चूत गाण्ड और मुख चोदन का मज़ा

(Choot Gaand Aur Mukh Chodan Ka Maza)

मेरा नाम शरद सक्सेना है। मैंने अंर्तवासना में कई कहानियाँ पढ़ी। आज मैं भी आपको अपने साथ घटी एक घटना सुनाने जा रहा हूँ।
मजा शब्द वो है जिसमें मजा होता है।
तो आइए दोस्तो मैं आपको एक सच्ची कहानी सुनाता हूँ। मैं उन दिनों खूब मस्ती किया करता था और शहर घूमा करता था। उन्हीं दिनों मेरी मुलाकात एक राजकुमारी सी लड़की ॠद्धि से हुई। वह बहुत खबसूरत थी जिस तरह उसका नाम था उसी तरह वह दिखती भी थी।
ॠद्धि 18 साल की थी। मेरी यह मुलाकात इलाहाबाद से जयपुर जाते समय ट्रेन में हुई, वह भी जयपुर जा रही थी।

वह उस समय सलवार सूट में थी। रात का समय था, हमने एक दूसरे का परिचय लिया और हम दोनों में बात होने लगी, वह भी इलाहाबाद में रहती थी। हम लोगों ने एक दूसरे का मोबाईल नम्बर लिया।
रात कब बातें करने में निकल गई पता ही नहीं चला, सुबह हम जब स्टेशन पहुँचे तो हमने मिलन का वायदा किया।
एक हफ्ता हम लोग जयपुर में रूके और उस एक हफ़्ते में हम लोग रोज मिलते थे।

धीरे-धीरे हम लोग करीब आ गये, एक दिन मैंने उससे पूछा- क्या तुम इंटरनेट का प्रयोग करती हो?
जब उसने हाँ में जवाब दिया तो मैंने तुरन्त ही उससे उसकी मेल आईडी माँग ली। अब हम लोंग चैटिंग करने लगे। धीरे-धीरे अब हम लोग सैक्स की बात करने लगे।
आपको विश्वास नहीं होगा कि जयपुर ट्रिप में मैंने उसे चोदा नहीं, फिर भी हम लोग सैक्स चैटिंग में बहुत गन्दी-गन्दी बातें करते थे।

एक दिन मैंने उसे वेब कैम भेजा और उसके बाद हम लोग वेब कैम पर बातें करने लगे। अब हम लोग वेब कैम पर नंगे होकर बातें किया करते थे।

एक दिन उसने मुझसे कहा कि वो जैसे-जैसे वो कहे वैसे-वैसे मुझे करना है।
मैंने कहा- वेब कैम में कहाँ मजा आएगा, कभी मेरे घर आओ फिर जैसा कहोगी वैसा ही करूँगा।
उसने मुझसे वादा किया और रविवार को मिलने को कहा।

रविवार को वह मेरे घर आई। क्या लग रही थी… जींस काले रंग की थी और टॉप उसने हल्की गुलाबी रंग की पहनी हुई थी।
उसकी गोल-गोल मुसम्बी जैसे आकार की चूची… लग रहा था कि उसे घर में बाद में आने दूं और उसकी चूची वहीं दबा दूँ लेकिन भावनाओं पर कंट्रोल करके मैंने उसे अंदर बुलाया और अपने कमरे का दरवाजा बंद करके जब मैं उसकी तरफ़ घूमा तो उसके कूल्हे देख कर मैं तो गश खाकर गिरने वाला था! क्या उठे हुए थे उसके चूतड़ !

वह पलटी और मुझे देख कर मुस्कुराने लगी और शायद वह समझ गई थी कि मैं क्या सोच रहा हूँ।
वह धीरे-धीरे मु्स्कुराते हुऐ मेरे पास आई और बोली- किन ख्यालों में खोए हुए हो?

