तीन पत्ती गुलाब-42
गौरी की गांड का छल्ला भी धीरे-धीरे संकोचन करता सिकुड़ता गया और उसमें से गाढ़ा वीर्य निकल कर उसकी मोटी-मोटी फांकों और चीरे को भिगोने लगा था।
प्रस्तुत कहानी अन्तर्वासना के प्रख्यात लेखक प्रेम गुरु की रचना है. यह धारावाहिक कहानी एक अल्हड़ घरेलू नौकरानी के साथ प्रेम और सम्भोग की कहानी है. आनन्द लें.
गौरी की गांड का छल्ला भी धीरे-धीरे संकोचन करता सिकुड़ता गया और उसमें से गाढ़ा वीर्य निकल कर उसकी मोटी-मोटी फांकों और चीरे को भिगोने लगा था।
उसने अपने नितम्बों का संकोचन शुरू कर दिया। सच कहता हूँ उसकी गांड अन्दर से इतनी कसी हुई थी कि लग रहा था जैसे किसी ने मेरे पप्पू की गर्दन दबोच रखी है।
नितम्बों पर थप्पड़ लगाना उरोजों की घुन्डियाँ मसलना, गालों को दांतों से काटना। इससे स्त्री का उन्माद बहुत जल्दी अपने चरम पर पहुँच जाता है और स्त्री कामातुर हो जाती है।
मैं सीधा खड़ा था और गौरी के पैर मेरे सीने से होते हुए मेरे कन्धों पर आ गए। मैंने थोड़ा सा झुककर एक धक्का लगाया तो मेरा लंड पूरा गौरी के गर्भाशय तक चला गया।
मुझे लग रहा था कि मेरा एमसी पैड सरक गया है। मुझे डर था कहीं कपड़े ना खराब हो जाए तो मैं झाड़ियों में सु-सु करने और पैड ठीक करने बैठ गई।
मैंने अपने एक हाथ से गौरी की सुसु को टटोला। उसके पपोटे फूलकर मोटे हो गए थे और उसका चीरा तो रतिरस से लबालब भर गया था। उसकी मदनमणि भी ...
मैं गौरी की चूत चोद चुका था, अब उसकी गांड की चुदाई का मौक़ा ढूँढ रहा था. आज मेरी पत्नी पूरी रात के लिए शादी में जाने वाली है तो मौक़ा बन सकता है.
भैया ने भाभी का पेटीकोट उतार दिया और दोनों नितम्बों के बीच अपना हाथ फिराते हुए भाभी की गांड के छेद में अपनी अंगुली घुसा दी। भाभी आह ... ऊंह करती रही।
मैं सोच रही थी समाज में पुरुष और स्त्री के लिए अलग-अलग मानदंड क्यों हैं? पुरुष अपनी मर्जी से किसी से सेक्स कर सकता है पर स्त्री अगर करे तो सारा दोष स्त्री पर?
भाभी धीरे-धीरे अपने भारी और मोटे नितम्बों को नीचे करने लगी और अपनी बुर की फांकों को अँगुलियों से चौड़ा किया। अन्दर से लाल चीरा ऐसा लग रहा था जैसे किसी तरबूज की गिरी हो। फिर एक नोट को अपनी बुर की फांकों के बीच में करते हुए उठाने की कोशिश की पर नोट नीचे […]
दीदी ने भाभी को समझा दिया था कि हमारे भैया को ज्यादा तरसाना मत, जल्दी से अपना खजाना उन्हें सौम्प देना. वरना वो फिर सारी रात तुम्हारी हालत बिगाड़ देंगे।
मैं अपनी कामवाली की चूत चोद चुका था और अब उसकी गांड मारने को उतावला था. लेकिन उसे गांड के लिए मानना थोड़ा मुश्किल लग रहा था.
गौरी की कसी खूबसूरत गुलाबी गांड मारने के लिए मैं मरा जा रहा हूँ। चूत का उदघाटन तो आराम से हो गया था पर उसे गांड के लिए तैयार करना जरा मुश्किल लग रहा है।
मैं मधुर के गालों को चूमते हुए और उसके नितम्बों पर हाथ फिराते हुए यही सोच रहा था पता नहीं गौरी के नितम्बों को चूमने और मसलने का मौक़ा कब मिलेगा।
मुझे गौरी का वह पहला चुम्बन याद आ गया। अगर इस समय गौरी मेरे सामने होती तो मैं उसके होंठों को जबरदस्ती चूम लेता पर सानिया के साथ अभी यह सब कहाँ संभव था।
मैंने अपना एक हाथ नीचे करके उसकी सु-सु को टटोला। उसके चीरे पर अंगुली फिराई और फिर उसकी मदनमणि को चिमटी में पकड़ कर मसलने लगा।
मैंने अपना लंड उसकी सु-सु की फांकों के बीच लगा दिया। अब वो इस संगम के लिए तैयार थी। उसने अपनी जांघें थोड़ी सी और खोल दी और मेरे पप्पू का काम आसान कर दिया।
अपनी कामवाली लड़की के साथ सम्भोग का आनन्द लेने के अगले दिन मुझे दोबारा उसके कमसिन जिस्म का भोग लगाने की इच्छा हुई. मैं मौक़ा देख रहा था.
उसने नाइटी और हमारे प्रेमरस में भीगा तौलिया अपने हाथों में पकड़ रखा था। जिस अंदाज़ में वह टांगें चौड़ी करके चल रही थी, मुझे लगता है उसे अब भी थोड़ा दर्द महसूस हो रहा होगा।
मैंने अपनी जेब से वह सोने की अंगूठी निकाली और गौरी के दायें हाथ की अनामिका में पहना दी। मैंने गौरी के हाथ को अपने हाथ में लेकर उस पर एक चुम्बन ले लिया। गौरी लाज से सिमट गई। “गौरी मेरी प्रियतमा! आज की रात हम दोनों के लिए सुनहरे सपनों की रात है। आओ […]