों को मेरे सामने खोल कर फैला दिया और बोली- ले देख ले जो देखना है… मैं चूची मसलने और चूसने लगा
रात को छत पर मैंने माँ की मिन्नतें की चूत दिखाने के लिए, वो ना मानी और तभी बारिश शुरु हो गई… नीचे आकर मैंने माँ को फ़िर से कहा लेकिन वो मेरी मुठ मारने लगी।
मैं माँ की चूचियाँ मसल रहा था, माँ मेरे लौड़े को सहला कर मुठ मार रही थी… जब मैंने मां से कहा कि मेरा निकलने वाला है तो मां ने मेरा सुपारा अपने मुख में भर लिया
मेरी माँ पेशाब करके आ गई लेकिन बड़ी देर तक मेरे लंड से पेशाब ही नहीं निकला, फिर जब लंड कुछ ढीला पड़ा तब जा के पेशाब निकलना शुरु हुआ। मैं वापिस माँ के पास आया तो माँ ने फिर से वही बातें शुरू कर दी कि मैं उसे नहाते हुए क्यों घूरता हूँ… वो मेरा लंड पकड़ कर कहने लगी कि तू अब जवान हो गया है… कहानी पढ़ कर मज़ा लें…
माँ कपड़े को नदी के किनारे नहाने लगी… माँ के दांतों से उसका पेटिकोट छुट गया और सीधे सरसराते हुए नीचे गिर गया और उसका पूरा का पूरा नंगा बदन एक पल के लिये मेरी आंखों के सामने दिखने लगा।
बाद में खाना खाने के बाद माँ पूछने लगी कि उसे नंगी देख कर मुझे कैसा लगा… फ़िर उसने मेरा हाथ अपनी चूचियों पर रख लिया…
जब माँ कपड़े को नदी के किनारे धोने के लिये बैठती थी, तब वो अपनी साड़ी और पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर उठा लेती थी… एक दिन हम दोनों ने कपड़े धो लिये और सारा काम निपटा कर नहाने लगे… माँ के दांतों से उसका पेटिकोट छुट गया और सीधे सरसराते हुए नीचे गिर गया और उसका पूरा का पूरा नंगा बदन एक पल के लिये मेरी आंखों के सामने दिखने लगा। खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए…
हमारा काम धोबी का था, माँ देखने में बहुत सुंदर है, जब माँ कपड़े को नदी के किनारे धोने के लिये बैठती थी, तब वो अपनी साड़ी और पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर उठा लेती थी… घर में भी कपड़े इस्तरी करते वक्त माँ अपना पेटिकोट ऊपर उठा कर पसीना पौंछती तो मुझे उसकी नंगी जांघों के बीच का नज़ारा देखने को मिल जाता… खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए…
हमारा पारिवारिक काम धोबी का था, मैं माँ के साथ नदी किनारे कपड़े धोने जाते थे… माँ देखने में बहुत सुंदर है, इस कारण गाँव के लोगों की नजर भी उसके ऊपर रहती होगी, ऐसा मैं समझता हूँ। जब माँ कपड़े को नदी के किनारे धोने के लिये बैठती थी, तब वो अपनी साड़ी और पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर उठा लेती थी… खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए…
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