आपी तीन दिन से कमरे में नहीं आई थी। चौथे दिन भी जब वक्त बीत गया तो मैं उन्हें देखने निकला। वो अपने कमरे में अम्मी और हनी के साथ थी। आपी ने मुझे देख लिया और…
आपी मेरा लंड चूस कर मलाई चाट कर गई तो उसके बाद दो दिन नहीं आई। हम दोनों भाई लंड पकड़े इन्तज़ार करते रहे। क्या क्या हुआ इन दो दिनों में… कहानी पढ़ कर जानिए!
आपी मेरा लन्ड चूसना चाह रही थी लेकिन उनको बार बार उबकाई आ रही थी। फ़िर भी उन्होंने कोशिश जारी रखी। कहानी को पढ़ कर देखिये कि आपी इस कोशिश में कितनी कामयाब हुई
मैं आपी के नंगे बदन पर बैठ कर उनकी चूचियों के बीच लंड रखा कर चोद रहा था तो लंड आपी के लबों को छू रहा था. तभी आपी ने जीभ निकाल कर लंड के सुपारे पर छुआया!
फ़रहान को हम दोनों को तकते देख आपी ने उसे पास बुलाया, उसके लन्ड को सहला कर उसे मेरी गान्ड मारने को कहा। अब आपी सबसे आगे, उनके पीछे मैं, मेरे पीछे फ़रहान…
आपी की जांघों में लन्ड रगड़ने से उन्हें मज़ा आने लगा और वो खुद लन्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर रखने लगी। तभी आईने में आपी को ऐसा दिखा कि वो मुझसे चुद रही हों।
मेरी छेड़छाड़ से आपी गर्म होकर अपने कमरे में हाथ से मज़ा लेने लगी। रात को हमारे कमरे में आई तो एकदम नंगी हो कर अपने नंगे बदन को शीशे में जो देखना शुरू किया तो…
सुबह नाश्ते के वक्त मैं आपी की बगल में बैठा और उनकी जांघ पर हाथ रख दिया। एकदम ही खौफ से उनका चेहरा लाल हो गया। इसके बाद क्या हुआ, कहानी के इस भाग में पढ़िये।
आपी ने मेरी मुठ मार मुझे और फ़रहान ने आपी की चूत चाट उन्हें झड़वा दिया। उसके बाद वो चली गई और अगली रात गयारह बजे के बाद आपी हमारे कमरे में आई… तो क्या हुआ?
अब आपी अपने भाइयों यानि मेरे और फ़रहान से बिल्कुल बेपर्दा होकर अपना नंगा हुस्न नुमाया कर रही थी। मैं उन्हें चूम रहा था और फ़रहान उनके नंगे जिस्म से खेलने में लगा था।
मैंने आपी की टाँगों को खुलता महसूस कर लिया था और उनकी चूत से बहते पानी ने भी मुझे यह समझा दिया था कि अब आपी का दिमाग उनकी चूत के कंट्रोल में आ गया है..
मैंने अपनी बहन के हसीन उभारों को देखा और अपने दोनों हाथों में आपी के उभार पकड़ कर दबाए और निप्पल को सहलाने के फ़ौरन बाद ही अचानक से आगे बढ़ कर आपी का खूबसूरत गुलाबी निप्पल अपने मुँह में ले लिया।
मर्दों का तो कुछ नहीं जाता और ना ही कोई ऐसा सबूत होता है.. जो उनके कुंवारेपन को चैलेन्ज कर सके, जबकि लड़कियाँ अगर अपना कुंवारापन खो दें.. तो वे उसे कभी छुपा नहीं सकती हैं।
मैंने अपनी उंगलियाँ आपी की चूत के दाने से उठाईं और चूत के अन्दर दाखिल करने के लिए नीचे दबाव दिया ही था कि आपी फ़ौरन बोलीं- सगीर.. रुको ना.. हाय प्लीज.. उईईई.. और ऊपर.. रगड़ो ना.. आआहह..
मेरे और आपी के जिस्म पर सिर्फ़ हमारी सलवारें ही थीं और आपी के सीने के उभारों पर उनकी खुली हुई ब्रा रखी हुई थी। मैंने अपने दोनों घुटने आपी की टाँगों के इर्द-गिर्द टिकाए और उनके सीने के उभारों पर अपना सीना रखते हो आपी के ऊपर लेट गया।
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