सुनहरे पल 12 October 2006 प्रेषिका : दिव्या डिकोस्टा गोवा में लड़कियाँ जल्दी जवान हो जाती है। उसका मुख्य कारण है कि यहाँ सभी लोग मांस खाने शौकीन हैं। यहाँ पूरी कहानी पढ़ें »
ये दिल मांगे मोर 27 July 2006 प्रेषिका : दिव्या डिकोस्टा मैं आज अपने मायके आ गई, सोचा कि कुछ समय अपने भाई और माता पिता के साथ गुजार लूँ। मेरी माँ पूरी कहानी पढ़ें »
बाबा डर लगता है ! 3 December 2005 लेखिका : दिव्या डिकोस्टा जब मैं जवान हुई तब मुझे भी और लड़कियों की तरह चुदवाने की इच्छा होती थी। पर हमारी सहेलियों में से पूरी कहानी पढ़ें »
बच गई मेरी नौकरी 3 August 2005 लेखिका : दिव्या डिकोस्टा मैं किरण, तीस वर्ष की एक नर्स हूँ, सरकारी अस्पताल में काम करती हूँ। स्टाफ़ की कमी के कारण मुझे काफ़ी पूरी कहानी पढ़ें »
तीसरी मंजिल 10 April 2005 लेखिका – दिव्या डिकोस्टा मैं अभी सेकेण्ड ईयर बी एस सी में हूँ। मेरे पापा ने एक छात्र रवि को तीसरी मंज़िल पर एक कमरा पूरी कहानी पढ़ें »