एक सुन्दर सत्य-5
जैसे ही ज़न्नत पैंटी पहनने लगी, सुप्रीमो ने उसे एक झटके से पकड़ा और बोला- जानेमन अभी तो खेल बाकी है, आगे की ज़न्नत तो दिखा दी तुमने, पीछे की ज़न्नत के दरवाजे में घुसना अभी बाकी है।
फिल्मी जगत बाहर से जितना सुंदर और चमकदार दिखता है, क्या इसके अंदर का सच भी उतना ही चमकदार होता है? एक भारत सुन्दरी की कहानी जो ग्लैमर की दुनिया से होकर सफल अभिनेत्री बनी.
जैसे ही ज़न्नत पैंटी पहनने लगी, सुप्रीमो ने उसे एक झटके से पकड़ा और बोला- जानेमन अभी तो खेल बाकी है, आगे की ज़न्नत तो दिखा दी तुमने, पीछे की ज़न्नत के दरवाजे में घुसना अभी बाकी है।
सुप्रीमो के बस कहने की देर थी कि ज़न्नत ने सुप्रीमो के लण्ड पर अपने रसीले अधर रख दिये, उसे चूम लिया। ज़न्नत खुद कोई मौका गंवाना नहीं चाह रही थी सुप्रीमो को खुश करने का…
मन्त्री अभी भी ज़न्नत की बगल में लेटकर उसके नंगे मखमली जिस्म पर हाथ ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर फ़िरा रहा था, कभी वो ज़न्नत के वक्ष सहला रहा था, तो कभी उसके नितम्ब पर हाथ घुमा देता।
अरे मेरी छम्मक छल्लो… इतनी जल्दी मन्त्री जी थोड़े ही उसे आज़ाद कर देंगे… आज तो बड़ी प्यारी बुलबुल पकड़ में आई है… मन्त्री जी पूरा मज़ा लेने के बाद की उसको जाने देंगे…
यह कहानी है एक भारत सुन्दरी की, ग्लैमर क्वीन की, जो मॉडलिंग से होते हुए एक सफ़ल फिल्म हीरोइन बनी। नाम में क्या रखा है, लेकिन कहानी में कुछ तो होना चाहिए तो ठीक है, एक नाम दे देता हूँ, उसका नाम था ज़न्नत खान।