जब मैं सलोनी को पूरी नंगी देखता हूँ तो मुझे लगता है कि जैसे वह अभी तक अक्षतयौवना अनछुई कच्ची कली हो… सच में ही मेरी सलोनी कुँवारी कमसिन बाला से भी ज्यादा जवान और नाजुक नज़र आती है
सलोनी मेरी सेक्सी बीवी किसी परिचय की मोहताज़ नहीं… उसका सौन्दर्य बिना कहे ही अपनी कहानी खुद बता देता है… मेरी सलोनी है ही इतनी मस्त कि कोई उसको एक बार देख ले तो जिन्दगी भर भूल नहीं सकता।
अब वो मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी थी… मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। फिर पेट पर चूमता हुआ मैं उसकी चूत पर आ गया और चूत को चूसने लगा।
जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी कुर्ती में नीचे से अन्दर डाल कर उसकी ब्रा खोलनी चाही.. तो जैसे ही मेरा हाथ उसकी नाभि के पास पहुँचा.. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। वो मेरे हाथ को छोड़ ही नहीं रही थी।
यह कहानी मेरे पड़ोस की कमसिन लड़की की है जिसे मैं रोज छत पर देखता था. एक दिन मेरी भाभी के घर वो मुझे दिख गई तो बात करने का मौका मिल गया. उसके बाद क्या हुआ कहानी में पढ़िए !
आजकल की लड़कियाँ ऐसे-ऐसे ड्रेस पहनती हैं.. उस सब को देख कर कुछ तो महसूस होता होगा.. उनके करीब जाने की इच्छा.. उनसे बात करने की इच्छा.. उन्हें छूने की इच्छा.. किस करने की इच्छा.. कुछ और करने की इच्छा?
पति देव को अच्छी तरह मालूम था कि मैं कभी-कभी हस्तमैथुन मैथुन कर लेती हूँ.. कई बार मेरी सिसकियाँ सुनकर उठ जाते और गौर से मुझे देखते रहते। उनकी आँखों के सामने ही मैं अपनी योनि को ज़ोरों से घिसती और रगड़ती रहती
मेरे गद्दे और चादर पर अपना रस छोड़ेगा… ईएश.. कितना गंदा काम.. ऐसा कितने बार उसने रस छोड़ा होगा? मुँह में लार और पेशाब की तरह वीर्य भी काफ़ी पर्सनल चीज़ है। दूसरों के लिए अछूत सी होती है।
नपुंसक पति के कारण मैंने मन ही मन चंदर से संभोग करने का इरादा बना लिया। मैं उठकर भान्जे के कमरे में गई और छानबीन की.. पर उसकी अलमारी से कुछ नहीं मिला.. बिस्तर के नीचे कुछ नहीं था। लेकिन गद्दे के नीचे कुछ किताबें मिलीं.. साथ में कन्डोम के कुछ पैकेट भी मिले।
पति की नाकामयाबी मेरे साथ एक धोखा सा था.. पति को धोखा देना कोई पाप नहीं लग रहा था।
अगर मेरे पति बिस्तर में कामयाब और नॉर्मल होते.. तो आज उनके साथ खुश रहती..
मैं अपनी बीवी को गैर मर्द से चुदते देखना चाहता था. एक बार मैं आधी रात को घर पहुंचा तो एक ऑडी गाड़ी मेरे घर के नीचे खड़ी थी. मैंने दूसरी चाबी से दरवाजा खोला तो
उनका गर्म गर्म लौड़ा मेरी कमर को छू रहा था। अब मुझे नशा सा होने लगा, उन का लौड़ा मुझे इतना ललचा रहा था कि उनको अपने से दूर हटाने के बहाने ही मैंने उस लण्ड को
नलिनी भाभी- हाँ मेरी बन्नो… वो तो होगी ही न… लण्ड लेते हुए भी तो हुई होगी न… तब तो खूब ले लिए अन्दर तक.. देखो जरा दोनों छेद कैसे हो गये थे… रंग भी काला सा पड़ गया था। अब क्रीम लगाई है… कुछ तो करना ही था ना इनको ठीक करने के लिए…
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