चूत एक पहेली -66

(Chut Ek Paheli- Part 66)

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अब तक आपने पढ़ा..

निधि- आ..आह्ह.. बाबूजी.. आह्ह.. मेरा रस निकल रहा है.. उई ज़ोर से करो.. आह्ह.. निकल गया.. आह्ह.. आह..
निधि गाण्ड को उठा कर झड़ने लगी।

सन्नी ने भी स्पीड कम कर दी, वो उसको प्यार से देखने लगा। जब वो शान्त हो गई.. तो सन्नी ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
सन्नी- तेरी चूत तो कमाल की है.. चल अब जल्दी से घोड़ी बन जा.. थोड़ा सवाद मेरे लण्ड को तेरी गाण्ड का भी चखने दे।
निधि को पता था.. सन्नी ऐसे जल्दबाज़ी क्यों कर रहा है.. ये वक्त और जगह ही ऐसी थी। उसने बिना कुछ कहे सन्नी की बात मान ली और घोड़ी बन गई।

अब आगे..

सन्नी- कसम से अगर तू कुँवारी होती तो तेरे दोनों होल खोलने में बड़ा मज़ा आता। साली क्या ज़बरदस्त गाण्ड है तेरी.. एकदम मलाई की तरह।

सन्नी ने लौड़े को गाण्ड के छेद पर रखा और ‘घप’ से अन्दर पेल दिया। निधि तो सुकून में थी.. उसकी चूत की आग जो मिट गई थी। अब गाण्ड में लौड़ा तो उसके लिए बोनस जैसा था, वो मज़े से गाण्ड मरवा रही थी.. साथ-साथ गाण्ड को पीछे-पीछे धकेल कर सन्नी का मज़ा दुगुना कर रही थी।

सन्नी- आह्ह.. साली.. आह्ह.. तू पक्की चुदक्कड़ है.. आ ले आह्ह.. मेरा पूरा लौड़ा खा गई.. ले मेरा भी रस निकलने वाला है.. आह्ह.. भर दूँगा तेरी गाण्ड को मैं.. आह्ह.. आह्ह..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

सन्नी ने निधि की गाण्ड को रस से भर दिया। अब जाकर उसको सुकून आया था, वो बस बेहाल सा होकर उसके पास लेट गया।
निधि भी वैसे की वैसी सन्नी के पास लेट गई, उसकी गाण्ड से वीर्य निकल कर बिस्तर पर गिरने लगा।

उधर भाभी ने भी बिहारी को ठंडा कर दिया था। वो अब वापस बैठ कर बातें करने लगे। उधर अर्जुन को काफ़ी देर बैठाकर होटल वाले ने खाना दिया।
वो बस वापस आ रहा था.. इधर इन सबकी रासलीला भी ख़त्म हो गई थी।

निधि- बाबूजी कपड़े पहन लो.. नहीं तो अर्जुन आ जाएगा और सब गड़बड़ हो जाएगी।
सन्नी- अरे ये साला अर्जुन है कौन.. कब से दिमाग़ में घूम रहा है और कहीं इसी साले ने तो तेरी चूत की शुरुआत नहीं की ना?

यह बात सुनकर निधि के होंठों पर मुस्कान आ गई।
जिसे देख कर सन्नी फ़ौरन समझ गया कि अर्जुन ने ही इसकी सील तोड़ी है।
सन्नी- अबे साली तू भी बहुत बड़ी रंडी है.. अपने भाई से ही चुदवा ली।

निधि- राम-राम.. बाबूजी.. कैसी बात करते हो.. अर्जुन मेरा भाई थोड़े ही है.. वो तो बस गाँव का है।
सन्नी- अच्छा ये बात है.. तभी साला तुम्हारी मदद के लिए यहाँ तक आ गया ताकि आराम से तेरी चुदाई कर सके और सबको लगे बेचारा भला लड़का है.. मदद कर रहा है।
निधि- जी हाँ.. अब आप कपड़े पहन लो वो आ जाएगा.. तो नाराज़ होगा, मैं रात को उससे चुदने वाली थी।
सन्नी- अच्छा ये बात है.. सारी प्लानिंग कर रखी थी। चलो कोई बात नहीं उससे भी चुद लेना.. मेरा तो हो गया.. अब कपड़े पहन ही लेता हूँ।

सन्नी ने कपड़े पहन लिए और वो बस कमरे से निकलने ही वाला था कि अर्जुन ऊपर आ गया।
बिहारी और भाभी बातें कर रहे थे.. अर्जुन को देख कर दोनों चुप हो गए।

अर्जुन- क्या बिहारी जी.. वहाँ तो बहुत समय लगा दिया खाना देने में.. इससे अच्छा तो यहीं से ले आता।
बिहारी- अरे बाबू हम उसको बोला था वक्त लगाने को.. चल अब आजा?

