फ़ेसबुक पे पटा कर चंडीगढ़ में चोदा-2
(Facebook Pe Pata kar Chandigarh Me Choda- Part 2)
मेरी सेक्स स्टोरी के पहले भाग
फ़ेसबुक पे पटा कर चंडीगढ़ में चोदा-1
में आपने पढ़ा कि फेसबुक पर मेरी दोस्ती एक लड़की से हुई, बात आगे बढ़ी और मिलने तक पहुंची, मिलने के बाद सेक्स तक पहुंची और आखिर हम दोनों पहुँच गए होटल के कमरे में!
अब आगे:
आरुषि की पूरी नंगी चूत मेरे सामने थी, वो बिल्कुल साफ थी, उस पर झांट के बालों का नामोनिशान नहीं था, कसम से कहता हूँ दोस्तो… आज तक मैं बहुत सी लड़कियों, भाभी को चोद चुका हूँ लेकिन आरुषि को भगवान ने सच में बहुत ही फ़ुर्सत से बनाया था, बहुत ही खूबसूरत…
फिर मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो वो आनन्द के वशीभूत होकर मेरे बाल नोचने लगी। मैं कभी उसकी चूत के दाने को अपने दांतों से पकड़ लेता तो उसकी चीख निकला जाती. कभी मैं उसकी चूत के छेद में अपनी जीभ घुसा देता. आरुषि की चूत टाइट लग रही थी, वो ज्यादा नहीं चुदी थी. मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली घुसा कर देखी तो वो कसी कसी जा रही थी.
लगातार आनन्द से भरी सिसकारियाँ लेते हुए थोड़ी देर में ही आरुषि ने अचानक मेरा सिर अपनी टाँगों में जकड़ लिया और कमर उठा कर एक तेज सिसकारी के साथ अपना यौवन रस मेरे मुंह पर छोड़ दिया जिसका स्वाद बहुत ही बढ़िया था, जिसे मैंने पूरा चाट कर साफ कर दिया.
और फिर आरुषि ने मुझे अपने ऊपर खींचते हुए दोबारा से मेरे होंठ जकड़ लिए अपने होंठों में और आँखों ही आँखों में मेरे ऊपर आने की इच्छा जताई. मैंने भी उसको अपने ऊपर ले लिया, मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो अपनी नंगी फुद्दी मेरे लंड पर कच्छे के ऊपर से ही रग़ड रही थी.
फिर आरुषि ने मेरी बनियान उतारी और मेरी छाती को चूमते हुए नीचे लंड पर हाथ फिराने लगी, फिर उसने मेरे अंडरवीयर को खोलते हुए लंड को हाथ में पकड़ा और टोपे को नंगा करके उस पर जीभ फिराने लगी.
मुझे आज तक कभी किसी से इतना मजा नहीं आया था लंड चुसवा कर… फिर वो मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी.
मैं भी फ़ौरन आरुषि को 69 में लेते हुए उसकी फुद्दी चाटने लगा. कुछ देर चूसने चाटने के बाद हम दोनों ने एक दूसरे मुंह में अपना अपना लावा उगल दिया और दोनों ने ही पूरा चाट कर एक दूसरे को बिल्कुल साफ कर दिया.
फिर दोनों ने एक दूसरे में समा कर होंठों को जकड़ लिया.
और थोड़ी देर बाद जब लंड महाराज फिर से टाइट हो गये तो मैंने आरुषि को बेड के सहारे झुका कर खड़ा करके पीछे से लंड उसकी फुद्दी के मुँह पर लगाकर मैं एक बार थोड़ा पीछे को हुआ और एक झटका लगाते हुए लन्ड को फुद्दी में धक्का मारा तो लंड थोड़ा सा उसके अंदर घुस गया.
उसको थोड़ा दर्द हुआ तो उसने रुकने का इशारा किया.
फिर थोड़ा सामान्य होने पर उसने अपनी कमर हिला कर इशारा दिया तो मैंने भी देर ना करते हुए एक जोर का झटका लगाते हुए आधा लन्ड उसके अंदर घुसा दिया।
एक और झटका लिया और बचा हुआ लन्ड एक झटके में उसकी कोमल चूत में समा गया।
अबकी बार उसकी चीख निकल गई ‘उउइईई माँ आहह हहहह ओहहह…’
लेकिन मैंने उसको चोदने में कोई जल्दबाजी नहीं की और धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करता रहा जिसका परिणाम यह हुआ कि थोड़ी ही देर में वो उत्तेजित होकर अपनी कमर आगे पीछे करके खुद झटके मारने लगी, और मैं बता नहीं सकता कि उस टाइम मुझे कितना मज़ा आ रहा था.
