आज दिल खोल कर चुदूँगी-2
(Aaj Dil Khol Kar Chudungi-2)
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हमारी बात हो ही रही थी कि तब तक सुनील अन्दर आ गया, अन्दर आते ही मेरे पति से बोला- यार बड़ी देर कर दी?
फिर मुझसे बोला- तू तैयार हो गई?
मैंने ‘हाँ’ में सिर हिलाया।
फिर वो बोला- वाह…. खूब मस्त लग रही हो..!
और मेरे पास आया और पति से बोला- आकाश थोड़ा उधर घूम जाओ… मुझे चैक करना पड़ेगा ताकि सेठ नाराज़ ना हो जाए।
मेरे पति घूम गए, सुनील ने तुरंत मुझे बाँहों में ले कर चुम्बन करने लगा और एक हाथ मेरी पैन्टी में डाल कर चूत पर रखा और चौंक कर बोला- वाह… नाइस एंड स्मूद चूत… आज सेठ तो गया काम से…!
मैं तनिक शरमाई तो सुनील मुझसे बोला- तू सेठ को खुश कर देना..!
मैं बोली- ठीक है..!
फिर सुनील ने हाथ निकाल मुझे छोड़ दिया और बोला- आकाश, सेठ को अन्दर ले कर आओ..!
कुछ ही देर में सेठ अन्दर आ गया।
सेठ मुझे देखते ही बोला- वाह… क्या ‘पटाका-आइटम’ है..!
सुनील बोला- बस सेठ जी, आपकी सेवा करने के लिए आई है।
फिर सुनील ने मेरा परिचय कराया और बोला- तुम लोग बात करो… हम लोग आते हैं… वैसे भी हम लोगों का यहाँ क्या काम… क्यूँ आकाश?
पति भी मरता क्या ना करता… उसने मुंडी ‘हाँ’ में हिला दी।
सुनील बोला- नेहा, सेठ का ख्याल रखना… हम लोगों को कुछ काम है, अभी करके आते हैं..!
मैं भी बोली- आप लोग बेफिक्र हो कर जाओ और मुझे एक बार सेठ जी की सेवा का मौका तो दीजिए, फिर बाद में सेठजी से पूछ लेना कि सेवा मे कोई त्रुटि तो नहीं हुई और अगर सेठ जी को कुछ कमी लगे तो नाचीज़ का सर कलम कर देना !
मैंने भी पहली बार खुल कर मज़ाक कर दिया।
सुनील बोला- चलो आकाश भाई.. अब हम लोग इधर से चलते हैं।
यह कह कर दोनों चले गए।
फिर सेठ ने उठ कर दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर बैठ गया कुछ इधर-उधर की बातें करते-करते मुझे सहलाने लगा और मुझे चुम्बन करते-करते बेड पर लेट गया।
मैं भी उसका साथ देने लगी, पर सेठ जैसे टूट पड़ना चाहता था, जैसे मुझे खा जाएगा।
मैं बोली- थोड़ा प्यार से करो सेठ..!
बोला- तेरे जैसे माल को पाकर सब्र नहीं होता रानी…!
मैं उस समय कुरती-जींस पहने हुई थी। सेठ ने कुरती उतार फेंकी, जींस भी निकाल दिया।
मैं केवल ब्रा-पैन्टी में रह गई थी। लाल ब्रा-पैन्टी में मेरे हुस्न को देखा कर सेठ बोला- तू तो सेक्स की देवी है… आज मैं अपने लौड़े से चूत पेल कर फाड़ दूँगा…!
कहते हुए ब्रा से मेरी मम्मों को निकाल कर बारी-बारी से चूसने लगा और मुझे चूमते हुए नाभि तक आया और पैन्टी के ऊपर से चूत को चूमा तो मेरी चूत रोने लगी और मैं सेठ का सर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी।
फिर सेठ ने धीमे-धीमे चूमते-चाटते पैन्टी को मेरे पैरों से निकाल दिया और सीधे मेरी चूत पर मुँह रख दिया।
मैं एकदम से कांप गई।
सेठ चूत चाटने लगा, एक हाथ से चूची मसकने लगा।
सेठ की उमर 55 के आस-पास की थी, पर गजब का प्यार कर रहा था।
उसने मेरी चूत में जीभ पेल दी, चूसते-चाटते मेरी जाँघों को चूमते, चूत को चाटते मुझे पागल कर दिया।
मुझे लगा कि कुछ देर और चाटता रहा तो मैं झड़ जाऊँगी, मेरी सिसकारी फूट रही थीं।
सेठ मंजा हुआ खिलाड़ी था, उसने भांप लिया कि मैं एकदम से गर्म हो गई हूँ, उसने चूमना बंद कर दिया और खड़ा हो कर अपने कपड़े उतारने लगा।
जब उसने जांघिया उतारा, तो मैं देख कर पागल हो गई।
क्या मर्द था…!
