जब मैं एम.कॉम. में पढ़ता था, मेरी पड़ोसी लड़की के शरीर का विकास देख कर मुझे अब उसे चोदने का मन करने लगा था। उसके चूचे मुझे पागल कर देते थे, वो भी मुझे छुप-छुप कर देखा करती थी। उसे मेरा साथ अच्छा लगता था वो मेरे घर आती थी, पर मुझसे शर्माती और थोड़ी सी ही बात करके जल्दी से अपने घर चली जाती थी।
हमने इतनी चुदाई की थी कि कोई एक साल में भी अपनी बीवी के साथ नहीं करता होगा, जो हमने तीस दिनों में की। भाभी की मैंने जम कर गांड मारी, जिससे उनकी गांड एकदम मस्त हो गई है। उनकी पिछाड़ी पहले से काफी मोटी भी हो गई है।
भाभी की बिना बालों वाली चूत जो कि मेरे लण्ड से रगड़ने के कारण और भी फूली और एकदम लाल नजर आ रही थी।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी… तुम्हारी चूत तो एकदम लाल हो गई है…!
तो भाभी ने कहा- कमीने, ये सब तूने ही तो किया है..!
मेरी पहली चुदाई के बाद भाभी मुझसे इतनी घुल मिल गई थीं कि मुझे कभी भी चुम्बन कर लेतीं, तो कभी मेरे लंड को पकड़ लेतीं।
जब मैं कहीं से घूम कर आता तो वो अपने बदन से साड़ी का पल्लू उतार कर दरवाजा बोलतीं- ले पी ले अपनी भाभी का दूध !
मुझे घर में सिर्फ उनका दूध ही पीने की इज़ाज़त थी
मेरे घर के बगल वाले घर में एक भाभी रहती थी मैं कुछ दिनों से उन्हें देख रहा था कि वो थोड़ा उदास रहने लगी थी। तो मैंने उनसे पूछा- भाभी क्या बात है? भाभी भी मुझ से गले से लग गई और जोर जोर से रोने लगी। मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई। उनके स्तन सीधा मेरे सीने से चिपक गए…
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