घोड़ी बना कर लगभग 40-50 धक्के देने के बाद मैंने उसे अपनी गोदी में उठा लिया और आरुषि ने अपनी बाहों का हार मेरे गले में डाल दिया और अपने चूतड़ उठा उठा कर लंड को अपनी फुद्दी में लेने लगी।
ऐसे थोड़ी देर चोदने के बाद फिर से उसे बेड पर लिटा मैं उसके ऊपर आ गया और फुद्दी पर लंड लगा कर एक ही झटके में बच्चेदानी तक लंड उतार दिया. इस तरह मैं उसकी चूत में जड़ तक अपने लंड को डालता और फिर से निकाल लेता।
थोड़ी देर बाद जब उसका निकलने वाला हुआ तो आरुषि ने मुझे जोर से पकड़ पकड़ लिया और अपने नाखून मेरी कमर में गड़ाने लगी. मैं समझ गया था कि इसका होने वाला है और मैंने अपनी स्पीड बरकरार रखते हुए धक्के लगाता रहा, इसी बीच वो सिसकारी लेती हुई झड़ गयी.
कुछ देर बाद मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने कहा- जानम, मेरा भी निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ?
तो आरुषि ने मुझे उसकी फुद्दी के अंदर ही झाड़ने की इच्छा ज़ाहिर की.
फिर 4-5 जोरदार घस्से मारकर मैंने उसकी चूत में ही अपना माल निकाल दिया और उसके ऊपर निढाल होकर गिर गया।
उसने मुझे किस किया और बोली- आज बहुत दिनों के बाद मजा दिया है तुमने… कब से तरस रही थी, अब जब तक ये वापिस नहीं आ जाते तब तक मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी ही हूँ.
ए सी होने के वाबजूद भी हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे और उसकी फुद्दी से लगातार मेरा माल निकल रहा था.
फिर वो उठ कर बाथरूम जाने लगी तो मैं भी उसके पीछे चल दिया… लेकिन उसकी मटकती गांड देखकर मेरे लंड ने फिर से हलचल शुरू कर दी थी, बाथरूम में घुस कर हमने शॉवर चालू किया और दोनों धीरे धीरे भीगने लगे।
आरुषि को अपनी गोद में उठा कर एक दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे और नीचे लंड फिर से खड़ा हो चुका था, वैसे ही गोद में उठाए हुए आरुषि की फुद्दी में घुसा दिया, ऊपर से आती हुई ठण्डी फुहारों में दनादन लंड के झटके अलग ही मजा दे रहे थे।
थोड़ी देर बाद आरुषि नीचे उतर कर घुटनों के बल बैठ कर लंड पर जीभ फिराने लगी और मैं उसके मुँह में लंड डालने लगा और वो मज़े से लंड चूस रही थी। थोड़ी देर उसका मुंह चोदने के बाद मैंने आरुषि को दीवार के सहारे घोड़ी की तरह झुका कर पीछे से उसकी फुद्दी पर अपनी जीभ फिरा कर चाटने और 2 उंगली डाल कर चोदने लगा जिसमें हम दोनों को ही बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर उसी पोज़िशन में मैंने आरुषि के मम्मे पकड़ कर और लंड उसी फुद्दी में डाल कर झटके देने शुरू कर दिया. इस बीच ऊपर शावर से गिरता पानी… मैं अपने उस अनुभव को ब्यान नहीं कर सकता.
अब कोई 15-20 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गये और एक दूसरे को नहला कर वापिस कमरे में आ गये.
तभी रिसेप्शन से काल आया कि सर डिनर तैयार है, आप नीचे आएँगे या आपके रूम में ही भेज दें.
हम दोनों ने नीचे जाना तय किया और फोन कट कर दिया.
थोड़ी देर में आरुषि नीले रंग का पाजामी वाला सूट पहन कर तैयार हो गयी और उसको देख कर मेरी और मेरे लंड की हालत बहुत खराब हो चुकी थी, मैंने कहा- जान आज तुम मेरी जान लेकर ही रहोगी!
और मैं उसकी तरफ बढ़ने लगा लेकिन आरुषि ने मुझे रोकते हुए कहा- मैं कौन सी कहीं भागी जा रही हूँ, आप ही के पास तो हूँ सारी रात, अब नीचे चलो खाना खाने!
फिर खुद पर कंट्रोल करते हुए हम दोनों नीचे डायनिंग हाल में पहुँचे लेकिन मुझे तो बस यही था कि कब वापिस हम कमरे में पहुँचें.
हाल में तकरीबन सभी हम दोनों को नव विवाहित युगल समझ रहे थे और सभी कमीने आरुषि को ललचाई नज़रों से देख रहे थे.
डिनर के बाद हम दोनों ने थोड़ी देर होटेल के पार्क में टहलकदमी की और ऐसे ही बातें करते हुए वापिस अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगे.
