मेरी बहन बहुत सुन्दर है, गदराया हुआ बदन, होंठ गाल सेब की तरह से लाल, जब चलती थी तो चूतड़ मटका-मटका कर… साली के चूतड़ देखकर मेरा तो लौडा भी खड़ा हो जाता था।
मैंने अपनी पेंटी खोली और अपनी चूत में उंगली करते हुए आनन्द को अपनी चूत चाटने का हुक्म दिया, मैंने रजनी को भी शामिल करते हुए अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों का रसपान किया।
अब मेरी ननदें मेरे काम से जुड़ गई थी, घर में सिगरेट और शराब का दौर तो अब आम हो गया था, आमतौर पर जब भी मैं घर पहुँचती तो उन्हें नंगी ही पाती, वो नंगी ही घर में घूमती थी।
मैं पूरे घर में नाइटी में घूमती, मेरे इस रूप को देखकर मेरे भाई की नीयत बिगड़ने लगी, वो मेरे रूप सौन्दर्य को घूर-घूर कर देखता, मुझे छूने के बहाने ढूंढता।
चूँकि मैं कुंवारी थी और आजतक किसी ने भी मुझे चोदा नहीं था इसलिए मैं काफी डरी हुई थी। ग्राहक 9 बजे आने वाले थे, मगर मैं नई थी इसलिए श्वेता ने ट्रेनिंग के लिए मुझे बुलाया था
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