उसका लौड़ा करीब 8 इंच लम्बा और मोटा 4 इंच का था, देखने में पूरा गदहे के लण्ड जैसा था।
मैं पहले डरी, फिर सोचने लगी कि आज किस्मत मेहरबान है तो फिर क्या डरना…!
सेठ लण्ड को मेरे मुँह के पास लाकर बोला- चूस…!
मैंने कभी भी पति को छोड़ कर किसी और का लंड नहीं चूसा था, मैं बोली- नहीं सेठ मैं नहीं चूसूँगी..!
तो सेठ बोला- नखरे मत कर… चूस न..!
सेठ जबरदस्ती मेरे मुँह में लौड़ा डालने लगा। मैं ना-नुकुर करती रही, पर वो नहीं माना। उसने लण्ड ठूँस दिया।
मेरी सांस रुक गई, मेरा मुँह पूरा भर गया था, दर्द के मारे आँसू आ गए, पर सेठ ने मजबूर कर के लौड़ा चुसाया और बोला- साली लौड़ा चूस… तुझे खुश कर दूँगा… बस तू मुझे खुश कर…!
इतना बोल कर वह अपने हाथ से एक सोने की अंगूठी मेरे हाथ में देकर बोला- ले तू मेरे को पसन्द आ गई है, ले रख ले… पर उन लोगों से कुछ मत कहना।
अंगूठी पाते ही मेरा मन उछल पड़ा और मैं सेठ की हर बात को मानने और खुश करने के लिए लौड़ा चाटने लगी।
सेठ भी खुश होकर बोला- चाट कुतिया… खा जा मेरे लौड़े को… कुतिया साली.. तेरी चूत भी पनिया गई है… साली लौड़ा खाने को… रो रही है…!
मैं मजे से उसका लण्ड चाटने लगी।
फिर सेठ बोला- चल अब तुझे चोदूँगा।
उसने लौड़ा मुँह से निकाल कर मुझे बेड के किनारे कर दिया। मेरे पैर नीचे कर के सारा शरीर ऊपर कर दिया और मेरे पैर उठा कर चूत चाटने लगा। मैं सोचने लगी कि ये तो फिर से चूत चाट रहा है पता नहीं जीभ से ही चोद कर छोड़ देगा..!
पर वो मेरी सोच को समझ गया और बोला- तू चिंता मत कर… मुझे चूत का पानी पीकर चुदाई करने में मज़ा आता है…!
फिर सेठ ने मेरी चिकनी और पनियाई चूत पर लौड़ा लगाया, चूत खूब रसीली थी सो जरा से धक्के में ही उसका सुपारा ‘फक्क’ की आवाज़ के साथ चूत की दरार में फंस गया।
मुझे दर्द होने लगा, चूत पनियाई तो थी, पर लण्ड चूत के हिसाब से अधिक मोटा था, अब सेठ लौड़ा अन्दर पेलने लगा। मैं छटपटाने लगी, पर सेठ ने पूरा लौड़ा चूत में बेदर्दी से पेल दिया, मैं दर्द से चिल्लाने लगी तो सेठ को मजा आने लगा कि उसको मस्त चूत मिली और वो मेरे दर्द को घटाने के लिए मेरी छातियों को चूसने लगा। तो कुछ राहत मिली।
आज तक तो पति का 5 इंच लंबा 2 इंच मोटा लौड़ा ही खाया था, पर आज मेरी चूत दुगुना मोटा लौड़ा से खा रही थी।
कुछ ही पलों बाद मुझे भी मज़ा आने लगा।
सेठ लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा, मेरे मुँह से सिसकारियाँ आने लगीं तो सेठ समझ गया कि अब मुझे अच्छा लग रहा है।
फिर सेठ ज़ोर-ज़ोर से हुमच कर चोदने लगा, पैर ऊपर उठा होने के कारण मेरे पेड़ू में दर्द हो रहा था।
मैं सेठ से बोली- मेरे पैर नीचे कर दो..!