मैंने उससे कहा कि मैं उसके ख्यालों में नहीं उसकी खूबसूरती में खोया हुआ हूँ।
वह बोली- धत्त बुद्धू कहीं के !
मैंने धीरे से कहा- तुम हो ही इतनी खूबसूरत… मैं ही क्या, कोई भी तुम्हें देखता ही रहेगा।

वह शरमा गई, फिर धीरे से बोली- आज दिनभर तुम्हारे साथ हूँ और उस चीज का मजा लो, जिसके लिये हम लोग नेट पर बातें करते थे।

मैंने उसकी बात का समर्थन किया और कहा- आज तुम्हारा दिन है, इसलिए आज जैसा तुम कहोगी वैसा ही मैं करूँगा।
उसने हामी भरी और कहा- फिर तैयार हो जाओ।
मैंने कहा- ठीक है मेरे दिल की मल्लिका!

उसने मुझे तेल की शीशी लाने को कहा और बोली- आज अपनी जिंदगी के सबसे हसीं पलों के लिये तैयार हो जाओ।

फिर हम दोनों बेडरूम में आ गए। वह धीरे-धीरे म्युजिक सिस्ट्म की तरफ बढ़ी और फिर उसने एक सैक्सी म्युजिक लगा दिया और डांस करते हुई बोली- नेट पर तुम्हारा लौड़ा देख-देख कर मैं तंग आ गई थी। आज मैं तुम्हारा लौड़ा अपने बुर में लूँगी और तुम अपना लौड़ा मेरी बुर में डालोगे। लेकिन मेरी एक शर्त है।

मैंने पूछा तो वह बोली- मैं क्या कर रही हूँ, क्या हो रहा है यह कुछ नहीं पूछोगे।

मेरी सहमति के बाद डांस करते-करते वह अपने कपड़े उतारने लगी, सबसे पहले उसने अपना टॉप उतारा, अंदर उसने काली रंग की जालीदार ब्रा पहनी थी।
टाप उतार कर उसने घुमाते हुये मेरी तरफ उछाल दिया।

जिस-जिस तरह उसकी चूची उछल रही थी, उसी तरह मेरा दिल उछल रहा था। डांस बहुत ही सैक्सी कर रही थी वो, फिर उसने जींस का बटन खोला और जींस की जिप को वो बार-बार ऊपर नीचे कर रही थी।
फिर वो पोल डांस स्टाइल में अपने जिस्म को पीछे करते हुए मेरे पास आई और जींस को नीचे उतार कर बोली- इस बुर की पप्पी लो।
उसने पैन्टी भी नाम मात्र की पहनी हुई थी, मैं उसकी बुर को चूमने लगा, क्या महक थी उसकी बुर में… धीरे-धीरे पीछे झुक कर अपने हाथों को जमीन पर टिका कर उसने अपनी बुर को उठा कर बोली- सक्सेना जी, अपने दाँतों से मेरी पैन्टी उतारो।

मैं भी देर ना करते हुए उसकी पैन्टी उतारने लगा, उसकी बुर से लसलसा सा आने लगा।
क्या मजेदार स्वाद था!

फिर सीधे होते हुए एक बड़ा सा पानी वाला जग लाने को बोली, मैंने शीशे का जग लाकर उसको दिया, मैं यह समझ पाने में असमर्थ था कि वह चाहती क्या है।

मैं- ॠद्धि इस जग का क्या करोगी।
ॠद्धि- तुमने किसी लड़की को मूतते देखा है?
मै- नहीं!
ॠद्धि- आज मैं दिखाती हूँ और तुम देखना।
मैं- मैं सोच भी नहीं सकता था कि तुम बला कि सैक्सी होगी सैक्स के मामले में।
ॠद्धि- आज मैं यही सोच कर यहाँ आई हूँ, अपनी पूरी प्यास मैं मिटाऊँगी।
मैं- अच्छा ॠद्धि, क्या तुम इस जग में मूतोगी?
ॠद्धि- हाँ… लो जग पकड़ो मेरे बुर के पास इसको लगाओ और मुझे मूतते हुए देखो।

मैं उसे मूतते हुए देखता रहा, उसकी बुर से एक बड़ी मनमोहक सी आवाज आ रही थी जैसे कोई सीटी बजा रहा हो। जब वह पेशाब कर चुकी, तो बोली- सक्सेना मजा आया?
मैं- हाँ ॠद्धि, बहुत मजा आया।
ॠद्धि- तो लो अब मेरी बुर को चाटो।

मैं असमंजस की स्थिति में था, फिर वह बोली- क्या हुआ?