कमरे में घुसते ही हम दोनों एक दूजे से लिपट गये और चूमने लगे. मैंने भी देर ना करते हुए अपने और उसके कपड़े निकाल दिए।
आरुषि को बैड पर कमर के बल लेटा कर और खुद खड़ा हो कर उसके मुँह में लंड डालने लगा। आरुषि भी बड़े मजे से लंड चूस कर अपना मुँह चुदवा रही थी.
फिर उसको बेड पे बिठा कर और नीचे बैठ कर उसकी चूत चाटने लगा, वो मस्ती से मेरे बालों में हाथ फिराने लगी।
आरुषि ने मुझे उठा कर खड़ा करते हुए मेरे होंठ चूसे और मुझे बेड पर गिरा कर अबकी बार वो मेरे ऊपर लेट गई और लंड को अपनी फुद्दी में अंदर बाहर लेने लगी, मैं भी नीचे से झटके मारने लगा।
उसको मजा आ रहा था और वो बोल रही थी- आह्ह ह्ह्ह… बहुत मजा आ रहा है आह्ह ह्ह्हह!
वो उछल उछल कर लंड फुद्दी में ले रही थी और नीचे से मैं भी स्वर्ग में था.
थोड़ी ही देर में आरुषि अकड़ के झड़ गई और थक कर मेरे ऊपर ही लेट गई।
मैंने उसे बेड पर पेट के बल लेटाते हुए उसे घोड़ी बनाया और उसकी गांड पर जीभ से चाटने लगा. आरुषि को भी समझने में देर ना लगी कि मेरा क्या इरादा है.
तभी अचानक उसने कहा कि उसने कभी गांड नहीं मरवाई तो मैंने उसे कहा- जान, फुद्दी मरवा कर भी मज़ा आया ना? तो बस गांड मरवा के भी बहुत मज़ा आएगा.
तब वो कुछ नहीं बोली और मैं धीरे-धीरे उसकी गांड में उंगली डालने लगा. हालाँकि मुझे उसके दर्द का एहसास उसकी सिसकारी से हो रहा था लेकिन फिर भी आरुषि ने मुझे अपनी गांड में उंगली करने से नहीं रोका.
इस तरह थोड़ी देर तक लगातार करते रहने से मेरी दो उंगलियाँ आरुषि की गांड के अन्दर आसानी से आने जाने लगी। फिर मैंने उसकी गांड और अपने लंड पर उसी के बैग से निकाल कर एक क्रीम लगाई और लंड को उसकी गांड में डालने का प्रयास किया।
इधर मेरे टोपे में भी जलन होने लगी तो लेकिन फिर भी मैंने किसी तरह अपना टोपा आरुषि की थोड़ी देर की और मेहनत और दर्द को सहन करते हुए अब लंड आरुषि की गांड में अपनी जगह बना चुका था.
और तभी आरुषि ने कराहते हुए कहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… प्लीज़ संचित, निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है.
फिर मैं वैसे ही उसके ऊपर झुकते हुए एक हाथ से उसका मम्मा और दूजे हाथ से फुद्दी सहलाने लगा और अब जितना लंड अन्दर गया था उसे वैसे ही थोड़ा-थोड़ा अन्दर बाहर करने लगा.
थोड़ी देर की और मेहनत और दर्द को सहन करते हुए अब लंड आरुषि की थोड़ी देर की और मेहनत और दर्द को सहन करते हुए अब लंड आरुषि की गांड में अपनी जगह बना चुका था और अब आसानी से अन्दर बाहर होने लगा था.
आरुषि भी अब गांड चुदाई का मज़ा लेने लगी थी, क्यूंकि अब उसके मुख से दर्द से कराहने की बजाए मस्ती और चुदाई के मज़े की ‘आह ओह… आह… ओह…’ निकल रही थी और कोई फिर 10 मिनट के बाद मैं भी उसकी गांड में ही झड़ गया.
उसके बाद मैंने आरुषि की गांड को साफ किया और आरुषि ने मेरे लंड को अपने होंठों से… फिर वो मुझसे चिपक गई, और हम दोनों नंगे ही कब नींद के आगोश में चले गये, हमें पता ही नहीं चला.
सुबह उठ कर फिर एक और दौर चला चुदाई का और फिर फ्रेश होकर ब्रेकफास्ट करके हमने चेकाउट किया और जल्दी ही दोबारा मिलने का वादा लेते हुए अलग हुए.
और हां दोस्तो, कल ही आरुषि का मेसेज आया है कि वो किसी काम से पालमपुर जा रही है, अब आप तो जानते ही होंगे कि लड़कियाँ बुलाती नहीं हैं, लड़के खुद आ जाते हैं. बाकी समझदार के लिए इशारा ही बहुत है.
कैसे लगी आपको मेरी सेक्स स्टोरी, आप मेल करके अपनी राय दे सकते हैं.
आपका संचित
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