तभी सन्नी कमरे से बाहर निकाला.. उसके साथ निधि भी थी। उनको देख कर अर्जुन के पैरों तले ज़मीन निकल गई.. उसके चेहरे पर गुस्सा आ गया।

बिहारी- अरे इससे मिलो.. ये है सन्नी हमार दोस्त.. ये फ्लैट इन्हीं का है।
अर्जुन- हाँ जानता हूँ.. निधि, तुम अन्दर क्या कर रही थी?
भाभी- अरे कुछ नहीं अर्जुन.. ये साहब को सामान दिखाने गई थी।

अर्जुन ने निधि को गौर से देखा.. उसके बाल बिखरे हुए थे.. गले पर चूमने के निशान थे। वो समझ गया अन्दर क्या हुआ था। इधर सन्नी भी बड़े गौर से अर्जुन को देख रहा था।

सन्नी- मैंने तुम्हें पहले भी कहीं देखा है.. मगर याद नहीं आ रहा.. कहाँ देखा है।
अर्जुन- हाँ आपको कैसे याद आएगा.. आप ठहरे बड़े आदमी।
सन्नी- यार पहेली मत बुझाओ.. बताओ मुझे हम पहले भी कहीं मिले हैं क्या?
अर्जुन- हाँ मिले हैं कहाँ मिले हैं ये सबके सामने बताऊँ या अकेले में?

अर्जुन के तेवर देख कर सन्नी को लगा कि जरुरू दाल में कुछ काला है। उसने बिहारी को वहाँ से भेज दिया और उसको लेकर दूसरे कमरे में चला गया।

अन्दर जाते ही अर्जुन ने बिस्तर की हालत देखी.. तो उसका गुस्सा और बढ़ गया.. वो सन्नी को घूरने लगा।
अर्जुन- छी: शर्म आती है मुझे.. तुम जैसे घटिया आदमी के फ्लैट में मुझे रहना पड़ रहा है।
सन्नी- अबे साले.. क्या बकवास कर रहा है.. कौन है तू.. ये बता पहले?

अर्जुन- मेरा नाम तो तुझे पता होगा मगर मेरे बारे में जानने के लिए तुझे याद दिलाना होगा.. आशा के बारे में.. जिसकी मौत का ज़िम्मेदार तू है.. समझा.. कुत्ता मैं नहीं तू है.. जो प्यार का नाटक करके भोली-भाली लड़कियों की जिंदगी से खेलता है।

आशा का नाम सुनते ही सन्नी के होश उड़ गए। अब उसको पूरी बात याद आ गई कि वो अर्जुन से कब और कहाँ मिला था।
सन्नी- देख अर्जुन.. तुम आशा को कैसे जानते हो.. ये मुझे नहीं पता.. मगर मैंने आशा के साथ कुछ गलत नहीं किया। वो एक हादसा था बस.. और मैंने कोई प्यार का झूठा नाटक नहीं किया था.. समझे..

अर्जुन- हाँ देख रहा हूँ ना.. अभी जो निधि के साथ रंगरेलियाँ मनाईं.. वो भी एक हादसा ही था.. साले बहुत दिनों से मैं ऐसे किसी मौके की तलाश में था.. आज तू मेरा हाथ आया है।
सन्नी- अर्जुन यार बात को समझो.. मैं कसम ख़ाता हूँ.. मैंने कुछ नहीं किया। वो बस एक गलतफहमी थी.. जिसका शिकार आशा हुई। पहले तुम मेरी बात सुनो.. उसके बाद बताना किसकी ग़लती है।