मैंने कहा- कुछ नहीं।
ॠद्धि- फिर मेरी चूत को चाटो।
मैं मदहोशी में आकर उसकी चूत चाटने लगा, क्या स्वाद, अजीब सा कुछ था, जिसको में विशलेषित नहीं कर सकता हूँ।
ॠद्धि ने अपनी टांग उठाई और पलंग पर रख कर अपने बुर को अपने हाथों से खोलकर अपने बदन को हिलाते हुए अपनी बुर को मेरे मुख से रगड़ रही थी।

ॠद्धि- सक्सेना, मजा आ रहा है…
वो सिसियाते हुए बोली- सक्सेना मैं तुम्हें और मजा देना चाहती हूँ।

यह कहकर उसने पेशाब से भरा हुआ वो जग उठा कर अपने ऊपर उड़ेल लिया- लो अब मेरे बदन को चाटो।

मैं भी एक मदहोश आदमी की तरह उसका बदन चाटने लगा, मैं अब उसको पागलों की तरह चाट रहा था, उसने अपनी चूत को दोनों हाथों से फैलाया और मेरी जुबान उसकी चूत को हर उस जगह चाट रही थी, जहाँ-जहाँ वो चटवाना चाह रही थी।
फिर उसने अपनी फुद्दी को मेरे मुँह में सटा दिया और योनि रस से मेरा मुँह भर दिया और निढाल होकर बिस्तर पर लेट गई।

जब मैंने उसकी उठी हुई गाण्ड देखी तो उसकी गाण्ड को देखकर चाटने की बड़ी इच्छा हुई और मैं धीरे से उसके पैंरों के तलवे को चाटते हुये उसकी गाण्ड की छेद पर पहुँच कर अपनी जीभ उसके छेद में डाल दिया और चाटने लगा।

ॠद्धि धीरे से हँसी और बोली- मेरे राजा चिन्ता मत करो, मैं तुम्हें तीनों छेदों का मजा दूँगी।

इतना कह कर वो पलटी और मेरा लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और सुपाड़े के आवरण को हटा कर बड़े प्यार से छेद पर कट-कट करने लगी।

उसकी इस कट-कट मेरी पेशाब निकलने लगी, पर ॠद्धि ने मेरे लण्ड को नहीं छोड़ा और मेरे लण्ड को हिलाते हुए अपने बदन पर एक एक बूँद गिराने लगी।
ॠद्धि ने लण्ड को चूस-चूस कर बुरा हाल कर दिया, वीर्य की इक-इक बूँद चूस डाली।

अब हम लोग 69 की अवस्था में आ गये और एक बार फिर हम लोग एक-दूसरे की बुर और लोड़ा चूसने में मस्त हो गये।

ॠद्धि बोली- मादरचोद… बुर खुजला रही है, अब अपना लौड़ा डाल इसमें।

इतना कहते ही मैंने अपना हथियार उसकी बुर में डाल दिया। मेरा लौड़ा उसकी बुर में घप्प से चला गया, वो उचक-उचक कर बड़ा मजा ले रही थी।
मैंने ॠद्धि से कहा- घूम जा, मुझे तेरी गाण्ड मारनी है।
क्योंकि मैं समझ गया था कि यह लड़की खूब चुदी हुई है।

उसने जैसे ही सुना, तुरन्त खड़ी हो गई और अपनी एक टांग पलंग पर रखी और अपने दोनों हाथों को चूतड़ पर ले जाकर अपनी ऊँगली को छेद के अन्दर डालते हुए बोली- ले मेरे राजा, तेरे लिए अपनी गाण्ड का दरवाजा खोल दिया, डाल अपना हथियार और इसका बाजा बजा दे।
अब मुझे ॠद्धि की चूत और गाण्ड दोनों का मजा मिल रहा था।
इस तरह ॠद्धि ने जो वायदा मुझसे किया था कि तीनों छेदों का मजा देगी, उसने पूरे मन से मेरे साथ वो सब किया जो मैं चाहता था।

तो दोस्तो, कहानी पढ़ने के बाद मुझे मेल कीजिए, कि मेरी कहानी कैसी लगी, आपके मेल का इन्तजार रहेगा।
अगली कहानी में इंतजार कीजिएगा और मजेदार किस्से के लिये।
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