फिर सेठ पैर नीचे कर कस-कस कर मेरी चूत को चोद कर निहाल कर दिया।
फिर चूत से लौड़ा निकाल कर बोला- जान एक बार अपने लौड़े को चाट ले…. फिर चूत चोदूँगा।
मैं अंगूठी के लालच में लौड़ा चाटने लगी।
लण्ड में चूत का पानी लगा था, मैंने सब चाट कर साफ कर दिया।
सेठ ने मुझे घोड़ी बना कर पीछे से चूत में लण्ड ठोक कर चोदने लगा। मैं एकदम से पानी-पानी हो कर सीत्कारें ले लेकर चिल्लाने लगी- चोद राजा… मेरी चूत को मेरे राजा… आज से चूत तुम्हारे नाम कर दी.. चोद साले मेरी चूत…!
सेठ ने मेरी बात सुन कर मस्त होकर चोदने की रफ्तार बढ़ा दी और बोलने लगा- ले साली… रंडी खा… मेरा लौड़ा… अपनी चूत में.. बड़ी मस्त है रे तेरी चूत… तुझे तो चोद कर अपनी रखैल बनाऊँगा..!
फिर सेठ लेट कर आगे से चूत में लण्ड डाल कर चोदने लगा। मैं भी हर धक्के पर सिसिया कर जबाब देती- हाँ… राजा तेरी रखैल बनूँगी… इसी लौड़े से चूत चुदवाऊँगी… मेरे राजा आ..स..सन्न..हस्सीए..!
मैं झड़ने लगी, “मैं गई आह…हसीए… आसहसीस…. मैं गई… राजा.. झड़ गई… !
कस कर सेठ से चिपक कर झड़ने लगी, ऐसा लगा कि मैं बरसों की प्यासी थी, मेरा पानी निकलने के बाद भी सेठ मुझे चोदे जा रहा था।
अब मुझे चूत में जलन होने लगी थी, मैं सेठ से बोली पर सेठ कहाँ मानने वाला था, सेठ तो बस चोदने में लगा था।
तभी सुनील का फोन आ गया, सेठ झुँझला कर बोला- साला मूड खराब कर दिया.. कहते हुए फोन उठाया, बोला- क्या है बे…!
सुनील बोला- सेठ खुश हुए..!
मानो सेठ के जले पर नमक छिड़क दिया, यह बात सुन कर सेठ झुंझला कर बोला- अबे साले… लण्ड तो अभी इसकी चूत में है.. फोन रखो… मैं तुझे बाद में कॉल करूँगा।
फिर सेठ बोला- रानी थोड़ा लौड़ा चाट और चूत से लौड़ा बाहर कर के चटाया।
बोला- अब तेरा पिछवाड़ा मारूँगा..!
मैं डर गई, पर सेठ ने एक न सुनी… ढेर सारा थूक लगा कर लौड़ा पिछवाड़े के छेद पर लगा कर एक ही झटके में लौड़ा डालना चाहा, पर सुपारा जाते ही मुझे बहुत दर्द हुआ, मैं छटपटाने लगी।
शायद सेठ को पता था दर्द होगा, तभी सेठ अपनी बाँहों में मुझे जकड़ लिया था। मैं चिल्लाती रही, रोती रही, पर सेठ ने पूरा लण्ड डाल कर ही माना और मेरी गाण्ड मारता रहा।
उसे ज़रा भी दया नहीं आई, वो मेरी गाण्ड की जड़ तक हुमच-हुमच के ठोकर मारता रहा फिर मेरी गाण्ड में झड़ने लगा।
‘लो जान गया मैं…!’ और सेठ का पानी से गाण्ड भर गई।
कुछ देर वो मेरे ऊपर ही पड़ा रहा, फिर उसने अपना ‘हलब्बी-छानू’ निकाल लिया, उसका लौड़ा देख कर मैं डर गई।
मैं उठी, मुझसे चला नहीं जा रहा था बाथरूम में जब पेशाब करने बैठी, तो गाण्ड से खून और सेठ का वीर्य फर्श पर फैल गया।
किसी तरह धोकर बाहर आई, तो सेठ सुनील को फोन पर बोला- आ जाओ नेहा जान ने मुझे खुश कर दिया है भाई…!
कह कर उसने फोन रख दिया और मुझसे बोला- नेहा मैं तुमसे बहुत खुश हूँ… लो यह 2000 रूपए…!
फिर उसने मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर माँगा और अपना दिया।
तब तक सुनील व आकाश आ गए थे।
यह है मेरी पहली चुदाई की कहानी।
आगे क्या हुआ कब-कब किससे चुदी, पति मुझसे यह सब करवा कर खुश थे कि नहीं.. आगे मेरे साथ क्या हुआ, पति के बारे में भी बताऊँगी कि वो कैसे ‘गे’ बने। आपको यदि मेरी कहानी पसंद आई तो मैं आपको सब लिखूँगी। तब तक के लिए विदा।
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