दोस्तो.. आपका दिमाग़ घूम रहा होगा.. ये क्या हो रहा है.. तो चलो सारी उलझन शॉर्ट में निपटा देती हूँ। अब तक वैसे भी कहानी बहुत लंबी हो गई है।

सन्नी का आपको पता ही है.. ये आशा से प्यार करता था। दोनों एक-दूसरे को बेहद चाहते थे.. बस इन्होंने शादी नहीं की थी.. मगर जिस्मानी रिश्ते मजबूती से बना लिए थे। पुनीत की गंदी निगाह आशा पर थी.. मगर वो उसके हाथ नहीं आई.. उसने ज़्यादा ज़ोर इसलिए नहीं दिया कि वो जानता था कि ये सन्नी की गर्लफ्रेण्ड है।

आशा एक मेडिकल स्टूडेंट थी.. पढ़ाई के बाद प्रेक्टिस के लिए गाँव में गई.. इसी अर्जुन के गाँव में.. वहाँ वो सबसे बहुत घुल-मिल गई थी। खास कर अर्जुन और मुनिया से.. अर्जुन उसको अपनी बहन मानने लगा था। वो कभी-कभी शहर जाती.. तो उनके लिए गिफ्ट लेकर आती।

एक दिन वो शहर गई.. मगर सन्नी से उसका कोई कॉन्टेक्ट नहीं हुआ। वो बड़ी बेचैन थी.. क्योंकि उसको पता लग गया था कि वो माँ बनने वाली है। जब सन्नी उसको नहीं मिला.. तो उसने सन्नी के एक दोस्त को अपनी समस्या एक चिठ्ठी में लिखकर दी और कहा कि सन्नी जैसे ही आए उसको ये दे देना.. मेरा वापस जाना बहुत जरूरी है।

उसके बाद वो चली गई और सन्नी का वो पत्र उसके दोस्त पुनीत के हाथ लग गया। यानि वो खत उसमें लिखा था- मैं तुमसे मिलने आई.. और तुम्हारा कोई अता-पता नहीं है.. हमारे प्यार की निशानी मेरे पेट में है.. अब हमें जल्दी शादी कर लेनी चाहिए.. जैसे ही ये खत मिले.. सीधे नीचे लिखे पते पर आ जाना- तुम्हारी आशा..

पुनीत ने इस खत का गलत फायदा उठाया। उसने सन्नी के उस दोस्त को खरीद लिया और उसको ऐसी बातें समझा दीं.. जिससे आशा के चरित्र पर सवाल खड़े हो जाएं।

उसने वैसा ही किया सन्नी को भड़काया कि आशा किसी और से चोरी-छुपे यहाँ मिलने आती है। उसने खुद होटल में दोनों को जाते हुए देखा। उसकी बात सन्नी ने मान भी ली और आशा से कॉन्टेक्ट भी नहीं किया।

अब हाल यह था आशा फ़ोन करती.. तब भी वो फोन रिसीव नहीं करता।
आशा को समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर हुआ क्या है, फिर उसने सोचा वो अपने घर वालों को मनाने के बाद ही शायद उससे बात करेगा। यह सोच कर उसने सन्नी को फ़ोन करना बन्द कर दिया।
एक दिन पुनीत ने सन्नी को कहा कि आशा पेट से है.. जिसके साथ वो होटल में जाती थी.. ये उसका बच्चा है.. अब वो इससे इनकार कर रहा है.. तो देखना वो तुम्हारे माथे इसको लगा देगी और उसके बाद वही पत्र शाम को सन्नी तक पहुँचा दिया।

फिर क्या था सन्नी आग-बबूला होकर दूसरे दिन गाँव गया और आशा को ऐसी-ऐसी बातें सुनाईं कि वो हैरान हो गई उसके बच्चे को हरामी की औलाद बताया। उसने आशा की एक ना सुनी और उसको फटकार कर वो गुस्से में वहाँ से निकला।

तभी अर्जुन और मुनिया से टकरा गया उसके बाद आशा ने आत्महत्या कर ली.. तब सन्नी को अहसास हुआ.. अगर वो सही थी तो ये सब हुआ कैसे और उसने छानबीन की तो पुनीत का सारा खेल उसको समझ आया और तभी उसने बदला लेने की ठान ली।

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।

कहानी जारी है।
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